: नई दिल्ली के एक औसत धार्मिक परिवार की कोमल गुप्ता अचानक कैसे निहायत घनिष्ठ रिश्ते बने : कोमल ने स्वामी चिन्मयानन्द को चारों खाने चित्त कर दिया : भाजपा के साधु-सन्तों की असलियत का भण्डाभोड़ कर दिया चिदर्पिता ने :
कुमार सौवीर
लखनऊ : स्वामी चिन्मयानन्द क्या थे और आज क्या हैं, इस बारे में तो सब को अब खूब पता चल चुका है। लेकिन इसके बाद उनका उनका क्या हश्र होगा, इसकी चाभी साध्वी चिदर्पिता के हाथों में हैं। पिछले तीन साल से साध्वी चिदर्पिता ने अपने गुरू स्वामी चिन्मयानन्द की जितनी लांग-धोती खोली है, उसके चलते धार्मिक ठप्पे वाली भारतीय जनता पार्टी की साधु-सन्तों की टोली ही पूरी तरह घिनौनी बन गयी। उधर भाजपा की हालत चिन्मयानन् द को लेकर सांप-छछूंदर की तरह बन चुकी है। वे भाजपा ने स्वामी को निगल पा रही है और न उसे उगल पा रही है।
ि दल्ली के एक बेहद धार्मिक लेकिन औसत परिवार की युवती रही हैं कोमल गुप्ता। अपने माता-पिता के साथ अक्सर वह स्वामी चिन्मयानन्द से मिलने आया करती थी। अचानक इस स्वामी और उसके शिष्य दम्पत्ति की बेटी कोमल गुप्ता के बीच नैन-मटक्का शुरू हो गया। तब वह कोमल की उम्र 20 बरस की। वह अति उत्साहित थी और हमेशा कुछ न कुछ कर डालने पर आमादा भी।
और एक दिन कोमल गुप्ता ने स्वामी चिन्मयानन्द के प्रेम से वशीभूत होकर अपना घर छोड़ दिया। स्वामी तो उसी फिराक में थे। और फिर कोमल सीधे चिन्मयानन्द के डेरों पर घूमनी लगी। जल्दी ही कोमल को चिदर्पिता का नया नाम अता कर दिया स्वामी चिन्मयानन्द ने। उसके बाद क्या-क्या नहीं हुआ इन दोनों के बीच, पूरी दुनिया जानती है, भाजपा और उसके संत-फकीर भी थू-थू करते रहते हैं स्वामी पर। लेकिन बेशुमार दौलत के स्वामी है चिन्मयानन्द, इसलिए किसी की हिम्मत तक नहीं हो पा रही है। हां, स्वामी के इशारे पर चिदर्पिताा के खिलाफ हमले जरूर शुरू हो गये हैं।
कुछ ही दिन पहले चिदर्पिता द्वारा स्वामी पर लगाये गये आरोपों को लेकर भड़के आक्रोशित छात्रों ने स्वामी शुकदेवानंद महाविद्यालय के गेट पर एकत्र होकर साध्वी चिदर्पिता उर्फ कोमल गुप्ता का पुतला फूंका। इस दौरान सामाजिक न्याय व पर्यावरण हितों के प्रति समर्पित युवा वर्ग की संस्था ”पृथ्वी” के सचिव मुनेंद्र शुक्ला ने कहा कि साध्वी जहां से भी चुनाव लड़ेंगी, संस्था के सदस्य वहां जाकर उनकी पोल खोलेंगे। एक नयी नौटंकी के तहत पृथ्वी संस्था के निदेशक डा.विकास खुराना ने कहा कि हमारा दायित्व केवल पृथ्वी के पर्यावरणीय प्रदूषण को दूर करना ही नहीं है बल्कि समाज में फैले वैचारिक व चारित्रिक प्रदूषण से भी राष्ट्र को बचाना है।
स्वामी चिन्मयानंद के समर्थन में अखाड़ा परिषद सामने आ गया है। परिषद के महामंत्री महंत हरि गिरी महाराज और परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता बाबा हठयोगी ने कहा कि स्वामी चिन्मयानंद पर लगाए गए आरोप निराधार और बेबुनियाद हैं। उन्होंने कहा कि चिदर्पिता ने इतना समय बीतने के बाद आखिर अब यह आरोप क्यों लगाए। इस तरह की घटनाओं से संत समाज की बदनामी होती है। साध्वी होने के बाद भी उसने साध्वी धर्म का पालन नहीं किया। गृहस्थ आश्रम अपनाया और अब सस्ता प्रचार पाने के लिए एक संत पर अनर्गल आरोप लगा रही है।
स्वामी चिन्यमयानंद का मुमुक्ष आश्रम उनके समर्थन में खड़ा हो गया है। मुमुक्ष शिक्षा संकुल परिवार ने मीडिया के सामने साध्वी के ढेर सारे शैक्षिक प्रमाण पत्र दिखाते हुए इन्हें फर्जी बताया है। आश्रम के पदाधिकारियों ने बताया कि चिदर्पिता ने श्री शंकर मुमुक्षु विद्यापीठ के प्रधानाचार्य पद पर नौकरी पाने के लिए फर्जी अनुभव प्रमाणपत्रों का सहारा लिया था। साध्वी के वर्ष 2007 में अर्जित बीएड डिग्री पर भी सवाल उठाए गए। विधि स्नातक के बाद कोमल गुप्ता उर्फ चिदर्पिता ने पंजीकृत अधिवक्ता बनने के लिए वर्ष 2010 में बार एसोसिएशन को एक शपथ पत्र दिया, जिसमें कहीं नौकरी न किए जाने का उल्लेख है। जबकि इस दौरान वह विद्यापीठ से वेतन ले रही थीं।
इस लेख श्रंखला की बाकी कडि़यां देखने-पढ़ने के लिए कृपया निम्न लिंक पर क्लिक कीजिएगा:-