पुलिस का नाम, यानी अपराध की गारंटी: उप्र की कानून-व्‍यवस्‍था

बिटिया खबर

: वर्दी में गुंडा, काम दोकौड़ी का, झूठ गले तक, कत्‍ल, उगाही बेतहाशा : राजधानी लखनऊ से लेकर कासगंज, गोरखपुर, जौनपुर से लेकर पूरे यूपी में पुलिसवालों की अराजकता बेतहाशा : कानून-व्‍यवस्‍था का नंगा हम्‍माम बनाया पुलिसवालों ने : अपने दिमाग, जुबान, दिल-दिमाग, वर्दी, कुर्सी, दायित्‍व और अपने विभाग की बेहूदगी बिलकुल नंगी :

कुमार सौवीर

लखनऊ : जी हां, सच तो यही है कि वर्दी पहले यूपी का पुलिस महकमा के लोग अब सरासर झूठ, गुंडागर्दी, उगाही और किसी भी सीमा तक उतर कर अपनी अराजकता कायम करने पर आमादा है। यूपी के कई जिलों में कानून को अपने खाकी जूतों से रौंद कर पुलिसवालों ने व्‍यवस्‍था और योगी सरकार के चेहरे पर जो कालिख पोती है, वह बेमिसाल है। ताजा कुछ बरसों में तो पुलिसवालों ने फर्जी मामलों को अपनी उपलब्धि, जमीनी अपराधों को छिपाने और उगाही का एक नया धंधा शुरू किया है, वह अब गोरखपुर में एक होटल में मनीष गुप्‍ता की हुई बेरहम हत्‍या के तौर पर उजागर हुई है। बेशर्मी की हालत तो यह है कि यूपी के अपर पुलिस महानिदेशक (कानून-व्‍यवस्‍था) की कुर्सी पर बैठे प्रशांत कुमार जैसे अधिकारी ने भी अपने दिमाग, अपनी जुबान, अपने दिल-दिमाग, अपनी वर्दी, अपनी कुर्सी, अपने दायित्‍व और अपने विभाग की बेहूदगी को बिलकुल बाजारू और नंगा बना दिया।

ताजा बेशर्मी:-
जरा उस बाप की दिमागी हालत का अंदाजा लगाइये, जिसका 22 बरस के बेटे की मौत हो गयी हो। वह भी तब, जब जनचर्चाओं के अनुसार उस मौत की वजह रही पुलिस की प्रताड़ना। वह भी तब, जब नारकीय प्रताड़ना का सबसे बड़ा अड्डा यानी थाने के हवालात में यह मौत हुई हो, और उस मौत को आत्‍महत्‍या के तौर पर प्रचारित किया जा रहा है। इतना सब होने के बावजूद उस जवान बेटे की लाश पड़ी हो, और उसका बाप उस लाश को पुलिस प्रताड़ना से बिलकुल निर्दोष कर बाकायदा पुलिस के पक्ष में लिखी गयी एक अर्जी पर अपना अंगूठा लगा रहा हो। इतने तथ्‍यों के आलोक में कोई भी सामान्‍य व्‍यक्ति सहज ही अंदाज लगा लेगा कि इस मौत का कारण कौन है।
कासगंज के एक थाने की हवालात में जिस तरह दो फीट ऊंचे की टूटी टोंटी से लटक कर एक युवक द्वारा फांसी लगा कर आत्‍महत्‍या का ढोंग किया गया है, वह अपनी ताजा अराजकता और हत्‍या तक सीमा तक उतर चुकी हत्‍यारे चरित्र को एक बार फिर उजागर कर रही है। पूना में इंजीनियर होने के बाद आईपीएस अफसर बना यह पुलिस अफसर मोहित प्रमोद बोत्रे आज भी इस बात पर अडिग है कि दो फीट वाली टूटी हुई टोंटी पर साढ़े पांच फीट का युवक अपने जांघिया के नाड़े से फांसी लगा कर हवालात में जमीन पर लेट गया। यह हालत है तकनीकी ज्ञान रखने वाले इंजीनियर से बड़ा दारोगा बने इस पुलिस अफसर की।
हत्‍या की गयी है

गोरखपुर में बेशर्मी
एक कोतवाल अपनी उगाही के लिए अपने इलाके के कुछ बड़े होटलों पर भी किसी शातिर आपराधिक गिरोह की तरह अपने साथी पुलिसवालों की तरह एक टोली बनाता है। क्षेत्र के कई व्‍यावसायिक मामलों में वह छापामारी की अंदाज में पहुंचता है, और उसे अथवा वहां मौजूद लोगों के साथ लूटपाट करता है। ऐसी घटनाओं में अगर कोई अलिखित रकम या सामान मिल जाता है, वह कोतवाल और उसका गिरोह उसे जब्‍त कर लेता है। इतना ही नहीं, अपने शिकार के साथ वह किसी अपहर्ता की तरह व्‍यवहार करता है और उसे फर्जी मुकदमे दर्ज कर उसे जेल भेज कर उसका जीवन बर्बाद करने धमकी देता है। यह करतूत पिछले कई बरसों से है और मुख्‍यमंत्री आदित्‍यनाथ योगी के करीबी और गोरखपुर के एक विधायक से उस कोतवाल से खासी दोस्‍ती और करीबी है। इसी के चलते वह कई बरसों से इस पूरे इलाके में लूटपाट कर रहा है।
लेकिन पिछले कुछ दिन पहले आधी रात के आसपास इसी कोतवाल जगत नारायण सिंह के नेतृत्‍व वाले उस गिरोह ने एक बड़े होटल पर धावा बोला, और होटल रजिस्‍टर चेक करने के बजाय सीधे एक खास कमरे पर वे लोग टूट पड़े। जबकि यह बिलकुल गैरकानूनी है। लेकिन वहां तू-तू मैं-मैं हुई, तो मनीष गुप्‍ता नामक एक युवक को उस गिरोह ने इतना पीटा कि उसकी मौत हो गयी। बात देश-दुनिया तक पहुंची तो यूपी में कानून-व्‍यवस्‍था थामे एडीजी प्रशांत कुमार ने सरासर झूठ बोल दिया कि मनीष गुप्‍ता जांच करने वाले पुलिसवालों के सामने आधार कार्ड नहीं दे पाने के चलते मौके से भागा और फिस कर उसकी मौत हो गयी। लेकिन इस पर कोई चर्चा नहीं कि इतनी रात को ऐसी छापामारी की क्‍या वजह थी, रजिस्‍टर पर सारे तीनों लोगों के सारे आधार कार्ड की फोटो और इंट्री मौजूद थी, तो उसके कमरे में जाने की जरूरत क्‍या था, और उसे कमरे में पीटा क्‍यों गया। यह बयान जब झूठा साबित हुआ तो गोरखपुर के एसएसपी विपिन टांडा ने मामले को एक नये झूठ के साथ पेश किया कि तीन हजार पुलिसवालों की गोरखपुर वाली पुलिस के चरित्र से तीन पुलिसवालों की करतूत को नहीं आंका जा कर उसकी छवि धूमिल नहीं की जा सकती है। हद है, भोजन करने वाले हाथ से तुम सौंचने कर रहे हो, और चाहते हो कि तुम्‍हारा यशोगान होता रहे।

लखनऊ की हवालात में हत्‍या
करीब डेढ़ बरस पहले लखनऊ के गोमतीनगर विस्‍तार थाने के हवालात में ठीक इसी तर्ज में एक युवक की भी मौत हो चुकी थी। तर्ज ठीक वही थी, जो कासगंज की हवालात में हुई। उम्र थी करीब 20 वर्ष। इस युवक कोपुलिस दो जुलाई-2020 को उसे गोमती नगर विस्‍तार क्षेत्र में रात करीब डेढ़ बजे एक निर्माणाधीन मकान में पकड़े जाने की बात कर रही है, जहां वह चोरी कर रहा था। लेकिन वह साढ़े छह बजे थाना ले जाया गया। वहां साढ़े आठ बजे उसे हवालात भेजा गया, लेकिन कुछ ही देर बाद उसकी मौत हो गयी। पुलिस ने बताया कि उस युवक ने हवालात की खिड़की से अपनी बेल्‍ट लगा कर आत्‍महत्‍या कर ली थी।
लेकिन यह सरासर झूठ बोला था पुलिस ने, कि वह मजदूर था। सवाल यह है कि एक निर्माणाधीन मकान में ऐसा क्‍या था, जिसकी चोरी कर सकता था वह युवक। यह मकान जल्‍दी ही डीआईजी पद से रिटायर हुए व्‍यक्ति का था। आधी रात उसे उस मकान में पकड़ा और उसकी सुबह सवा छह बजे तक जम कर पिटाई की गयी। फिर उसे पुलिस के हवाले कर गोमतीनगर विस्‍तार थाने पर ले जाया गया। अपनी बेतरह हुई पिटाई से बुरी तरह और लगभग बेहोश हो चुके यह युवक थाने में मुंशी के पास पड़ा रहा। साढ़े आठ बजे सुबह वह डीआईजी थाने पर गया और उसे मुंशी के पास लेटा देख कर गुस्‍सा गया और पुलिसवालों को गालियां देकर उसे हवालात में भिजवाया। फिर खुद ही हवालात में गया और उस युवक को नौ बजे तक फिर मारा, और फिर अपने घर चला गया। लेकिन उसके चंद मिनट बाद हवालात देखा गया तो पाया कि वह युवक मर गया है। खिड़की से बेल्‍ट लगाने की बात झूठ थी। सूत्र बताते हैं कि यह मामला ऑनर-कालिंग का था। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि पोस्‍टमार्टम में युवक के गले में एक हाथ के गले में अंगूठे का निशान नहीं मिला है। उस डीआईजी का अंगूठा भी नहीं है। यानी इश्‍क के इस मामले में पकड़ा गया वह युवक किसी निर्माणाधीन मकान पर नहीं, बल्कि कहीं और पकड़ा और पीटा गया। इतना पीटा गया कि उसकी मौत हो गयी।
लेकिन इतने तथ्‍य होने के बावजूद पुलिस ने अब तक उस डीआईजी पर कोई भी कार्रवाई नहीं की।

नवजात देवी का कत्‍ल
बीते छह नवम्‍बर की सुबह एक पुल से एक नवजात बच्‍ची को फेंक दिया गया। देखने वाले बच्‍ची को लेकर अस्‍पताल ले गये, जिला अस्‍पताल में फार्मासिस्‍ट और डॉक्‍टरों की करतूतों के चलते इस तीमारदार लोग बच्‍ची को लेकर दो निजी अस्‍पतालों में गये। खबर देने के बावजूद पुलिस ने इस मामले को लगातार टालने की कोशिश की। लेकिन काली कुत्‍ती अस्‍पताल में उस बच्‍ची की ब्राटडेड बताया गया। तीमारदार उसे लेकर गोमतीनदी ले गये, जहां उसे पानी में प्रवाहित कर दिया गया।

मौत पर झूठ: कासगंज में पांच सस्‍पेंड, जौनपुर नंग-धड़ंग

योगी ने जिसे अपनी देवी माना, अफसरों ने मार कर नदी में फेंका

बेटा है, शुक्र है। बेटी होती तो मार कर गायब कर देते यह लोग

नन्‍हीं बच्‍ची की लाश को कच्‍चा चबा गये डीएम-एसपी

तुम्‍हारी नवजात बिटिया नदी में प्रवाहित, तुम बेफिक्र

यह मामला है जौनपुर का। घटना है शहर के कलीचाबाद इलाके की। पूरी खबर होने के बावजूद दारोगा से लेकर एएसपी तक लगातार मामले को टालते रहे। खुद को एनकाउंटर का महारथी कहलाने और अनुशासनहीन होने के बावजूद एसपी होने के बजाय खुद को एसएसपी होने का ऐलान करने वाला अजय साहनी ने उस घटना को तनिक भी संज्ञान नहीं लिया। मनीष कुमार वर्मा भी इस मामले पर हाथ पर हाथ रखे रहे, जबकि कोई एक पखवाड़ा पहले ही योगी ने गोरखपुर मठ में कन्‍या-पूजन के दौरान ऐलान किया था, कि असली देवियां तो यह कन्‍याएं ही हैं और उनकी सुरक्षा पर कोई भी लापरवाही नहीं होगी।

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