रक्षाबंधन: आइये। आज अपनी सिमरनों को मरने से बचा लिया जाए

मेरा कोना

क्यों न हम खुद बन जाएं किसी सिमरन का भैया

: रक्षाबंधन के दिन हम सब को छोड़कर चली गयी सिमरन : मायके में बेटियों को तंदुरूस्त रखने के बजाय, उन्हें दूसरों में थोपने की प्रवृत्ति : नहीं, सिमरन तुम्हाररा फैसला गलत ही था :

कुमार सौवीर

लगे रहो मुन्ना भाई की सिमरन को मुन्ना भाई मिल गया और उसकी जान बच गयी, लेकिन जनाब वह फिल्म थी। आइये हम आपको लखनऊ के पास के ही एक शहर में घटी एक ऐसी वारदात से रू-ब-रू कराते हैं जहां एक सिमरन ने मुन्ना भाई के अभाव में आखिरकार अपने मायके की तीसरी मंजिल से कूद कर आत्महत्या कर ली। दो साल पहले। यह किस्साह इसलिए बयान करना जरूरी है ताकि अब हम-आप में से कोई लक्की ( बमन ईरानी ) सिंह बनने की हिमाकत ना कर सके और ना ही हमारी बेटियों को मौत का दामन सम्भालने पर मजबूर होना पडे।

तो आइये। लेकिन बात समझने में आसानी के लिए स्थान और पात्रों का कोई भी नाम रख लेते हैं। लडकी तो सिमरन ही ठीक रहेगी। पिता भी लक्की सिंह को ही बनाया जाए। शहर का नाम शहादत नगर कैसा रहेगा ? मोहल्ला कट्टर पुरवा। बस। मुझे लगता है कि अब शुरूआत की जा सकती है। शहादतनगर के कट्टर पुरवा की एक निहायत सुशील और हंसमुख लडकी सिमरन की शादी एक साल पहले ही लखनऊ के एक युवक से हुई थी और वह बीस दिन पहले ही रक्षाबंधन पर अपनी ससुराल आयी थी। अभी कुछ ही दिन पहले ही अपने मायके की तीसरी मंजिल से 23 साल की सिमरन नीचे गिर गयी।

बहरहाल, घायल सिमरन को फौरन अस्पताल पहुंचाया गया, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। हैरत की बात यह है कि लक्की सिंह ने पास ही एक बडे अस्पताल के बजाय घर से सात किलोमीटर दूर एक दूसरे सरकारी अस्पताल में उसे भिजवाया था जहां उसके एक रिश्तेदार डाक्टर थे। खबर पाकर ससुरालवाले भी पहुंचे, लेकिन सिमरन की लाश उन्हें नहीं दी गयी और अंतिम-संस्कार मायके वालों ने ही कराया।

लक्की सिंह ने पत्रकारों को बताया कि सिमरन कपडे सुखाने छत पर गयी थी और फिसल कर गिर पडी। जबकि पुलिस को बयान दिया गया कि सिमरन फोन पर किसी से बात कर रही थी, और अचानक नीचे गिर पडी। सवाल यह है कि एक पिता को यह बयान बदलने पर मजबूर क्यों होना पडा और क्यों आखिर सिमरन की लाश उसके ससुरालवालों को नहीं दी गयी।

आइये, हम आपको बताते हैं आपको कि मामले की हकीकत क्या थी। इस हादसे से आहत सिमरन के ससुरालवालों ने जब पास-पडोस से पूछताछ की तो कुछ दूसरी ही कहानी सामने आयी। ससुरालवालों का कहना है कि दरअसल सिमरन को बोन टीबी थी। लेकिन शादी के वक्त इस तथ्य को ससुरालवालों से छिपा लिया गया। ससुरालवाले सिमरन पर तो फिदा थे, मगर इस हकीकत से अनजान वे अंधेरे में ही रहे। सिमरन ब्याह कर लखनउ चली आयी और कुछ ही दिन में हर ससुरालवालों को ही नहीं, पासपडोस के लोगों को भी अपना मुरीद बना लिया। सभी मुक्त-कंठ से सिमरन की तारीफ करते नहीं थकते थे। लेकिन कुछ महीनों से सिमरन उदास रहने लगी।

रक्षाबंधन पर मायके जाते समय तो वह बेहद थकी हुई लग रही थी। पूछने पर भी किसी को नहीं बताया, सिवाय एक कमजोर सी मुस्कुराहट के। ससुरालवालों के अनुसार सिमरन का लम्बा इलाज इलाज शादी के पहले से ही चल रहा था। मायकेवालों ने शादी के बाद सिमरन से कहा कि अब वे उसका इलाज नहीं करा सकते। चूंकि यह शादी धोखे में रख कर करायी गयी थी और अब इससे ज्यादा धोखा अपनी ससुरालवालों को नहीं देना चाहती थी सिमरन। रक्षाबंधन में उसने अपनी यह मजबूरी अपने पिता लक्की सिंह को बतायी, मगर लक्की सिंह साफ इनकार कर बैठे। सिमरन पर यह इनकार किसी हादसे की तरह गुजरा और वह मायके की तीसरी मंजिल से नीचे कूद गयी। यानी लक्की सिंह अपनी बेटी को भार समझता था। और किसी भी कीमत पर वह उसकी शादी कर इस मामले से हाथ छुडा लेना चाहता था। लाश इसलिए उसने सिमरन के पति को नहीं सौंपी क्योंकि उसे डर था कि कहीं मामला ना खुल जाए।

सवाल और भी हो सकते हैं। एक नहीं, सैंकडों और हजारों-लाखों। मगर सिमरन तो अकेली ही थी ना ? एक बेइंतिहा प्यारी बच्ची इस दुनिया को झूठ के चक्कर में पडकर हमेशा के लिए छोड गयी। क्या हम अपनी बेटियों को ऐसी ही सिमरन बनता देखना चाहते हैं। क्या हमें शादी जैसे रिश्ते में भी हम झूठ का सहारा लेना चाहते हैं, भले ही उसकी कीमत हमें अपनी जान से भी ज्यादा प्यारी सिमरन की जान से चुकानी पडे।

और सिमरन ! तुमने यह क्या कर डाला ? चलो ठीक है कि तुम्हारे मायकेवालों ने तुम्हें नहीं समझा, मगर ससुरालवालों ने तो तुम्हें बेइंतिहा प्यार तो दिया ही था। कह देतीं तुम अपने पति, सास या ननद से। जब हर कोई तुम्हें प्यार करता था फिर तुम्हें डर किस बात का था तुम्हें ?

चलो, जो हुआ, ठीक तो नहीं ही हुआ। लेकिन तुम्हारी इस कहानी को पढ कर ना जाने कितनी सिमरनों की जान बच जाएगी। हम तुम्हें बहुत मिस करेंगे सिमरन।

मेरी प्यारी सिमरन। हम हमेशा तुम्हें याद रखेंगे, दूसरी सिमरनों को बचाने के लिए।

अलविदा सिमरन, अलविदा

इस पूरे प्रकरण को अगर आप देखना चाहें तो कृपया क्लिक करें:- रक्षाबंधन के दिन सिमरन

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