पारसनाथ यादव: मेरे बेटे को आपने भस्‍मासुर लिख दिया

: पारसनाथ यादव जन-नायक तो नहीं बन पाये, लेकिन आज स्‍वर्गीय बन गये : ठाकुरों की सामंती टीला को गिरा कर पारसनाथ यादव खुद अहीर सामंत बने थे : एक निहायत अविश्‍वसनीय शख्‍स, रणनीति जनता की नहीं, अपने स्‍वार्थों तक की सिमटी रही : कुमार सौवीर जौनपुर : सन-04 की देर शाम का वाकया है। […]

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