: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने जो भी किया, शर्म-ओ-हया को दरकिनार करके : बुजुर्ग शिक्षिका उत्तरा पंत को अब त्रिवेंद्र रावत सरकार ने किया सस्पेंड : मुख्यमंत्री से अभद्रता वाली घटना पर आरोप लगाया कि गैरहाजिर थी उत्तरा पंत : शिक्षा सचिव ने दिया मूर्खतापूर्ण कारण :
कुमार सौवीर
लखनऊ : घर का पुरखा, यानी गृह-स्वामी हमेशा बेहद शांत, सौम्य, ईमानदार, पक्षपातविहीन, और भेदभाव से कोसों दूर रहने वाला माना जाता है। लेकिन यह शर्त अब उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर लागू नहीं होती है। पहाड़ के एक दुर्गम क्षेत्र में सरकारी विद्यालय की बुजुर्ग शिक्षिका उत्तरा पंत के साथ जो व्यवहार उत्तराखंड की सरकार ने की है, इससे एक नया विवाद खड़ा हो गया है। मुख्यमंत्री रावत से कथित अभद्रता के मामले में सरकार ने उस घटना को छिपा लिया है, मगर उस पर केवल इस आधार पर निलम्बित कर दिया है, कि वह काम से गैरहाजिर चल रही थी।
इस मामले में सरकार की तरफ से प्रदेश की शिक्षा सचिव डॉ भूपेंद्र कौर ने स्पष्टीकरण दिया है। यह पूरा बयान सिरे से बेवकूफी भरा है। कौर बोलीं हैं कि उत्तरा पंत काम ही नहीं करती थी, हमेशा गैरहाजिर रहती थी। सन-08 और सन-11 में भी काम से लापता होने पर उसे सस्पेंड किया जा चुका है। लेकिन इसके बावजूद सन-15 से सन-17 के बीच वह कई महीनों तक ड्यूटी पर से लापता रही। विगत 9 अगस्त-17 को वह फिर लापता रही। लेकिन सन-15 के बाद से उत्तरा पंत पर क्या कार्रवाई की गयी, उसका कोई भी जवाब डॉ कौर के पास नहीं है। कौर बोली हैं कि उत्तरा पंत के गैरहाजिर होने से शिक्षा तबाह होती रही, लेकिन उस पर कोई भी कार्रवाई नहीं की थी त्रिवेंद्र रावत सरकार ने।
उधर उत्तरा पंत लगातार त्रिवेंद्र सरकार पर हमला कर रही हैं। उनका आरोप है कि यह अपराधियों की सरकार हैं, और उसके चलते पूरी व्यवस्था ही तबाह होती जा रही है। स्वार्थलिप्सा असमान पर है। मुख्यमंत्री अपनी पत्नी की तो पोंस्टिंग करा ले गये लेकिन मेरे जैसे तमाम लोगों का काम जानबूझ कर बिगाड़ा जा रहा है।