: मुमताज ने सिर्फ कमर मटकायी थी, मुलायम ने लगाये ठुमके : खैर, यह बताइये कि गायत्री प्रजापति कितने भ्रष्ट हैं : बेईमानी, बेशर्मी और गुण्डागर्दी की जर्जर इबारत है समाजवादी पार्टी : जितने भी कुख्यात अपराधी और भ्रष्टे अफसर हैं, सब सपा में शामिल : न्यूज चैनल इण्डिया न्यूज में आज इसी पर बातचीत की मैंने :
कुमार सौवीर
लखनऊ : समाजवाद की ताजा परिभाषा के तर्क देख लीजिए। एक आदमी सन-02 में बीपीएल का कार्ड होल्डर था। उसकी आमदनी थी महज 24 हजार रूपया सालाना से भी कम। लेकिन उसके दस साल बाद ही उसने शपथपत्र दाखिल किया कि उसकी हैसियत पौने दो करोड़ से ज्यादा है। इतना ही नहीं, उसके भी तीन साल बाद उसकी आमदनी अप्रत्याशित तरीके से छह सौ गुना से ज्यादा हो गयी। यानी करीब 946 करोड़ रूपया। लेकिन यह तो केवल उसकी कागजी हैसियत थी। हकीकत यह है कि उसकी हैसियत आज 1350 करोड़ रूपयों से भी ज्यादा है।
इस शख्स का परिचय तो आप जानना ही चाहेंगे। उसका नाम है गायत्री प्रसाद प्रजापति। धंधा है बालू से भी तेल निकालना। फिलहाल तो यह आदमी यूपी सरकार में खनन विभाग का मंत्री है। बेलगाम और बादशाही के डंके पर। यह जो चाहता है, कर डालता है। वह चाहे तो अपनी बेटे से कह कर किसी महिला का अपहरण करा ले, चाहे तो किसी सरकारी जमीन पर कब्जा करा ले, चाहे तो अवैध जमीन पर प्लाटिंग करा ले। दरअसल, यह आदमी पैसा का भूखा है। उसे पैसा चाहिये। चाहे किसी भी तरीके से आये। जानकारों का आरोप है कि अपनी इस अदम्य भूख के चलते इस आदमी ने अपनी बेटी को भी कन्याधन कोष से रकम उगाह ली। जबकि यह रकम केवल उन बच्चियों को ही मिल सकती है जो बीपीएल यानी गरीबी की सीमा के भीतर आती हों। लेकिन हैरत की बात है कि इस मामले में कोई भी शख्स गायत्री के खिलाफ एक शब्द भी बोलने का तैयार नहीं होता है। सिवाय रजनीश सिंह के जिसने आज गायत्री के खिलाफ गजब हंगामा खड़ा कर दिया। उसका दावा है कि गायत्री ने अपनी बेटी को बीपीएल के तहत मिलने वाली कन्याधन योजना का पैसा भी वसूल लिया। बाप रे बाप
हैरत की बात है कि सपा सरकार महिलाओं के सम्मान को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के वादे करती है, लेकिन जब नूतन ठाकुर ने गायत्री पर लोकायुक्त के यहां मामला दर्ज किया, तो लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा ने मामले को न केवल खारिज कर दिया, बल्कि नूतन पर भी जमकर आरोप जड़ दिये। दरअसल यह हालत इस सिस्टम में आला ओहदे पर जमे लोगों के खोखलेपन और दोगलेपन का प्रतीक भी हैं।
आज शाम देश के प्रमुख न्यूज चैनल इण्डिया न्यूरज में एक इसी मसले पर बडी बहस छिड़ी। एक ओर था मैं कुमार सौवीर, दूसरी ओर एक अधिवक्ता दीपक कुमार। भाजपा से विजय पाठक और समाजवादी पार्टी से बुक्कल नवाब। अब यह तो किसी को भी नही पता है कि बुक्कल नवाब किस रियासत के नवाब हैं, लेकिन पिछले 28 बरसों से इस शख्स ने बेहिसाब पैसा खर्च किया है। न तो बुक्कल की आय के स्रोत का जरिया है और न ही गायत्री की आमदनी का। हां, इस पूरे प्रकरण में इतना तो साफ हो ही गया है कि झूठ बोलने में समाजवादी पार्टी के नेताओं का कोई भी सानी नहीं है।
इसके बावजूद इण्डिया न्यूज चैनल के एंकर ने बुक्कल नवाब को खूब धोया। झूठ पर झूठ बोलने पर आमादा किसी झूठे शख्स पर इसके अलावा और क्या कार्रवाई हो सकती है, मैं नहीं जानता।
मुझे जो भी करना था, कर दिया। अब तो यह जनता पर ही है कि वह अगले चुनाव में क्या पैंतरा करती है।
करती भी है या नहीं।