नोट-बन्‍दी का जवाब नमाज-छूट

सैड सांग

: जुमा की नमाज के लिए सरकार ने दी अपने कर्मचारियों को डेढ़ घंटे की छूट : राहुल गांधी भले ही पप्‍पू न हों, लेकिन हरीश रावत बाकायदा घटिया शख्‍स निकला : सरकार जब धर्म पर काम करेगी, तो सरकार कैसे चलायेगी :

देहरादून : जुमा की नमाज अब उत्‍तराखंड के गले की हड्डी बन गयी है। इस मामले को लेकर उत्तराखंड सरकार के नए फैसले पर सियासत तेज हो गई है। रावत सरकार ने शनिवार को हुई कैबिनेट की बैठक में नमाज के लिए हर शुक्रवार को डेढ़ घंटे की छुट्टी का प्रस्ताव पारित किया था। लेकिन इस मामले पर हंगामा खड़ा होने के बाद हरीश रावत सरकार के तोते उड़ गये। पहले तो सरकार ने इस मामले पर बचाव के लिए अपने मीडिया सलाहकार को आगे कर दिया। लेकिन जब इतने से हंगामा नहीं थमा, तो हरीश रावत खुद सामने आये और बयान दिया कि इस फैसले की नींव भाजपा के एक मुख्‍यमंत्री ने बतायी थी। वैसे कहने की जरूरत नहीं कि इस मामले पर भाजपा ने हरीश सरकार को घेरना शुरू कर दिया है।

उत्तराखंड कैबिनेट की ओर से कर्मचारियों को जुमे की नमाज के लिए 90 मिनट की छुट्टी देने के फैसले पर भाजपा ने हरीश रावत सरकार पर चौतरफा हमला बोल देने से हरीश सरकार अब बौखला गयी है। चौतरफा हमले का अंजाम यह हुआ कि 48 घंटे के अंदर ही सरकार सकते में आ गई. सफाई देने के लिए सीएम के मीडिया सलाहकार आगे आये और मीडिया से बोले कि अब केवल मुसलमानों को ही नहीं, बल्कि सभी धर्मों के कर्मचारियों को भी पूजा-अर्चना के लिए अल्प अवकाश मिलेगा, लेकिन आनन-फानन में लिये गए इस फैसले पर सवाल खड़ा हो गया है। रावत सरकार के इस फैसले पर देहरादून से लेकर दिल्ली तक बवाल मचा है।

आनन-फानन में सीएम के मीडिया सलाहकार सुरेंद्र कुमार की सफाई आई कि पूजा-अर्चना के लिए सभी धर्मों के सरकारी कर्मचारियों को अल्प अवकाश मिलेगा. सीएम के मीडिया सलाहकार के इस बयान पर भी सवाल खड़े हो गये हैं. सवाल खड़ा हो गया है कि अल्पकालीन अवकाश कितना व्यावहारिक है. जनता के मन में कईं सवाल उठ रहे हैं.

वरिष्ठ पत्रकार रतनमणी डोभाल का कहना है कि किसी कार्यालय के सभी सरकारी कर्मचारी एक साथ पूजा-अर्चना के लिए अवकाश पर चले गए तो काम कौन करेगा. व्यापारी नेता प्रवीण कुमार का कहना है कि सरकारी कर्मचारी पूजा-इबादत के लिए तय समय से पहले कार्यालय नहीं छोड़ेंगे और बाद में नियत समय पर वापस आ जायेंगे, इसकी गारंटी कौन लेगा. हर रोज किसी न किसी धर्म की पूजा-इबादत का दिन होता है. क्या रोज कर्मचारियों को इसके लिए छुट्टी मिलेगी. जनता के इन सवालों के जवाब सरकार को खोजने हैं.

भाजपा ने रावत सरकार के इस फैसले पर आपत्ति जताई है और इसे चुनावी फायदा लेने के लिए एक दुर्भायपूर्ण फैसला करार दिया है. उत्तराखंड की हरीश रावत सरकार द्वारा शुक्रवार को जुमे की नमाज के लिए दो घंटे की छुट्टी दिए जाने के फैसले पर भाजपा ने आलोचना की है। भाजपा प्रवक्ता नलिन कोहली ने सवाल उठाया कि इस तरह की मांग अगर हिन्दू समुदाय करे तो क्या करेंगे। अगर हिन्दू सोमवार को शिव पूजा और मंगलवार को हनुमान पूजा के लिए दो घंटे की छुट्टी मांगे तो क्या करेंगे। उन्होंने कहा कि यह फैसला साबित करता है कि कांग्रेस सरकार वोट के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। बीजेपी नेता नलिन कोहली ने कहा, हरीश रावत सरकार का यह फैसला बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. वोटों के लिए रावत सरकार किसी भी सीमा तक जाने को तैयार है.

नमाज के लिए छुट्टी दिए जाने का क्या लॉजिक है? इतना ही नहीं, नलिन कोहली ने यह भी कहा कि क्या होगा जब हिंदू सोमवार को शिव पूजा के लिए या मंगलवार को हनुमान पूजा के लिए दो घंटे की छुट्टी मांगने लगें? वहीं भाजपा के एक सांसद ने इस मुद्दे को कांग्रेस द्वारा चुनावी फायदा लेने के लिए लिए गए फैसले से जोड़ दिया. भाजपा सांसद प्रवेश शर्मा ने कहा, मेरा अनुभव यह कहता है कि मुस्लिम समुदाय भाजपा को वोट देने से अपनी दूरी बनाकर रखता है. भाजपा की सहयोगी शिवसेना ने भी रावत सरकार के इस फैसले को मुस्लिमों का तुष्टिकरण करार दिया है और कहा है कि पार्टी इस मुद्दे को संसद में उठाएगी.

कांग्रेस ने राम मंदिर के जरिए भाजपा की प्रतिक्रिया पर पलटवार किया है. भाजपा के आरोपों पर कांग्रस ने सफाई दी है कि जुमे की नमाज अदा करने के लिए मुस्लिम सरकारी कर्मचारियों को 90 मिनट के अवकाश का निर्णय हमने भाजपा के एक मुख्यमंत्री (नाम नहीं लिया) के आइडिया पर लिया है। भाजपा को आपत्ति है तो अपने उस सीएम से बात करनी चाहिए।

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