पारसनाथ यादव: मेरे बेटे को आपने भस्‍मासुर लिख दिया

दोलत्ती


: पारसनाथ यादव जन-नायक तो नहीं बन पाये, लेकिन आज स्‍वर्गीय बन गये : ठाकुरों की सामंती टीला को गिरा कर पारसनाथ यादव खुद अहीर सामंत बने थे : एक निहायत अविश्‍वसनीय शख्‍स, रणनीति जनता की नहीं, अपने स्‍वार्थों तक की सिमटी रही :
कुमार सौवीर
जौनपुर : सन-04 की देर शाम का वाकया है। मैं जेसीज चौराहे वाले अपने ऑफिस में था। अत्‍यावश्‍यक खबरें चेक कर रहा था, बनारस से लगातार नोटिस जा रही थी कि पेज में विलम्‍ब हो रहा है। इसी बीच चौराहे पर हंगामा खड़ा हो गया। माजरा देख कर लौटे एक रिपोर्टर ने बताया कि सपा सरकार के मंत्री पारसनाथ यादव का बिगडै़ल बेटा अपने साथियों के साथ एक ट्रक ड्राइवर और उसके क्‍लीनर को लाठियों से पीट रहा है। लाठी, जूता, हाथ लात, गालियां। सब बेहिसाब। दे दनादन। चौराहे पर तैनात पुलिस वाले मौके से सरक गये। चौराहे से दूर-दूर तक भीड़ जम गयी थी। खबर पाकर पहुंचा सीओ सिटी ओपी पांडेय मौके पर पहुंचा, पहुंचते ही उसने लकी यादव का श्री-दर्शन कर अपना जीवन धन्‍य किया, और भीड़ को डांटते हुए भाग जाने का हुक्‍म दे कर मौके से चला गया। ठीक उसी तरह करीब 12 बरस पहले यूपी के एडीजी (कानून-व्‍यवस्‍था) अरविंद जैन ने कानून और व्‍यवस्‍था की धज्जियां उड़ा दी थीं।
बहरहाल, मैं आनन-फानन अपना काम निपटा कर चौराहे पर पहुंचा तो पता चला कि लकी ने उन दोनों ट्रककर्मियों को बेहिसाब पीटा था। इतना ही नहीं, ड्राइवर के मुंह में नंगी रिवाल्‍वर घुसेड़ कर उसको जान से मार डालने की धमकियां दी हैं। पूरे शहर में इस हादसे की सनसनी फैल गयी। दहशत का माहौल था।
लेकिन पुलिस ने उस मामले को दर्ज नहीं किया। नतीजा मैंने अगले दिन एक बड़ी खबर लिखी। खबर की हेडिंग थी पारसनाथ समेत पूरे जौनपुर को भस्‍म कर देगा लकी नाम का भस्‍मासुर। खबर में मैं ने बताया था कि पारसनाथ यादव के यादवी-आतंक के सामने पूरा शहर थर-थर कांप रहा है। और पुलिस और प्रशासन पारसनाथ के भस्‍मासुर-पुत्र की गुंडागर्दी के सामने घुटने टेकने पर मजबूर है। यह भी लिखा कि यह नया भस्‍मासुर खुद पारसनाथ से पैदा किया है, और अब वह अन्‍तत: पिता पारसनाथ यादव को ही भस्‍म कर देगा।
उसके दो दिन बाद ही पारसनाथ यादव का फोन मेरे मोबाइल पर पहुंचा। मैंने नमस्‍ते किया, तो किसी ठण्‍डी लाश की सी आवाज में पारसनाथ यादव ने मेरे अभिवादन का जवाब तो नहीं दिया, लेकिन बेहद आहत भाव में इतना जरूर बोले कि:- “आपने मेरे बेटे को भस्‍मासुर लिख दिया है। दो दिन से मैं सो नहीं पा रहा हूं। जब भी बिस्‍तर पर लेटता हूं, तो यही सोच कर उचक कर उठ जाता हूं और या तो चहलकदमी करना शुरू कर देता हूं, या फिर सोफे पर बैठता हूं। लेकिन सोफे पर बैठते ही फिर हड़बड़ा कर खड़ा हो जाता हूं कि मेरे बेटे को लोग भस्‍मासुर कहने लगे हैं। मेरे बेटा मेरा भस्‍मासुर है, यह लिखने में आपको कोई भी हिचक नहीं लगी ?”
मैंने जवाब दिया:- “पारसनाथ जी ! आप शांत हो जाएं। मेरा कोई भी आशय आपका अपमान करना नहीं है। आप एक बड़े नेता हैं और मैं काफी दूर से आपके शहर में हिन्‍दुस्‍तान अखबार की नौकरी करने आया हूं। आपका अपमान करना का न तो मेरा आशय है, न मैं ऐसा कर सकता हूं। लेकिन यह भी सच है कि आप अपनी धृतराष्‍ट्र की तरह अपनी आंखें बंद किये बैठे हैं, तो उसमें मैं क्‍या कर सकता हूं। मुझसे शिकायत करने से पहले बेहतर होता कि आप अपने बेटे की उस हरकत और उससे पहले भी हो चुकी गुंडई पर गहरी नजर रखते, तो आपको यह सब शिकायत करने का मौका नहीं मिलता। अभी भी समय है। आप सम्‍भाल लीजिए मामला, वरना अभी तो मैं लिख रहा हूं, बाद में पूरा शहर ही नहीं, पूर्वांचल और पूरा देश भी आपको यही सब सुनायेगा, तो आप सहन नहीं कर पायेंगे।”

अब पारसनाथ यादव ने मेरी बात को किस तरह देखा, समझा या माना, यह तो मैं नहीं जानता, लेकिन मुझे गर्व है कि पारसनाथ यादव की उस पूरे जिले में चल रही भयावह गुंडागर्दी के माहौल में भी मैंने सच का दामन नहीं छोड़ा।
पारसनाथ यादव पर अभी कुछ दिन अपने अनुभव लगातार लिखता ही रहूंगा। (क्रमश)

(पारसनाथ यादव, यानी पूर्वांचल का एक दिग्‍गज समाजवादी पार्टी का पहरूआ। छह बार विधायक, तीन बारमंत्री, और दो बार सांसद। आज खबर मिली है कि पारसनाथ यादव की मृत्‍यु हो गयी है। वे कैंसर से पीडि़त थे। लेकिन उनका जीवन पूर्वांचल में एक निहायत शांत-भाव में स्‍वार्थी राजनीति में कुटुम्‍ब की समृद्धि और उसके लिए जघन्‍य अपराधियों और शातिर बदमाशों को प्रश्रयदाता से ज्‍यादा नहीं रहा। राजनीति में अपनी दूकान चमकाने के लिए पारसनाथ ने एक दांव चलाया, जिससे सपा में बड़े नेता भी उनके दांव में चारोंखाने चित्‍त हो गये। एक नारा लगवा दिया कि पारसनाथ यादव यूपी के मिनी मुख्‍यमंत्री हैं।)

7 thoughts on “पारसनाथ यादव: मेरे बेटे को आपने भस्‍मासुर लिख दिया

  1. आपके लेख का कोई काट नहीं
    बेबाक, निडर, अडिग और सत्यता
    मेरे नजर में यह है आपकी पहचान ।
    आपका
    अमित कुमार सिंह
    औड़िहार-सैदपुर
    जिला:गाजीपुर(ऊ.प्र)

  2. मै आप के हिम्मत को सलाम करता हू उस घटना के समय मै वहीं था एक चैनल चलाने वाले साहब के प्रतिष्ठान के सामने की घटना थी वहा उपस्थित इलेक्ट्रॉनिकमीडिया और प्रिंट मीडिया के लोगों से कह रहे थे कि आप लोगो ने कुछ नही देखा लेकिन आप ने देखा भी और लिखा भी
    सादर अभिवादन

  3. यह कलम केवल यादों के खिलाफ ही चलती है या कभी अन्य जातियों के खिलाफ भी लिखा है अगर लिखा हो तो उसका विवरण दीजिए मान जाएंगे कि आप बस पत्रकार हो वरना यादवों से जलने वाले चाटुकारों की संख्या बहुत है

    1. पहले आप यह बताइये कि जो कुछ भी सच मैंने लिखा है पारसनाथ यादव पर, वह सच है या नहीं।
      दूसरी बात यह है कि आप अगर हर खबर को जातीय नजर से ही देखने की आदत पाल चुके हैं, तो यकीन मानिये कि आपका कोई इलाज नहीं हो सकता। खबर को खबर की तरह देखिये, अपनी संकुचित नजर से नहीं।
      कुमार सौवीर

  4. यह कलम केवल यादव के खिलाफ ही चलती है या कभी अन्य जातियों के खिलाफ भी लिखा है अगर लिखा हो तो उसका विवरण दीजिए मान जाएंगे कि आप बस पत्रकार हो वरना यादवों से जलने वाले चाटुकारों की संख्या बहुत है

    1. पहले आप यह बताइये कि जो कुछ भी सच मैंने लिखा है पारसनाथ यादव पर, वह सच है या नहीं।
      दूसरी बात यह है कि आप अगर हर खबर को जातीय नजर से ही देखने की आदत पाल चुके हैं, तो यकीन मानिये कि आपका कोई इलाज नहीं हो सकता। खबर को खबर की तरह देखिये, अपनी संकुचित नजर से नहीं।
      कुमार सौवीर

  5. Sauvir bhai, You are too good. I appreciate even the timing you are mentioning all these to remind us what he was actually. Regards.

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