: लंदन में ही कही बस गयी हैं सर सैयद की परपोती : मुसलमानों के दिल-दिमाग में आज भी सर सैयद के प्रति आस्था और समर्पण : अगर सर सैयद के वंशज हस्तक्षेप कर दें तो सुधर सकती है अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की माली हालत : अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी- दो :
कुमार सौवीर
अलीगढ़ : इसी बीच हिन्दुस्तान का बंटवारा हो गया। दुर्भाग्य यह हुआ कि इस संस्थान और उसे जुड़े अधिकांश प्रगतिशील लोग पाकिस्तान जाकर बस गये। ऐसे में यह संस्थान अनाथ हो गया। रियाजुद्दीन और यासर अराफात तुर्क बताते हैं कि इसके बाद इस पर सबसे बड़ी गाज इसी सेड्डन यूनियन पर पड़ी। नये निजाम ने इस सेड्डन यूनियन पर ताला लगा दिया। मतलब यह कि इस यूनिवर्सिटी से विद्यत परिषद का खात्मा कर दिया गया। हैरत की बात है कि इस बंदी के फैसले से पहले और उसके बाद तक, किसी ने भी इस मसले, उसके औचित्य तथा उसकी गैर-मौजूदगी से होने वाली दिक्कतों तक के बारे में कोई भी बहस शुरू छेड़ने की जरूरत तक नहीं समझी।
इतना भी होता तो भी काफी गनीमत थी। लेकिन नये निजाम ने सन-1961 में मुस्लिम यूनिवर्सिटी में छात्र-संघ की स्थापना कर दी, लेकिन गजब कहर बरपाते हुए स्टूडेंट यूनियन को सेड्डन यूनियन का भवन एलाट कर दिया। इसके बाद से ही सेड्डन यूनियन तो कब्रगाह पर दफ्न हो गया, लेकिन उसके ऊपर स्टूडेंट यूनियन का झण्डा फहरा दिया गया। हैरत की बात है कि विद्यत परिषद का खात्मा कर दिया। विद्या की विदाई हो गयी, और राजनीति शुरू हो गयी। इसके 56 बरसों से इस मसले पर किसी भी गुट, तबके या फिरके ने कोई भी हस्तक्षेप नहीं किया। जाहिर है कि यूनिवर्सिटी, मुस्लमान और शिक्षा में होने वाले तब्दीलियों पर से इस यूनिवर्सिटी ने हमेशा-हमेशा के लिए अपने सेलेबस से निकाल बाहर कर दिया।
लेकिन अब नये दौर में उन नये विचारों ने अपने नये पंख फड़फड़ाना शुरू कर दिये हैं, जिनका मानना है कि अलीगढ़ यूनिवर्सिटी अपने मकसद से भटक गयी है। इतना ही नहीं, इस भटकाव पर लगातार 56 बरसों तक मोटी-मोटी गर्द तक बिछ गयी है। ऐसे में अब सख्त जरूरत इस बात की है कि मुसलमानों के मसायलों पर अपनी भूमिका तत्काल निभाना शुरू कर दे। लेकिन दिक्कत यह है कि सर सैयद के वंशज अब ब्रिटेन अथवा कहीं और बस चुके हैं।
यूनिवर्सिटी के शोध छात्र रियाजुद्दीन और यासर अराफात ने इस बारे में खासी जानकारियां जुटा ली हैं। उन्होंने सर सैयद की परपोती को खोज लिया है। एक इसाई परिवार से विवाह करने के बाद वह अब लंदन में बसी है। इन शोध छात्रों ने बताया कि सर सैयद के इस वंशज से सम्पर्क करके अनुरोध किया जा रहा है कि वे इस यूनिवर्सिटी के पुराने गौरव को वापस दिलाने के लिए खुद हस्तक्षेप करें। इन छात्रों को इस बात का पूरा यकीन है कि इन वंशजों ने अगर इस मामले में दखल दिया तो उसके सकारात्मक परिणाम सामने आ सकते हैं। वजह यह कि हिन्दुस्तान के मुसलमानों में आज भी सर सैयद के प्रति अगाध प्रेम और आस्था मौजूद है। (क्रमश:)
भारत ही नहीं, पूरे एशिया में वर्तमान में सक्रिय महानतम शिक्षा केंद्र केवल दो ही हैं। एक तो है महामना मदनमोहन मालवीय द्वारा स्थापित बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, और दूसरा है सर सैयद द्वारा स्थापित अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी। यह कहानी अलीगढ़ के इस यूनिवर्सिटी में बदलते करवटों पर केंद्रित है।
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