काबा में भी लोग आते रहे इन लोगों से मिलने
लखीमपुर की चार बहनें भाई के साथ पहुंचीं थी मदीना
इस्लाम धर्म का पाचवा फ़र्ज़ हज इस साल पूरा हो चुका है और हाजियों के आने का सिलसिला भी शुरू हो चुका है.उत्तर प्रदेश से भी बड़ी संख्या में हज को गए थे वही लखीमपुर खीरी जिले से भी इनकी संख्या अच्छी खासी थी.लेकिन इन सब हाजियों में क़स्बा खीरी के एक परिवार के पाच हाजियों की पहचान सबसे अलग थी.यह सभी सगे भाई बहिन थे.इनमे से एक भाई और अन्य चार बहने थी.जो सभी एक साथ इस्लाम के पाचवे रुकु हज को पूरा करने गए थे.इनकेनाम है सय्यदा खातून रिज़वी, मैमूना रिज़वी, केसरी रिज़वी, साजिदा रिज़वी और हमद रिज़वी। इनमे से तीन बहने रिटायर्ड शिक्षिकाएं है और भाई राजकीय पोलिटेक्निक उन्नाव में कार्यरत थे जबकि इनकी एक बहिन साजिदा रिज़वी एहसान अली स्कूल में टीचर के पद पर कार्यरत है.
इनके हज मुक़म्मल के चालीस दिन बाद कसबे में वापस आने के बाद घरो में लोगो के आने जाने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है और पूरे इलाके में चर्चा का विषय भी है.क्युकी ऐसा कम ही सुनने और देखने में आता है की एक साथ पाच भाई बहिन हज यात्रा पर गए हो.यह सभी पिछले महीने की २४ तारीख को लखनऊ एअरपोर्ट से जेद्दा के लिए एक साथ रवाना हुए थे। और उसके बाद तमाम हज अरकानो में पाचो ने एक दुसरे की बेहद मदद की.और वहा जिस होटल में इन सभी ने कयाम किया हुआ था वहा एक साथ इन भाई बहनों को देखने बड़ी तादाद में अन्य देशो के हाजी हाल चाल लेने आते रहे।
अल्हज सय्यदा खातून और मैमूना रिज़वी की माने तो यह सभी पाचो अन्य लोगो में खासे चर्चित हो चुके थे और कई हाजी इनसे मक्का मदीना शरीफ में कयाम के दौरान मिलने भी आये.और इन सभी को देख खासे खुश भी हुए.हाजी वसी अहमद बताते है की वहा पर इन लोगो से हाजी इतना खुश हुए की कोई भी ख़ास चीज़ इन लोगो तक ज़रूर आती थी.और लोग इस मोहब्बत को देख खासे खुश होते थे। बताते चले की हज के दौरान काफी लम्बी पैदल यात्रा करनी होती है.तब इन सभी ने एक दुसरे की काफी मदद कर हर अरकान को करने में सफलता हासिल की.
इनके परिजन अकील और आज़म की माने तो रात के समय भी आने जाने वालो का टाटा लगा रहता है लोग हाजियों से तो मिलने ज़रूर आते है पर इन पाचो के हज को देख लोग कायम हुई मिसाल को देख खासे खुश है और इनसे दुआ की दरखास्त भी कर रहे है.