मां ! तेरे हौसले को सलाम—
ममता और करूणा की प्रतीक हैं लखनउ की सरोजनी अग्रवाल: 14 नवंबर को मिलेगा राजीव गांधी मानव सेवा पुरस्कार: गोमती नगर में बना है अनाथ बालिकाओं का मनीषा मंदिर: अपनी बेटी की मौत के बाद हर बेटी को अपना लिया सरोजनी ने:अब तक नौ बेटियों का विवाह भी करा चुकी हैं डॉक्टर अग्रवाल
जहां हर रोज हजारों-लाखों बेटियां गर्भ में ही मार डाली जा रही हों और पूरी दुनिया इन हादसों को लेकर मगजमारी में जुटी हो, वहीं लखनउ में एक मां ऐसी भी है जिसने अब तक कुल 51 बेटियों को न केवल पाला-पोसा बल्कि उनमें से कई को आत्मनिर्भर बनाकर उनका विवाह भी कर दिया। डॉक्टर सरोजनी अग्रवाल का मां बनने का यह अभियान पिछले 32 साल से निर्बाध चल रहा है। अब 14 नवम्बर को राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल उन्हें सम्मानित करेंगी। उन्हें वहां पर राष्ट्रीय राजीव गांधी मानव सेवा पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।
लखनऊ की पॉश कालोनी गोमती नगर में किसी से भी पूछ लीजिए। मनीषा मंदिर बहुत फेमस है। डॉक्टर सरोजनी अग्रवाल ने इस मनीषा मंदिर की स्थापना 32 साल पहले तब की थी जब उनकी बेटी मनीषा की मौत एक दुर्घटना में हो गयी। बेटी की मौत ने सरोजनी अग्रवाल को गहरे तक दहला दिया, लेकिन वे अवसाद या महज शोक में ही नहीं डूबी रहीं। उन्होंने फैसला किया कि अब हर बेटी उनकी होगी। खासकर अनाथ बेटियां। बस एक काफिले की तरह यह अभियान चल निकला और आज हालत यह है कि 73 साल की डॉक्टर सरोजनी अग्रवाल 51 बेटियों की मां बन चुकी हैं। उन्हें जहां भी किसी बेसहरा बच्ची की खबर मिलती है, दौड पडती हैं उसे अपनाने के लिए। हाल ही एक नवजात बच्ची को उन्होंने सडक के किनारे पाया था। सधन देखभाल के चलते आज वह बच्ची पूरी तरह स्वस्थ है। हां, मनीषा मंदिर में काम करने वाले बताते हैं कि वह बच्ची दूध आज भी रूई के फाहे से ही पीती है।
डॉक्टर अग्रवाल अब तक अपनी नौ बेटियों का विवाह भी कर चुकी हैं। लेकिन यह सारे विवाह दहेज रहित ही हुए। वे महिला सशक्तिकरण और बालिका शिक्षा को लेकर भी चल रहे कई अभियानों से जुडी हुई हैं। डॉक्टर अग्रवाल ने तो विधवा महिलाओं को उनके अधिकारों को लेकर आंदोलन भी छेड रखा है।