मैं नर्गिस को आवारा में नहीं, मदर इडिया में खोजता हूं

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

नर्सिस से अब तक सर्वाधिक आत्मीय रिश्ते बने हैं मुझसे

कुमार सौवीर

लखनऊ : मुझे आपकी भावनाओं के बारे में सही-सटीक जानकारी तो है नहीं, लेकिन मुझे इतना जरूर पता है कि कोई न कोई शख्स में, किसी न किसी फिल्मी अभिनेत्री-अभिनेता को लेकर कोई न कोई भावनाएं जरूर उमड़ती हैं। मसलन, किसी को उनमें अपना रकीब, किसी में दोस्तन, प्रेमी, सन्तान, भाई-बहन, पिता, बुजुर्ग दादा-दादी, साली-जीजा खोजता-पाता है तो किसी को दुश्मन, हत्यारा, दानी, भिखारी, भावप्रवण आदर्श, शिक्षक वगैरह देखता है।

यह मानवीय पहलू होता है। हर शख्स किसी न किसी में अलग-अलग का रिश्ता् चुनता, मानता, सहेटता और निभाता रहता है। केवल इंसान ही नहीं, मेरा तो इतना अनुभव रहा है कि इंसान से इतर, कुत्ते तक में मैंने रिश्ते  कायम किये हैं। मेरे साथ लम्बे समय तक रही एक पॉमेरियन कुतिया ट्रिक्सी ने तो मुझे बेटी, बहन, मां और दादी तक की संवेदन का अनुभव कराया।

लेकिन जहां तक मेरा सवाल है, मुझे सर्वाधिक आकर्षित किया है नर्गिस ने। सबसे ज्यारदा पसंद आयीं मदर इण्डिया।

मां का चरित्र जो नर्गिस ने जिया है, वर्णन से परे है। क्यों, इसका जवाब मैं ही नहीं, आप भी नहीं दे सकते कि कब किस शख्स से आपका क्या रिश्ता बन सकता है। इसके बारे में तो मैं अपने पहले पैराग्राफ में दर्ज कर चुका हूं।

यकीन नहीं होगा आपको, लेकिन मैं आपको बताता हूं कि मैं बचपन से ऐसी ही मां की खोज करता रहा हूं। मुझे आवारा आदि फिल्मेंक दो कौड़ी की लगती हैं, जब मुझे मदर इण्डिया की याद आती है। सच बात तो यह है कि मैं नर्गिस को अपनी मां ही मानता हूं।

आज ही तो है नर्गिस का जन्मादिन।

आई लव यू मॉम

और हां, तुमको भी बधाई हो संजय दत्तत। कहीं न कहीं तो हम दोनों ही एक-दूसरे से करीब दिखते ही हैं।

हैं न ?

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