होत्‍तेरी की ! दो साल से खलिहर, जिला जजी की ठसक बरकरार

बिटिया खबर

: कन्‍नौज के जिला जज के पद से दो साल पहले रिटायर हो चुके हैं मुशीर अहमद अब्‍बासी : तीस साल तक जजी कर डाली, लेकिन प्रदूषण-नियंत्रण प्रमाणपत्र नदारत : अलीगढ़ में तैनाती के दौरान खरीदी थी, लेकिन अब उस पर जिला जज क्‍यों लिखवाया :

कुमार सौवीर

लखनऊ : जिला जज लिखी कार को लेकर तो अब बेहद शर्मनाक कोहरा पसरता जा रहा है। खबर है कि जिस स्विट्स-डिजायर कार पर जिला जज लिखा हुआ था वह दरअसल जिला जज हैं ही नहीं। बल्कि हकीकत यह है कि वे सवा दो बरस पहले ही रिटायर हो चुके थे। लेकिन मुसलसल तीस बरस तक अदालतों में खटने के बावजूद उनको जिला जजी करने की चुल्‍ल लगी रहती है। और तो और, सड़क पर फर्राटा भरती गाडि़यों की तनिक सी भी गलती करने के मामले अपनी कुर्सी पर बैठ कर वे लगातार जुर्माना ठोंकने में बिजी रहे हैं, उनके पास अपनी इस कार में प्रदूषण-प्रमाणपत्र तक नहीं है।
आपको बता दें कि सिल्‍वर कलर की स्विट्स-डिजायर कार की नम्‍बर-प्‍लेट ही नहीं, बल्कि उसके हर एक कोने-कुतरे तक में जिला जज लिखी लखनऊ की सड़कों पर फर्राटा भरती दिखी थी। भटौली से बहुत तेजी से फर्राटा भरती यह कार मुझे बहुत तेज टेक-ओवर कर गयी। उसकी नम्‍बर प्‍लेट पर यूपी-81 एएक्‍स 7969 लिखा था, लेकिन उसी पर मोटे हर्फों में लाल रंग में जिला जज भी लिखा हुआ था। कार के पिछले शीशे की दोनों ही ऊपरी ओर जज का लोगो चिपका हुआ था।
इतना ही नहीं, इसकी अगली नम्‍बर-प्‍लेट पर भी जिला जज लिखा हुआ था। इतना ही नहीं, हैरत की बात है कि इसकी विंड-स्‍क्रीन के सबसे बायीं ऊपर ऊपर भी जज का लोगो चिपका हुआ था। अजब है कि इस कार पर लगे सारे के सारे लोगो कार के भीतर और बाकायदा प्रिंटेड ही थे।
दोलत्‍ती डॉट कॉम ने इस कार की जांच उसके नम्‍बर के आधार पर शुरू की, तो पता चला कि यह कार अलीगढ़ के मुशीर अहमद अब्‍बासी के नाम पर रजिस्‍टर्ड है। इसमें मुशीर अहमद अब्‍बासी का पता जे-33, जज कम्‍पाउंड, अलीगढ़-बताया गया है। यह कार दो अप्रैल-2014 को खरीदी थी, जब मुशीर अहमद अब्‍बासी अलीगढ़ में अतिरिक्‍त जिला एवं सत्र न्‍यायाधीश के पद पर थे। लेकिन यह कार खरीदने के एक महीने बाद ही अब्‍बासी जी उप्र सचिवालय के विधि विभाग में विशेष सचिव बन कर लखनऊ आ गये।
गोरखपुर में जन्‍मे श्री अब्‍बासी सात-जून-90 को पीसीएस ( ज्‍यूडिसरी) सेवा में शामिल हुए और तीस जून-20 को रिटायर हो गये। उनकी आखिरी पोस्टिंग कन्‍नौज में जिला एवं सत्र न्‍यायाधीश थी। जाहिर है कि इसके बाद उन्‍होंने जजी की कुर्सी और सारे अधिकार छोड़ दिये, लेकिन अपनी इस कार पर जिला जज लिखना बदस्‍तूर जारी रखा। इतना ही नहीं, बताते हैं कि रिटायरमेंट के बाद से ही उन्‍होंने अपनी इस कार में जगह-जगह जिला जज और जज लिखना शुरू कर दिया है। लेकिन यह जानने-समझने के बावजूद उन्‍होंने यह लिखवाये रखा कि कानून और नियम है कि किसी भी वाहन पर नम्‍बर-प्‍लेट के अलावा कुछ भी नहीं लिखाया जा सकता है। ऐसा न होने पर जुर्माना का प्राविधान है। लेकिन एडवोकेट, पुलिस और प्रेस जैसे नाम अक्‍सर लोगों के वाहन पर लिखे मिल जाएंगे। जज जैसे नाम पर अक्‍सर मिल जाएंगे, लेकिन जिला जज स्‍तर के अधिकारी की कार पर पांच स्‍थानों पर जिला जज अथवा जज एकसाथ लिखा हो, तो ऐसे जिला जजों की मनोवृत्ति का आभास आसानी से मिल सकता है। किसी भी अपराध के लिए ही जजों की व्‍यवस्‍था संविधान में है, लेकिन जब जिला जज के स्‍तर का अधिकारी ही ऐसी हरकत करे, तो बेहद शर्मनाक घटना है।
सुप्रीम कोर्ट के जज धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ने एक मुकदमे की सुनवाई के दौरान हाल ही यह कहा था कि जजों पर मानहानि की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है, जो एक खतरनाक संकेत भी है। न्‍यायपालिका के किसी अधिकारी पर ऐसे कोई भी आरोप लगाने के पहले लोगों को बचना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के ही कुछ अन्‍य जज भी कई बार ऐसे कमेंट कर चुके हैं। यह हो सकता है कि ऐसे आरोपों से न्‍यायपालिका के अधिकारियों का मनोबल और चरित्र पर धब्‍बा पड़े। लेकिन यह सच भी तो है कि कुछ ऐसे भी जज ऐसे भी हैं, जो अपनी करतूतों से बाकी ज्‍यूडिसिरी के अफसरों पर धब्‍बा डालने पर आमादा हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *