: डीजीपी ने मामले पर की कार्रवाई, दोपहर बाद हुआ आदेश : सम्पादक के घर एसटीएफ हंगामे पर आज गांधी स्मारक पर पत्रकार करेंगे मौन प्रदर्शन : डीजीपी इस सवाल पर खामोश, कि दारोगा के साथ दर्जन भर एसटीएफ के गुंडों पर क्या होगी कार्रवाई : बाकी एसटीएफ के गुंडों पर कार्रवाई पर पुलिस खामोश :
कुमार सौवीर
लखनऊ : आम आदमी ही नहीं, देश के एक बड़े कवि, पत्रकार और एक राष्ट्रीय समाचारपत्र के समूह सम्पादक को यह धमकाने कि तू मेरा क्या उखाड़ लेगा, वाले एसटीएफ के बिगड़ैल गुण्डे रणजीत राय इंस्पेक्टर आज सस्पेंड हो गया। महानिदेशक ने इस मामले पर संपादक सुभाष राय की फेसबुक पर इस मामले पर दर्ज एक पोस्ट का संज्ञान लेते हुए दारोगा का निलम्बित कर दिया। इसके पहले पत्रकारों ने इस पूरी घटना पर अपना जबरदस्त आक्रोश व्यक्त किया था। आखिरकार इस मामले के मुख्य आरोपी एसटीएफ के इंस्पेक्टर रणजीत राय को सस्पेंड कर दिया गया। हालांकि अब तक पता नहीं चल पाया है कि संपादक के घर हंगामा करने गए रणजीत राय के साथ शामिल एसटीएफ के बाकी 11 लोगों पर क्या कार्रवाई हुई है।
आपको बता दें कि 10 जून की सुबह यूपी एसटीएफ के एक पालतू बिगड़ैल गुंडे इंस्पेक्टर रंजीत सिंह के साथ उसके करीब एक दर्जन से ज्यादा पुलिसवालों ने जनसंदेश टाइम्स समूह के समूह संपादक सुभाष राय के घर जबरदस्त हंगामा किया था। इस गुंडे दारोगा इस बात पर नाराज था कि उसे उसके एक पारिवारिक दोस्त को क्यों दिक्कत हो रही है। इस दिक्कत का कारण थे देश के एक प्रमुख पत्रकार और कवि-चिंतक सुभाष राय, जिन के घर के पास निर्माणाधीन मकान के मालिक से विवाद हुआ था, जिसने अपनी निर्माण सामग्री सुभाष राय के घर के ठीक सामने कुछ इस तरह ढेर कर दिया था ताकि निकलना तक मुश्किल था।
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कई बार निर्माणाधीन मकान मालिक की इस हरकत पर ऐतराज जताया गया था। सुभाष राय ने कई बार इस मामले पर डायल हंड्रेड पर फोन किया था, लेकिन हर बार पुलिस वालों ने पाया कि सारी गलती पड़ोसी की है। पुलिस वालों ने यह भी निर्देशित किया कि वह जल्दी से जल्दी सुभाष राय के घर के दरवाजे पर बड़ी निर्माण सामग्री को हटा दें। लेकिन ऐसा नहीं हुआ बल्कि 10 जून को सुबह रणजीत राय अपने साथियों के साथ सुभाष राय के घर पहुंचा और फिर एक जबर्दस्त हंगामा खड़ा हो गया। इस दारोगा ने जितनी भी अभद्रता हो सकती है, उस दौरान बेहिसाब कर डाली थी।
इसकी जानकारी एसटीएफ के आईजी अमिताभ यश को दी गयी थी। लेकिन इसके बावजूद एसटीएफ के लोग खामोश ही रहे। आज सुबह सुभाष राय ने इस मामले पर एक आईएफआर विभूति खंड थाने पर जा कर दी थी लेकिन इस अर्जी पर रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई। थाने पर मौजूद पुलिस वालों ने बताया कि थानाध्यक्ष इस समय किसी दूसरी ड्यूटी पर हैं और उनके बाद लौटने के बाद ही यह मामले को दर्ज करने या ना करने का फैसला लिया जाएगा।
इस पूरे मामले पर सुभाष राय ने जो अपना एक फेसबुक अपडेट किया, जिस पर पत्रकार जगत में आग-सी लग गयी। पुलिस की कार्यशैली से पहले से ही बेहिसाब आलोचना में रह चुकी एसटीएफ को पत्रकारों ने आड़े हाथों लिया। विरोध का दौर शुरू हो गया। इससे बचने के लिए एसटीएफ के आईजी अमिताभ यश ने उस गुंडे इंस्पेक्टर को ड्यूटी से हटा दिया और पत्रकारों को बताया कि उस घटना पर निर्णय ले लिया गया है।
पत्रकारों का आक्रोश थमा नहीं। पत्रकार साफ-साफ मान रहे थे कि अमिताभ यश उस गुण्डे इंस्पेक्टर को उसकी करतूतों के लिए दंडित करने के बजाए उसे साफ-साफ बचा ले जाने की कोशिश कर कर रहे हैं। इसलिए डीजीपी से लेकर के गृह सचिवालय और मुख्यमंत्री कार्यालय तक पत्रकारों ने जोर आजमाइश करना शुरु कर दिया।
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इतना ही नहीं, पत्रकारों ने ऐलान किया कि इस घटना पर कड़ी कार्रवाई और सख्त निंदा का दौर शुरू किया जाएगा। इसके लिए 12 जून को 11 बजे से गांधी प्रतिमा हजरतगंज चौराहे पर पत्रकारों ने एक सामूहिक मौन सभा आयोजित करने की अपील की। पत्रकार इस पूरे मामले पर एकजुट हो गये, साथ ही सामाजिक संगठनों को भी इससे जुड़ने की कवायद शुरू की गई थी।
इसके बाद ही पुलिस को इस मामले की गम्भीरता का अहसास हुआ। आनन-फानन डीजीपी ओपी सिंह ने इस मामले की जानकारी हासिल की और दोपहर के बाद शाम तक यह फैसला कर लिया गया कि सुभाष राय के घर हंगामा करने वाले उस गुंडे एसटीएफ इंस्पेक्टर रणवीर सिंह को सस्पेंड कर दिया जाए। आदेश भी जारी हो गया।
लेकिन अब तक विभूति खंड थाने में सुभाष राय की रिपोर्ट दर्ज नहीं की है। अंतिम समय मिलने तक इस पर कोई भी कार्यवाही नहीं की गई। हालांकि आश्वासन दे दिया गया है कि रिपोर्ट दर्ज हो जाएगी। उधर रणवीर राय के साथ गए करीब एक दर्जन एसटीएफ के गुणों की पहचान की जरूरत पुलिस या एफटीएफ ने नहीं महसूस की है, और ना ही उन्हें दंडित करने की कोई कोशिश शुरू की गई है। समझा जाता है कि रणवीर सिंह पर कार्रवाई की आड़ में बाकी इन सभी गुंडों को बेदाग छुड़ा लिया जाएगा।