नवरात्रि: निर्बल औरत को दबोचो, दबंग के सामने साष्‍टांग

सैड सांग

: नमस्‍तस्‍यै नमस्‍तस्‍यै नमस्‍तस्‍यै नमो नम:  : सपा सरकार ने तो सारी देवी-स्त्रियों-बच्चियों तक को बलात्‍कार की राह में भेजने की डगर प्रशस्‍त कर दी : आपकी अराध्‍य देवियों से बलात्‍कार होता है, लेकिन पूरा यूपी खामोश ही रहता है :

कुमार सौवीर

लखनऊ : जय माता दी, बलशाली मां तेरी जय हो, शेरां वाली मां का जयजयकारा, जय वैष्‍णों मां, विन्‍ध्‍याचल मइया की गुहार, कामाख्‍या देवी की जय हो…..

आज से अगले नौ दिनों तक हिन्‍दू समाज का हर शख्‍स स्‍त्री के विभिन्‍न आयामों के सामने जयजयकारा लगायेगा, उसके पांव पखारेगा, चरण-स्‍पर्श कर अपना जीवन धन्‍य करेगा, साष्‍टांग होकर  अपने आप को हमेशा के लिए पाक-साफ रखने की कसमें खायेगा, अपने पापों के लिए माफी मांगेगा और गिड़गिड़ायेगा कि मइया, इस बार माफ कर दो, आइंदा ऐसा कभी भी नहीं होगा। माई के आसन्‍न श्राप से सहमे लोग हर ओर माता-माई की जयजय का उद्घोष करेंगे, और अपने आप को भयमुक्‍त करने का अहसास कर मुदित होते रहेंगे। इस पूरे नौ दिनों के ऐसे उत्‍सवी अनुष्‍ठान से वे अपने आप को पाप-मुक्‍त मान लेंगे, वे मान लेंगे कि उनकी इस दिनचर्या से उन्‍हें क्षमा मिल जाएगा, देवी खुश हो जाएंगी।

सच बात तो यही है कि गलती, त्रुटि, अपराध और जघन्‍न करतूतें करना मनुष्‍य का मूलभूत कर्म होता है। अपनी मनो-शारीरिक हालातों के आधार पर भड़कने वाले आवेगों-उद्वेगों से मनुष्‍य अपने संकल्‍पों से विचलित हो जाता है। ऐसी हालातों में वह भूल जाता है कि उसका धर्म क्‍या है, क्‍या होना चाहिए और उसका शमन-दमन वह कैसे कर सकता है। लाख कोशिशों-शिक्षाओं के बावजूद कई मनुष्‍य ऐसे गलतियों-अपराधों की ओर उन्‍मुख हो जाता है। जो ऐसा नहीं करते, उनमें से अधिकांश लोग मनो-विकार से ग्रसित भी हो सकते हैं।

नवरात्रि में अगर कोई मनुष्‍य अपने अपराधों के लिए क्षमा मांगते हुए, तौबा करते हुए अनुष्‍ठान करे और संकल्‍प ले रहा हो, तो उससे बेहतर कोई भी स्थिति और नहीं हो सकती है। कम से कम नवरात्रि में पुरूष स्‍त्री के प्रति हुए अपने शारीरिक-मनोविज्ञानिक अपराध के लिए बाकायदा और सरेआम, खुलेआम व सार्वजनिक क्षमा-याचना करना चाहता है, तो उसका ऐसा कृत्‍य सराहनीय ही माना जाएगा।

लेकिन अब जरा उसका एक दूसरा पहलू भी देखिये। इसी नवरात्रि के ठीक तीन दिन पहले राजधानी के मोहनलाल गंज रेलवे स्‍टेशन में जो हादसा हुआ, वह नवरात्रि के उपासकों के चेहरे पर किसी जबर्दस्‍त तमाचे से कम नहीं है। लेकिन इसके बावजूद बेशर्म देवी-उपासकों ने अपना पाखण्‍ड किये रखना जारी ही रहा।

हुआ यह कि मोहनलाल गंज रेलवे स्‍टेशन पर सुबह करीब नौ बजे एक पैसेंजर रूकती है। उस पर बैठे सवार यात्रियों ने अपना सामान उतारना शुरू करने का उपक्रम आरम्‍भ कर दिया है। अचानक इस स्‍टेशन पर दो युवक उतरती भीड़ को चीर कर डिब्‍बे में चढ़ते हैं। और स्‍टेशन पर उतरने के प्रयास में जुटी एक युवती को दबोच लेते हैं। युवती अपनी जान बचाने के लिए चिल्‍लाती है, स्‍टेशन और ट्रेन के डिब्‍बे में बैठे-खड़े लोग सहम जाते हैं और आसपास घेरा बना कर भीड़ की शक्‍ल में खड़े हो जाते हैं।

युवती बचाने के लिए जी-जान से भिड़ी हुई होती है। लेकिन दोनों युवक बहुत बलशाली हैं और वे उस युवती को दबोचते हुए उसका मुंह खोल कर उसमें तेजाब की बोतल उड़ेल देते हैं। इस पूरे हादसे में करीब दस मिनट बीत जाते हैं, लेकिन एक भी यात्री यह साहस नहीं जुटा पता है कि वे उन बदमाशों को ललकार सके। उन पर पत्‍थर फेंक सके, उन्‍हें तमाचे जड़ सके, पुलिस को खबर दे सके।

अब वह युवती लखनऊ के मेडिकल कालेज में गम्‍भीर हालत में भर्ती है। तेज तेजाब ने उसका गला और उसका मुंह बुरी तरह झुलस दिया है। लेकिन लखनऊ खामोश है।

पिछले साल ठीक उसी वक्‍त जौनपुर में एक नाबालिग बच्‍ची के साथ सामूहिक बलात्‍कार होता है, और वहां का कप्‍तान और जिलाधिकारी उस मामले को दबा कर उसे पागल खाने में भेज देता है। लेकिन जौनपुर के मर्द और वहां के मैहर व शीतला चौंकिया देवी के उपासक लोग अपनी बगलें झांकने लगते हैं।

यह तो केवल दो घटनाएं हैं। पिछली सपा की अखिलेश सरकार ने तो पूरे प्रदेश की सारी देवी-स्त्रियों-बच्चियों तक को बलात्‍कार की राह में भेज कर अपने आंखें बंद कर रही थीं। लेकिन पूरा यूपी खामोश ही रहा।

एक चेहरा और भी देखिये नवरात्रि के धन्‍य भक्‍तों का। उससे जुड़ी खबरों को देखने के लिए कृपया निम्‍न लिंक पर क्लिक कीजिएगा:-

नमस्‍तस्‍यै नमस्‍तस्‍यै नमस्‍तस्‍यै नमो नम:

मोहनलाल गंज में ही करीब दो साल पहले एक निहायत शर्मनाक हादसा हुआ, जिसमें सरकार और प्रशासन ने अपनी सारी बेहूदगी का प्रदर्शन कर लिया। उस से जुड़ी खबरों को देखने के लिए कृपया निम्‍न लिंक पर क्लिक कीजिए:- मोहनलाल गंज

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