भोपाल हादसा: तुम्‍हारा काम पोलिसिंग करना है, हत्‍यारे कैसे बन गये

सैड सांग

: कश्‍मीर में एक आतंकी को जिन्‍दा दबोचा था सेना ने, तुमने 8 आतंकियों को मार डाला ? : जेल तोड़ना अपराध है, जिसकी सजा अदालत देती, तुमने क्‍यों फैसला दिया : माखौल है सरकार के पुलिस आयोग : सवालों का जवाब जरूरी, ताकि पुलिस को नृशंस और जघन्‍य हत्‍यारा बनने से रोका जाए :

कुमार सौवीर

लखनऊ : अभी एक साल पहले की घटना है। कुख्‍यात आतंकी बुरहान वानी के खात्‍मे के कुछ महीना पहले 5 अगस्‍त-15, जब पाक-समर्थक आतंकियों ने घात लगा कर हमला किया और बीएसएफ के ट्रकों पर हमला करके दर्जनों जवानों को मौत के घाट उतार दिया था। इस हादसे के बाद सेना ने आतंकियों के खिलाफ कडी कार्रवाई छेड़ दी थी। हमला करने के भाग निकले आतंकियों को सेना के जवानों ने बेहद मशक्‍कत के बाद घेरा और उन्‍हें मार गिराया। हालांकि इस बीच कश्‍मीर की कई बस्तियों में नागरिक भी आतंकियों के समर्थन में पथराव करने लगे थे, जिसमें सेना के कई जवानों को काफी नुकसान हुआ, लेकिन सेना ने हर हाल में अपना आपरेशन खत्‍म कर ही डाला था।

लेकिन इस कार्रवाई के बाद सेना के हाथ में अचानक एक किशोर आतंकी लग गया, जो अत्‍याधुनिक हथियारों से लैस था। पकड़ के दौरान उस लड़के ने सेना पर भारी हमला कर डाला। लेकिन आखिरकार सेना उस पर काबू कर पायी और उस किशोर आतंकी को जिन्‍दा ही दबोच लिया गया। सेना ने माना था कि अगर सेना सतर्क नहीं होती तो सेना के कई जवानों पर यह किशोर आतंकी कहर बन सकता था, लेकिन सेना ने बहुत समझ-बूझ कर अपनी कार्रवाई पूरी की और खुद को सुरक्षित करने के साथ ही उस आतंकी को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की। इस आतंकी का नाम था कासिम खान उर्फ उस्मान उर्फ मोहम्मद नावेद। वह पाकिस्तान के फैसलाबाद के गुलाम मुस्तफाबाद का रहने वाला है। लेकिन सेना ने उसे मौत के घाट नहीं उतारा, लेकिन भोपाल पुलिस ने आठ निहत्‍थे सिमी आतंकियों को मार डाला, जिन्‍हें पुलिस आसानी से ही दबोच सकती थी।

यह कोई अनोखी बात नहीं है, जब सेना ने कुख्‍यात आतंकियों को जिन्‍दा पकड़ा और उन्‍हें सजा दिलाने के लिए अदालत के हवाले कर दिया। इसी साल 26 जुलाई को कुपवाड़ा में मंगलवार को पाक की ओर से घुसपैठ की कोशिश कर रहे चार आतंकियों को सेना ने मार गिराया और एक को जिंदा पकड़ लिया। वह आतंकी लाहौर का निवासी था और कुख्‍यात संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा था। उस आतंकी का नाम बहादुर अली है और वह लाहौर का रहने वाला है। वह आतंकी कुपवाड़ा में नियंत्रण रेखा के नजदीक नौगाम सेक्टर में घुसपैठ की कोशिश मे था।

7 अक्‍तूबर को अखनूर के परगवाल सेक्टर में शुक्रवार को सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने अंतरराष्ट्रीय सीमा से घुसपैठ की कोशिश करते लश्कर-ए-तैयबा के एक आतंकी को पकड़ लिया। आतंकी की पहचान 32 वर्षीय अब्दुल क्यूम पुत्र बाग अली निवासी, गांव पुलवाजवां (सियालकोट) के रूप में हुई। 27 अगस्‍त आतंकी को उत्तरी कश्मीर के राफियाबाद में 20 घंटे तक चली मुठभेड़ के बाद पकड़ा गया। सुरक्षा बलों ने उसके एक महीने के भीतर दूसरे पाकिस्तानी आतंकवादी को जिंदा पकड़ा। उससे पहले उधमपुर में भी एक पाकिस्तानी आतंकी नावेद को सेना ने पकड़ा था। इस आतंकी का नाम सज्जाद अहमद है और उम्र 22 साल है। वह पाकिस्तान के बलूचिस्तान का रहने वाला है।

29 मई को सेना ने दक्षिणी कश्मीर में आतंकी संगठन हिज्बुल मुजाहिददीन के आतंकी को धर दबोचा, जो हिज्ब के मोस्ट वांटेड आतंकी कमांडर बुरहान वानी का काफी करीबी था। नाम था आसिफ। उधर 24 मई को श्रीनगर के सरायबाला में इलाके में मुठभेड़ के बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस ने दो आतंकियों को मार गिराया, लेकिन एक अन्‍य आतंकी को जिंदा दबोच लिया। उसका नाम है आसिफ, जबकि मारे गए आतंकियों में एक जैश-ए- मोहम्मद का कमांडर सैफुल्लाह बताया जा रहा है।

ऐसे में सवाल इस बात का उठता है कि आखिर जब भोपाल पुलिस के पास इतना इत्‍मीनान था कि जेल से भागे आतंकियों के पास कोई खास जानलेवा आग्‍नेयास्‍त्र नहीं है, फिर पुलिस ने उनकी घेराबंदी करके उन्‍हें दबोचने के बजाय सीधे मौत के हवाले क्‍यों कर दिया।

इन सवालों का जवाब इसलिए खोजना-पूछना जरूरी है, ताकि पुलिस को पोलिसिंग के बजाय उन्‍हें नृशंस और जघन्‍य हत्‍यारा बनने से रोक लिया जाए। अन्‍यथा मौतों की बाढ़ को थाम पाना मुमकिन नहीं होगा।

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