मैं तो हमीरपुर में अवैध खनन की फोटो खींच कर वसूली करता था। तुम भी कमाओ, मुझे भी खिलाओ

सैड सांग

: न आकाश में हैं, न जमीन पर और न पाताल, यह है हिन्‍दी खबर जैसे चैनलों की असलियत : पत्रकारिता की नयी फैक्‍ट्री खोले हैं अपराधी-पत्रकार, खबर नहीं, वसूली का धंधा कराते हैं : खुद ही दलाल, और हिन्‍दी क्षेत्र में दलालों का झुण्‍ड खड़ा करने पर आमादा : पत्रकारिता का गंदा धंधा- चार :

कुमार सौवीर

लखनऊ : जीने का हक हर शख्‍स को है, लेकिन पत्रकारिता करोगे तो यह हक भी छिन जाएगा तुम्‍हारे पास से। खुद भूख से मरोगे और घरवालों को भी मार डालोगे। हां, अब नये दौर की पत्रकारिता करो, और आगे बढ़ जाओ। अब मुझे देखो, मैं तो बांदा का रहने वाला हूं। कुछ ही साल पहले मुझे कोई नहीं जानता था। अचानक मेरी समझ में आ गया और आसपास के इलाके में होने वाले अवैध खनन की फोटोज मैंने मोबाइल पर खींचना और उनमें लिप्‍त लोगों को दिखाकर हल्‍ला करने की धमकी दी। बस फिर क्‍या था। देखते ही देखते मेरे आसपास स्‍कॉर्पियों की भीड़ लगने लगी। और मैं जल्‍दी ही बांदा से दिल्‍ली पहुंच गया। और आज तुम के सामने मौजूद हूं। मैं बोल रहा हूं और तुम सब लोग मेरी बात सुन रहे हो। सफलता इसी को कहते हैं।

इस छोटे से हॉल में कोई 25-30 युवक अपना मुंह बाये सुन रहे थे और भारत के द ग्रेटेस्‍ट आर्थिक अपराधी माने जा चुके ठग-श्री सुब्रत राय की शैली में यह प्रवचन दे रहे थे नयी पत्रकरिता के प्रणेता अतुल अग्रवाल। जी हां, यह वही अतुल अग्रवाल, जिसका नाम आजकल हवा-हवाई न्‍यूज चैनल के नाम पर भारी उगाही करने के मामले में उछल रहा है। अतुल कहीं फिलहाल कोई सम्‍पर्क नहीं हो रहा है, लेकिन बरेली से लेकर दिल्‍ली तक में कई लोग उसे खोज रहे हैं, जिनसे अतुल ने भारी उगाही करायी थी। खासकर अपने एक सम्‍पादक अमितेश श्रीवास्‍तव को बर्खास्‍त करने के मामले में अतुल अग्रवाल का पूरा भाण्‍डा फूट चुका बताया जाता है।

अभी ज्‍यादा वक्‍त नहीं हुआ है, जब अतुल अग्रवाल खुद को देश के महानतम और पराडकर परम्‍परा के श्रेष्‍ठ पत्रकार के तौर पर कहलाते-सम्‍मान दिलाते घूमते रहते थे। न्‍यूज पोर्टल मेरी बिटिया डॉट कॉम को बीसियों फोन आ चुके हैं, जिनमें अतुल अग्रवाल द्वारा की गयी धोखधड़ी की शिकायतें हैं। इन शिकायतों में लखनऊ वाले आफिस के लिए फर्नीचर, क्रॉकरी, किचन, कम्‍प्‍यूटर, फोन वगैरह के लिए भारी उगाही के किस्‍से दर्ज हैं।

लेकिन इससे बड़ी खतरनाक और चौंक डालने वाली खबर तो यह है कि अतुल अग्रवाल ने कम से कम यूपी में नये जोशीले, उत्‍साही, कुछ खास कर डालने की उमंग रखने वाले युवकों को केवल सब्‍जबाग दिखाये और उनको भ्रष्‍ट कराने की फैक्‍ट्री के तौर पर तब्‍दील कर दिया। मेरी बिटिया डॉट कॉम टीम के पास पहुंचे ऐसे फोन में बताया गया है कि हर जिले में ऐसे उत्‍साही युवकों को रिपोर्टर बनाने के लिए पहली शर्त यह रखी गयी कि वह अपने जिले के प्रत्‍येक विधानसभा-क्षेत्र से दस हजार रूपया प्रतिमास उगाह कर इस फर्जी न्‍यूज चैनल हिन्‍दी खबर मुख्‍याल तक भेजेगा। और अगर इस अनिवार्य शर्त का पालन नहीं किया गया तो उस रिपोर्टर को इस फर्जी चैनल में पत्रकारिता नहीं करनी दी जाएगी। उसकी एवज में किसी अन्‍य उत्‍साही युवक को नियुक्‍त कर दिया जाएगा।

सूत्र बताते हैं कि अतुल अग्रवाल ने इन युवकों से कहा था कि वे अपने विधानसभा क्षेत्र के नेताओं-विधायकों से उनके प्रचार के लिए डाक्‍यूमेंट्री और न्‍यूज क्लिप खबरों के नाम पर रकम उगाहें। और जो नेता पैसा दे दें, उनकी खबरों को शूट करके मुख्‍यालय पर भेज दें। जब कुछ पत्रकारों ने पूछा कि बिना कैमरा के यह शूटिंग कैसे होगी, अतुल ने गुस्‍से में कहा कि माइक-आईडी दे दी गयी है, वही बहुत है। बाकी व्‍यवस्‍था तुम लोग खुद करो। जैसे मैं पहले मैं करता था। अगर कैमरा नहीं मिले, तो मोबाइल से शूट करके भेजो। कई रिपोर्टरों ने ऐसा किया भी, लेकिन आज तक यह नहीं बताया गया कि उनकी खबर किस चैनल या किस नम्‍बर पर चली, या कब चलेगी। जाहिर है कि यह पूरा फर्जी धंधा था, जिसमें पत्रकारिता की चकाचौंध में बेहाल लेकिन उत्‍साही युवकों ने अतुल अग्रवाल के झांसे में अपनी इज्‍जत, पैसा और समय भी लुटा दिया।

मेरी बिटिया डॉट कॉम को मिली सूचनओं से साफ पता चलता है कि अतुल ने अतुल अग्रवाल ने केवल हवा-हवाई चैनल के नाम पर गजब और लाजवाब उगाही कर डाली। नाम दिया न्‍यूज चैनल का, लेकिन एक भी कर्मचारी या रिपोर्टर-स्ट्रिंगर्स को कैमरा, आफिस वगैरह नहीं दिया। केवल माइक-आईडी थमा दी। लेकिन इस शर्त पर, कि कैसे भी हो, खबरें भेजना है। वायदा किया कि इन खबरों का भुगतान दिया जाएगा, लेकिन छह महीनों तक काम कराने के बावजूद कोई भी धेला तक नहीं दिया गया।

ज्‍यों-ज्‍यों यूपी में चुनाव की तारीखें नजदीक आने लगी हैं, पत्रकारों और खासकर न्‍यूज चैनलों की पौ-बारह होती जा रही है। नये-नवेले और हाल ही पैदा हुए न्‍यूज चैनल इस गंदे धंधे में लगातार बैटिंग करने में आमादा हैं। इसके पहले भी कई पत्रकार बड़े अफसरों से हुई बातचीत को वायरल करने का गंदा धंधा करने में फंस चुके हैं। बहरहाल, अगले अंक में आपको हम सुनायेंगे इस बर्खास्‍त-शुदा सम्‍पादक की बोली-भाषा, जो किसी शातिर मवाली, गुण्‍डे और हत्‍यारे तक को मात दे सकती है। इस से जुड़ी खबरों को देखने के लिए निम्‍न लिंक पर क्लिक कीजिएपत्रकारिता का गंदा धंधा

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