महिला विधायक ने एसडीएम को डांटा, चल भाग यहां से

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: बदतमीजी किसी की भी बपौती नहीं, अनीता की भी नहीं : दो मिनट में निकल यहां से, वरना तबादला में सड़ा दूंगी तुझे : एडीएम पूरी तमीज से बोला:- किसको चार्ज दूं, कोई मिले तो :

कुमार सौवीर

लखनऊ : सच बात तो यही है कि अभद्रता-बदतमीजी किसी भी बपौती नहीं होती है। जाहिर है कि इसी शर्त पर यह बपौती अनीता गुर्जर की भी नहीं हो सकती है। भले ही वे भाजपा की विधायक हों, या फिर भले किसी तथाकथित रॉयल गुर्जर सोसायटी की तथाकथित सम्मानित सदस्यप। लेकिन उन्हों ने एक अधिकारी के साथ फोन पर अभद्रता की सारी सीमाएं लांघ डालीं। फिलहाल इस महिला की अभद्रता की यह बातचीत अब हंगामाखेज और वायरल हो चुका है।

अनीता गुर्जर। मूल नाम है अनीता दायमा। मुम्बई के कोलाबा इलाके की पैदाइश है उनकी। उनकी पिता का नाम है वीर दायमा। चार जून सन 71 की पैदाइश है उनकी और वे साइंस में ग्रेजुएशन के बाद कानून की डिग्री भी ले चुकी हैं। पहले इकहरे बदन की अनीता आजकल दोहरे बदन में तब्दील हो चुकी हैं। इनकी शादी 24 साल की उम्र में किन्हीं अजीत सिंह से हुई है। मध्यप्रदेश के एक परिवार में। वहीं पर वे राजनीति में आयीं और राजस्थान के भरतपुर के नागर विधायक सीट पर विधायक चुनी गयी हैं। कल उन्होंने अपने इलाके के एसडीएम को फोन किया। यह अधिकारी पांच दिन पहले ही यहां तबादले में यहां आया था। हालांकि इसी बीच एक बार एक आधिकारिक बैठक में उन दोनों की भेंट-मुलाकात हुई थी। लेकिन अनीता इस बात पर कल अचानक भड़क गयीं कि इस अफसर ने उनके घर पहुंच कर सलाम क्यों नहीं किया। उनका मानना था कि एक सरकारी नौकर की यह जिम्मेदारी है कि वह जनसेवक के घर पहुंच कर उनकी खुशामद करे और अपने इलाके में सुख-शांति के साथ रहने का अभयदान मांगे। लेकिन इस अधिकारी ने उनकी ऐसी ख्वाहिश को पूरा करने से इनकार कर दिया, ऐसा भी नहीं है। जानकार बताते हैं कि चूंकि इसके पहले के बाद के अधिकारी के तबादले के बाद चूंकि कई दिनों का काम बचा हुआ था, इसलिए उस अधिकारी ने तय किया कि पहले सरकारी कामकाज निपटा दे, उसके बाद ही अनीता गुर्जर विधायक के घर पहुंच कर गैरसरकारी औपचारिकताएं पूरा कराये। लेकिन अनीता गुर्जर को उसका यह रवैया नागवार लगा और उसने फोन कर उस अफसर को जमकर लताड़ा। लेकिन इस अधिकारी  ने पहले तो इस विधायक को समझाने और अपनी समस्याएं सुनाने की कोशिशें सुनायीं, लेकिन जब विधायक ने उसकी एक भी न ही सुनी तो उस अधिकारी ने उन्हें  जवाब देना शुरू कर दिया। इस पर अनीता ने कहा कि मैं तुम्हारा तबादला चुटकियों में करा दूंगी, तो उसने कहा कि कोई बात नहीं। मैं खुद ही चार्ज दे दूंगा। लेकिन इसके पहले यह बताइये कि मैं अपना चार्ज किस अधिकारी को सौंप दूं। क्यों कि उस समय कोई ऐसा अफसर ही नहीं है।

लीजिए, इस बातचीत को सुनने के लिए निम्न लिंक को क्लिक कर दीजिए

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