मलाला बोली, ‘एक कलम बदल सकती है दुनिया’

सक्सेस सांग

मनाया संयुक्त राष्ट्र में 16वां जन्मदिन

संयुक्त राष्ट्र : पाकिस्तान में तालिबान की धमकी की परवाह न करते हुए लड़कियों की शिक्षा की पैरोकारी करने वाली मलाला यूसुफजई ने संयुक्त राष्ट्र से कहा कि वह आतंकवादी खतरे के सामने खामोश नहीं होंगी. आपको बता दें कि मलाला आज 16 साल की हो गई है। उनके जन्मदिन को संयुक्त राष्ट्र ने ‘मलाला दिवस’ के रूप में मनाने फैसला किया है।

पिछले साल तालिबान के हमले में घायल हुईं मलाला ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘उन्होंने सोचा था कि उनकी गोली हमें खामोश कर देगी, लेकिन वे नाकाम रहे.’  मलाला की शोहरत यूं ही नहीं है। लड़कियों की शिक्षा के लिए आवाज बुलंद करने के कारण पिछले साल तालिबान ने पाकिस्तान में मलाला यूसुफजई की हत्या का प्रयास किया था। अब ब्रिटेन में पढ़ रही मलाला ने इस अवसर पर सभी बच्चों के लिए मुफ्त स्कूली शिक्षा अनिवार्य बनाने की अपील की।

मलाला ने दुनियाभर की लड़कियों से अपील की, ‘चलो किताबें और कलम उठाओ. ये हमारे सबसे ताकतवर हथियार हैं. एक बच्चा, एक शिक्षक, एक किताब और एक कलम ही दुनिया को बदल सकते हैं. शिक्षा ही एकमात्र हल है.’ मलाला ने मून को करीब 40 लाख लोगों का हस्ताक्षरयुक्त आवेदन सौंपा जिसमें दुनिया के 5.7 करोड़ वैसे बच्चे जो स्कूल नहीं जा पा रहे हैं उनके लिए विश्व के नेताओं से नए शिक्षक, स्कूल और किताबें मुहैया कराने और बाल श्रम, बाल विवाह व बाल तस्करी रोकने के लिए मांग की गई है।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून और न्यूयार्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय की यूथ असेंबली में भाग लेने दुनिया भर से जुटे करीब एक हजार छात्रों से मलाला ने कहा कि जीवन को बेहतर बनाने का शिक्षा ही एकमात्र रास्ता है। उसने कहा, ‘अब हमें अपनी किताबें व कलम उठा लेनी चाहिए। ये सबसे शक्तिशाली हथियार हैं। एक बच्चा, एक शिक्षक, एक कलम और एक किताब पूरी दुनिया को बदल सकते हैं।

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