मुसलमान गये भाड़ में, इतनी गायें पैदा कर दो कि चहुंओर गइया-मइया ही दिखने लगें

मेरा कोना

: मोदी जी, अगर यह कानून बना लो, तो गोरक्षक लंगोटी छोड़ कर भागेंगे : प्रभात त्रिपाठी बता रहे हैं कि एमपी के विधायक की गोरक्षा-नीति कितनी लाभदायक हो सकती है : बीपीएल कार्डधारी को जब एक गाय पालना अनिवार्य होगा, तो सांसद की डेयरी में गायें कितनी होनी चाहिए :  :

प्रभात त्रिपाठी

भोपाल : मध्य प्रदेश में भाजपा के विधायक जी ने सदन में कहा कि बीपीएल कार्ड होल्डर के लिए अनिवार्य रूप से एक गाय पाले जाने का नियम बना देना चाहिए। नीति निर्धारक चुने गए हैं तो जो भी जनता के हित में होगा वह नीति बनाने का अधिकार तो है ही उनके पास। जिन लोगों ने उन्हें चुना था यह तो वही लोग बता पाएँगे कि उन्होंने इन विधायक जी को इसी कानून को बनाने के लिए चुना था या किसी और काम के लिए। मेरा सुझाव तो यह है कि भाजपा और उसके आनुषंगिक संगठनों में जनप्रतिनिधि या प्रत्याशी तथा पदाधिकारी बनने के लिए कितनी गायों का कोटा निर्धारित होना चाहिए और इस दिशा में पार्टी के नेताओं का क्या रुख है यह उस पार्टी के सभी नेताओं से अवश्य जानना चाहिए।

और हाँ, चूँकि आवारा गौ वंशी दुधारू नहीं होते अतः ये नेता लोगों के कोटे में केवल दूध न देने वाले गौ वंशिओं की सेवा का कम से कम पांच साल का रिकॉर्ड होना चाहिए। यह कोटा कितना हो इस बारे में विमर्श हो। मेरा विचार इस कोटे के बारे में इस प्रकार है – ग्राम प्रधान के लिए सौ, सभासद के लिए पाँच सौ, विधायक के लिए इक्कीस सौ और सांसदों के लिए पांच हजार गौ वंशी की सेवा का अनुभव।

नेता लोग तो चुनाव के चक्कर में वैसे ही बड़ा पैसा खर्च करते हैं अतः इस अतिरिक्त आर्थिक भार का बुरा नहीं मानेंगे और प्रतिद्वंद्वी दलों के आयातित विचारधाराहीन लोगों को जनप्रतिनिधि बनने से रोक भी पाएँगे। जनता भी खुश हो जाएगी कि पवित्र गौ वंशी इधर-उधर मुँह मारने से बचे हुए हैं और सुविधा जनक जीवन जी रहे हैं। जो सच्चे गौसेवक नहीं हैं वे चाह कर भी सत्ता से बाहर रह जाएँगे। इसके बाद यह गौसेवक योजना सरकारी कर्मचारियों पर भी पदानुसार लागू की जा सकती है।

आप लोग अपने विचार बताएं कि जब बीपीएल का एक गाय का कोटा हो तो किस नेता का कितना कोटा होना चाहिए। और हाँ, बताते समय बीपीएल के लिए निर्धारित आय तथा नेताजी की पिछले साल की आय का भी ख्याल रखियेगा।

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