: बिदक गये एसएसपी, बोले कि जाओ हम पर मुकदमा करो, वार्ता ऐंड : पटरी-खोमचावालों का जीने का हक नहीं, सूखे राजा तालाब से लाखों लीटर खींचने की लूट : बड़े दारोगा को न तो पटरीवालों से उगाही नहीं दीखती, और न ही मां-बहन की गालियां का सस्वर-गीत :
धनन्जय सुग्गू
वाराणसी : शिव-नगरी में शिव-गणों का जीना हराम हो चुका है। बमुश्किलन तो अपने परिवार को भूख से बचाने के लिए दूकानदारी करने वाले पटरी और खोमचा वालों की उगाही बदस्तूर है। यदाकदा उन्हें उजाड़ भी दिया जाता है। बात-बात पर इन दिहाड़ी मजूरों को पुलिसवाले मां-बहन की गालियां देते दिख जाते हैं। लेकिन काशी के कोतवाल की भूमिका में काशी के बड़े दारोगा यानी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की कुर्सी पर डेरा डाले नितिन तिवारी को यह सारा गड़बड़-घोटाला और लूट नहीं दिखती। उन्हें केवल पटरी-खोमचा वाले ही आसान आसामी लगते हैं, जिन्हें एक हांक में मां-बहन कर आसानी से भगाया जा सकता है।
आइये, जरा कल शुक्रवार को इस बड़े दारोगा के दफ्तर में क्या-क्या हुआ। मामला संगीन भले हो, लेकिन बेहद रोचक भी है, और यह साबित करता है कि सरकार की नौकरशाही की दिशा क्या है। खासकर तब, जब कि खुद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश में फेरी वाले, पटरी-खोमचा वालों रोजगार मुहैया कराने की जुगत बेहद गम्भीरता के साथ भिड़ा रहे हैं।
हुआ यह कि बनारस में पटरी विक्रेताओं के उत्पीड़न के खिलाफ शुक्रवार को साझा संस्कृति मंच ने एसएसपी साहब-बहादुर को ज्ञापन दिया। साहब ने पहला वाक्य कहा, ‘ तुम वही लोग हो न, जो बात-बात पर लँका थाना घेर लेते हो न ? अगली बार मुकदमा कायम होगा।
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पटरीवालों के नेता ने जब अपनी बात कहनी शुरू की, तो वे उल्टे भड़क गये। राष्ट्रीय फेरी पटरी कानून 2014 का नाम सुनते ही बिदक गए ( सिविल एग्जाम्स तैयारी में कानून पढ़ पढ़ चिढ़ गए है सर )। बोले कि जगह अलॉट हुई है ? नही न ! मुझे करनी है ? नही न ! इल्लीगल इंक्रोचमेंट है सिर्फ वो और हटना पड़ेगा।
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ज्ञापन का प्रभाव न पड़ता देख हमने कल के अखबार में छपी योगी जी की तस्वीर इस आशय के साथ दिखाई की श्री नितिन तिवारी जी ब्राह्मण मनई हैं साधु महात्मा को देख शायद श्रद्धा जगे और शांत चित्त से वार्ता आगे बढ़े बाकी उ कहे कि जाइए शिकायत करेंगे ? केस कर दीजिए हमपर । ” वार्ता एंड । बनारस में कमिश्नर डीएम एसएसपी नगर आयुक्त नगर विकास मंत्री सबसे मिल चुके पटरी दुकानदारों से यह सजेशन दे दिया गया है कि जनता दरबार मे लखनऊ सीएम साहब से जाकर गुहार लगाए । गरीब लोग बड़े भोले भाले है ई सब । ई स्वप्नजीवी सलाह पर गाली भी नही दिए , बदले में दोपहर को दोस्तो के साथ जब लँका पर किसी दुकान पर पँहुचे हम तो उस बहन ने पैसा न लेते हुए नमस्ते भी किया । हमेशा की तरह जोर जबरदस्ती कर पैसा देना पड़ा । संविधान की शपथ लेने वाले अधिकारी विधि को ताक पर रख लठैती कर रहे हैं और सड़क पर धूप में देह जरा रहे लोग संस्कार से भरे जीवन मूल्यों से भरा व्यवहार प्रदर्शित कर रहे हैं ।
बूचड़ खाने औ पटरी वेंडर के अलावा कुछ इल्लीगल कामों की सूची बना रहे है एसएसपी साहब की मदद को ….
1 राष्ट्रीय जल मार्ग के निर्माणाधीन रामनगर बंदरगाह की पर्यावरण क्लियरेंस नाही है।
2 शहर में अंडर ग्राउंड बिजली वायरिंग काम की टेंडरिंग ही नही हुई है ।
3 200 मीटर गंगा किनारे अवैध निर्माण को खोज तोड़ रहे कोर्ट और वीडीए को सामने घाट पर जजेज़ गेस्ट हाउस नही दिखाई पड़ता ।
4 कागजो पर डार्कजोन बन चुके राजातालाब मेहदीगंज क्षेत्र में जंहा पर्सनल हैण्डपम्प लगाना भी वर्जित घोषित है उँहा लाखो लीटर खींचने को पेप्सी कोक को छूट है ।
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