अलविदा सिमरन, लेकिन अब हम तुम्हें खोजेंगे जरूर

मेरा कोना

बेटियों की सेहत नहीं, उन्हें दूसरों पर थोपने की प्रवृत्ति

रक्षाबंधन के पावन अवसर पर मैंने सिमरन की दर्दनाक कहानी बयान की थी। फेसबुक पर उसे पोस्ट किया तो कई दर्दनाक पीड़ाओं से साक्षात्कार हुआ।

आइये, आप भी देखिये इन टिप्पणियों को:-

Nutan Thakur :  इस देश के सभी सिमरन का दुर्भाग्य है कि उन्हें पिता के रूप में ऐसे लकी सिंह मिल रहे हैं जिन्हें सिर्फ खुद से और अपनी इज्ज़त से प्यार है और जो हर कीमत पर अपनी नाक ऊँची रखने के लिए अपनी सिमरन कि पूरी तरह तिलांजलि दे देते हैं. सौवीर जी, आपने यह गंभीर समस्या उठा कर वास्तव में एक नेक काम किया है .

सबसे अधिक गंभीर मुद्दा यह है कि ये समस्या माध्यम वर्ग की सबसे बड़ी समस्या बन गयी है और “लोग क्या कहेंगे” के भय से हम अपने खुद के बच्चों के जीवन से खिलवाड़ करते हुए भी नहीं हिचकिचाते. हमारी पूरी सोच का दायरा ही इस बात तक सिमट कर रह जाता है कि यदि घर में बच्ची पैदा हुई हो तो उसे किसी भी तरह से दुसरे घर में विदा कर दें और अपनी जिम्मेदारी से मुक्ति मान लें. इसमें उस बच्ची की भलाई और बुरे का कोई स्थान नहीं रह जाता है

Neha Joy Chauhan : ऐसे ही सैकड़ो सिमरन रोज अपनी जान देती होंगी…. विडम्बना देखिये कोई लड़की का बोझ शादी करके जल्दी से अपने सर से उतर देता है और कुछ होशियार लोग इस बोझ को सर पर आने ही नहीं देते….. समझ नहीं आता…. लड़की को बोझ का दर्जा दिया गया था….और दुनिया के तमाम बोझ उठाने वाला मजदूर भी बना दिया गया….

अगर नाक बेटी से बड़ी है… तो लगता है की अब कोई नकटो की दुनिया बसानी होगी…..

Kumar Sauvir  : हां, मगर फिर तो नकटों को देखने-निहारने वाली लडकियां भी नहीं होंगी। इन नकटों को इतनी भी समझ नहीं।

वैसे तुम्हें गर्व होना चाहिए नेहा कि तुम्कारे माता पिता तुम पर जान छिडकते हैं, तुम्हारे पर उनका भरोसा बेहद है। तभी तो तुम इतना आगे बढ रही हो। अब यह तुम जैसी सिमरनों का दायित्व है कि अपने माता पिता को ना तो ठेस पहुचाओ और ना ही वह सिमरन बनो जिसने खुदकुषी कर ली। तुमको एक साहसी सिमरन बनना है। वादा तो करो कि दूसरी लडकियों को भी बहादुर सिमरन बनाओगी।

Neha Joy Chauhan : कोशिश वही है…… अब कोई सिमरन न मरे…….

Kumar Sauvir  : नेहा। मैंने हर बार तुमको यही कहा है। बस हौसला और जज्बा रखो। तुम देखेगी कि आखिरकार तुम ही जीतोगी। कोई और जीत भी जाए, फिर भी जीत तुम्कारी ही होगी। यकीन रखो।

Neha Joy Chauhan :  ji sir…

Sumant Mishra : ईश्वर सब को सद्‌बुद्धि दे।

Monalisa Chaudhari  : The girls have to prove themselves that they are not burden…The end of life is no solution.. We have to strongly inculcate in our children that there is a road beyound the dark, rough, stony tunnel, which is brighter,and smoother.. All I have to say iis what I strongly believe…

Koi Dukh sahas se bada nahi..

vahi hara jo lada nahi..

लखन मिश्र : kash ki ye sab dohraya na jai………….padhkar,sunkar ya dekh kar ye sab bardast nahi hota,,,? kyon karte hain log apni simran ke sath….jise bade jatan se palte hain ……….

Aditya Kumar Yadav:  hi………….

Arti Rai : Simran ki dil ko chu lenewali kahani nahi sachai ko pad kar dil dahal gaya,

betiya toh apne ghar ki laxmi hoti hai aur sadi ke bad apne pati ke ghar ki luxmi, fir log beti ko bojh samajh ke kyu palte hai, meri ek saheli thi jo padne me bahut hosiyar lekin unke maa, baap unhe padane ke bajay jaldi se sadi kara diya aur unke bhai jo padna nahi chahate the unhe padne pe jor diya aur wo har sal fail hote gaya, aaj kal wo garage me mistri ka kaam kar raha hai.

Suresh Gandhi : sir ji k pranaam

इस पूरे प्रकरण को अगर आप देखना चाहें तो कृपया क्लिक करें:- रक्षाबंधन के दिन सिमरन

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *