: इश्क का मतलब केवल सार्वजनिक चुम्माचाटी का अधिकार हासिल करना नहीं होता : टका सा जवाब दे दिया उस युवती ने उस बेहूदे युवक के ऐसे निवेदन पर : आइन्दा ऐसी हिमाकत मत करना। भाग बे यहां से उल्लू के पट्ठे :
कुमार सौवीर
लखनऊ : एक मेरी बिटिया-सी है एक युवती। मस्त-अल्हड़, बेबाक-बेहिसाब।
नाम पूछ कर क्या करेंगे आप? सीधे किस्सा सुनिये ना, जो उसने मुझे सुनाया।
हुआ यह कि केरल से शुरू हुए एक अनाचारी और वासनासिक्त-प्रेम के आंदोलन की शुरूआत हुई थी किस ऑफ लव। इसका जबर्दस्त झोंका दिल्ली तक खूब बरसा-गरजा। वसंत कुंज और प्रिया काम्प्लेक्स के आसपास तो हर तरफ देखो, केवल चुम्मा ही चुमा, सिर्फ चाटी ही चाटी। लगता था, मानो इस देश में सार्वजनिक तौर पर एक राष्ट्रीय अभियान छेड़ दिया जाना चाहिए कि कश्मीर, बांग्लादेश, पाकिस्तान और चीन ही नहीं, बल्कि नक्सल, अतिवाद आतंक, अराजकता, बेईमानी, भ्रष्टाचार, नेताओं की खरीद-फरोख्त से लाखों गुना ज्यादा महत्वपूर्ण कर्म अगर कोई है तो वह है सरेआम चुम्मा-चाटी।
तो साहब, एक युवक ने उस बच्ची के फेसबुक के मैसेंजर पर संदेसा भेजा और राय मांगी कि, ” किस ऑफ लव के बारे में आपकी क्या राय है।”
इस लड़की ने जवाब दिया। आप भी सुनिये और मजा लीजिए। बोली:- “बहुत बढिया़ आईडिया है यह। इससे बेहतर और क्या हो सकता है कि आप किसी लड़की को सरेआम चूमे और आनन्द लें। खुद को भी अधिकार-सम्पन्न समझें और अपनी उस साथी युवती को भी इतना अधिकार-सम्पन्न बना दें कि वह किसी युवक को खुलेआम, सरेआम, सरेबाजार, सरेशाम कहीं भी बिना किसी झिझक से चूम-चाट सके। यह तो कमाल का आंदोलन हो जाएगा, जिसमें मेरा पूरा समर्थन रहेगा। लेकिन एक शर्त है। वह यह कि अगर पहले तुम अपनी बहन को पहले इस तरह सजग, सतर्क और अधिकारसम्पन्न अधिकार दे दो। सबसे पहले, अपनी बहन को सार्वजनिक तौर पर चूमने का अधिकार दो, और खुद वहां खड़े होकर उस क्रिया पर बेफिक्र ही नहीं, बल्कि अपना समर्थन देने के लिए उसकी हौसला-आफजाई करो।
“और अगर तुम ऐसा नहीं कर सकते हो तो आइन्दा मुझे इस तरह के मैसेज भेजने की हिमाकत मत करना। भाग बे यहां से उल्लू के पट्ठे”