करै छिनारा गावै आरती, चाची-चाची गोहरावैं

बिटिया खबर

लानत है कायस्थ समाज के ऐसे अलम्बरदारों पर

एस ए अस्थाना

भोजपुरी में एक कहावत बहुत प्रचलित है ” अरहरी के खेते में खीचे जाय – और चाची चाची गोहरावत जाय ” !

मित्रो कुछ ऐसी ही स्थिति आज कायस्थों की होकर रह गयी है ! आयोजन करेंगे ” कायस्थ वैवाहिक परिचय ” सम्मलेन का ! सम्मलेन में कसमें खायेंगे कि शादी में एक भी पैसा दहेज़ नहीं लेंगे लेकिन हकीकत तो यह है कि दहेज़ की सारी सीमाए यहाँ तोड़ दी जाती हैं !

कायस्थों के नाम पर साल भर ” विधवा प्रलाप ” करेंगे लेकिन इकट्ठे होने सिर्फ ” होली मिलन ” या फिर ” कलम दवात की पूजा ” के नाम पर ! शर्मनाक तो यह है कि इस दौरान अगर कोई कायस्थ ( निर्धन)  मर जाय तो उसके कफ़न के लिए भी हम एक नहीं होते, उस बिचारे को मोहल्ले के लोग चन्दा देकर कफ़न लाते हैं, उसका दाह संस्कार करते हैं ! तब जब उस गरीब परिवार को समाज के कथित ठेकेदारों की जरूरत होती है। अपनों से उम्मीद होती है तो कायस्थों के नाम पर अनर्गल प्रलाप करने वाले धंधेबाजों का कहीं अता-पता नहीं चलता ! गायब तो ऐसे हो जाते हैं जैसे गधे के सर से सींग !

लानत है कायस्थ समाज के ऐसे अलम्बरदारों पर ! ! जय चित्रांश !! सावधान बहुरूपियों से …..

(एस ए अस्थाना की फेसबुक वाल से। मूलत: जौनपुर के रहने वाले श्री अस्थाना प्रखर विचार पत्रिका के सम्पादक हैं और लखनऊ में ही रहते हैं।)

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