: आधी रात के हादसे को सुबह की घटना बताया, डीजीपी ओपी सिंह तो बिलकुल बकलोल साबित हो गये : पुलिस प्रमुख से लेकर डीएम तक सब नंग-धड़ंग, निर्वस्त्र, बेनकाब : अफसरों के पर कतरने की कवायद में डीजीपी का स्टाफ-अफसर हलाक :
कुमार सौवीर
लखनऊ : विवेक तिवारी हत्याकांड में प्रशासन और पुलिस अफसरों ने जो-जो करतूतें की हैं, उसे देख कर किसी का भी सिर शर्म से झुक जाएगा। शर्मनाक बात तो यह रही कि हत्या के बाद एसएसपी कलानिधि नैथानी अपनी पुलिसिया कलाकारी में जुटे थे और हत्यारों को बचाने की साजिशें बुन रहे थे, वहीं डीएम कौशलराज शर्मा अपनी बेशर्मी पर आमादा होकर विवेक के घर पहुंचे और विवेक की विधवा को डांटने लगे, चिल्लाने लगे। उधर डीजीपी ओपी सिंह तो बिलकुल बकलोल साबित हो गये। किसी मासूम चॉकलेटी-ब्वाय की तरह ओपी सिंह ने जो भी बयान दिया, वह झूठा तो था ही, साथ ही साथ लापरवाही और बेशर्मी की चाशनी से लिपटा था।
यह है प्रशांत चौधरी, जो डीजीपी ओपी सिंह और एसएसपी कलानिधि नैथानी का चहेता सिपाही। एप्पल के एरिया मैनेजर विवेक को इसी हत्यारे ने मौत के घाट उतारा था। इस इलाके में प्रशांत चौधरी की दहशत है। इस पूरे इलाके में जितने भी ठेले-गुमटी वाले हैं, वे प्रशांत चौधरी को पीसी डॉन के तौर पर पहचानते हैं। किसी को भी पकड़ कर पैसा उगाह लेना, किसी को भी बेइज्जत कर देना, गुजरती महिलाओं पर कमेंट पास कर देना प्रशांत का शगल है। बताते हैं कि इस अदने से सिपाही की रोजाना ही उगाही दस हजार रूपयों से अधिक रही है।
और इसी हत्यारे प्रशांत चौधरी की आवभगत पुलिस के बड़े अफसरों और पुलिसवालों ने खूब की। केवल उसका स्वागत-सत्कार ही नहीं, बल्कि उसे एक से दूसरे थाने तक पहुंचाने में भी पुलिसवालों ने खूब मेहनत की। वह भी तब, जब सुबह ही अपनी कलानिधि नैथानी ने ऐलान किया था कि प्रशांत और उसके साथी सिपाही को गिरफ्तार कर लिया गया है, लेकिन सच बात यह रही कि प्रशांत चौधरी को पूरे दौरान छुट्टा ही छोड़ा गया, थानों पर हंगामा करता रहा। इसमें उसकी पत्नी भी किसी दंगाई की भूमिका में दिखी। जबकि एसएसपी के बयान के मुताबिक प्रशांत को हवालात में होना चाहिए था। कलानिधि नैथानी ने इस मामले में बहुत मेहनत की, उसने कार में विवेक की साथी सना खान को अपनी गिरफ्त में रखे रखा। और मनचाहा कागजों पर दस्तखत कराया।
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योगी-राज में हत्यारी है यूपी की पुलिस, और बेशर्म हैं डीजीपी ओपी सिंह
खैर यह तो रही एसएसपी की करतूत। अब जरा देख लीजिए कि सूबे के सबसे बड़े दारोगा की भूमिका इस मामले में क्या रही।
तो आपने सुना कि यूपी का सबसे बड़ा दारोगा यानी डीजीपी ओपी सिंह का क्या बयान है। ओपी सिंह बोल रहे हैं कि यह हादसा सुबह हुआ। यानी डीजीपी की सर्वोच्च कुर्सी पर बैठे इस शख्स ओपी सिंह तो यह तक पता नहीं है कि यह हादसा कब हुआ। आइये, हम आपको दिखाते हैं घटना की रात का वह वीडियो-फुटेज, जिसमें साफ-साफ दर्ज है कि यह घटना रात एक बज कर 19 मिनट के आसपास हुई थी।
इतना ही नहीं, ओपी सिंह ने बयान दिया था कि हादसे के समय जब पुलिसवालों ने इस कार में बैठे लोगों को बाहर निकल कर बातचीत करने का आदेश दिया था, उस समय कार खड़ी हुई थी। मगर सच बात यही है कि इस मामले में ओपी सिंह बिलकुल नंगा दिखायी पड़ रहे हैं। ओपी सिंह के बयान के ठीक उलट विवेक के साथ कार में बैठी सना खान का बयान सुन लीजिए, जिसमें सना साफ-साफ कह रही है कि उस वक्त कार खड़ी नहीं थी, बल्कि चल रही थी और पुलिसवालों ने उसे जबरन रोक कर अभद्रता करना शुरू कर दिया था।
चलो यह भी, मान लेते हैं कि इस घटना पर सना खान भी झूठ बोल रही है। लेकिन ओपी सिंह के झूठ का अकाट्य प्रमाण हमारे पास मौजूद वह वीडियो है, जो उस वक्त एक मकान पर लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हुआ था। इस वीडियो में विवेक तिवारी की कार गुजरती हुई साथ दिख रही है।
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बड़ा बाबू
कुछ भी हो, क्या डीजीपी ओपी सिंह, डीएम कौशलराज और एसएसपी कलानिधि नैथानी इस पूरे मामले में पूरी तरह नंग-धड़ंग दिख रहे हैं। निर्वस्त्र, बेनकाब। लेकिन ऐसा नहीं है कि हुकूमत को इसका अहसास नहीं है। योगी आदित्यनाथ ने इस मामले पर कड़ा रूख अपनाया है। इसके पहले भी पुलिस की करतूतों से योगी खासे नाराज चल रहे थे। हाल ही जिस तरह उन्होंने डीजीपी के मुंहलगे स्टॉफ-आफिसर राहुल श्रीवास्तव को डीजीपी आफिस से खदेड़ने का हुक्म जारी किया था, उससे साफ है कि योगी अब ओपी सिंह के पर कतरने पर आमादा हैं। बताते हैं कि यह तबादला सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय के हस्तक्षेप से हुआ है। हालांकि इससे ओपी सिंह बौखला गये थे, और गृह प्रमुख सचिव से मिले थे, लेकिन वहां भी उन्हें साफ जवाब मिल गया कि इसमें मुख्यमंत्री का पंचम तल से ही कोई बातचीत हो पायेगी। खबरचियों के मुताबिक जब ओपी सिंह पंचम तल पर पहुंचे तो टका सा जवाब मिल गया कि इस मामले में योगी जी से ही बात कीजिए। और उसके बाद से ओपी सिंह दिन-रात छटपटा रहे हैं, लेकिन सूत्र बताते हैं कि योगी ने ओपी सिंह को घास नहीं डाली है।
ऐसी हालत में अगर जल्दी ही चुसनी चूसने की हालत में पहुंच चुके डीजीपी ओपी सिंह, विधवा बकैती पर आमादा डीएम कौशलराज शर्मा और हत्यारों के पक्ष में सुविधाजनक माहौल और तथ्यों को तोड़ने-मरोड़ने वाले कलाकार एसएसपी कलाधिनि नैथानी पर सरकार कोई कड़ा फैसला कर ले, तो इसमें कोई अचरज की बात नहीं होगी।
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बड़ा दारोगा