: सुब्रत राय पर खबर नहीं लिखते, उनके जन्म दिन पर नायाब तोहफा थमा देता है दैनिक भास्कर का रिपोर्टर : जितनी भी सम्पत्तियों का जिक्र रिपोर्टर ने किया है, वह सुब्रत राय की है, न सहारा इंडिया की : सब कुछ जब्त किया जा चुका है सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर :
कुमार सौवीर
लखनऊ : पूरी दुनिया जान चुकी है कि इसकी टोपी उसके सिर पर पहनाने में माहिर सुब्रत राय पर ठगी के घोषित तमगे टंग चुके हैं। जब तक तो सुब्रत राय की इस धोखाधड़ी का धंधा चमकता रहा, तो सुब्रत राय की ऐयाशियां बेहिसाब दौड़ती रहीं। लेकिन जैसे ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप कर सुब्रत राय को जेल में बंद कराया और उनकी सारी सम्पत्तियों पर निगहबानी कर दी है, सुब्रत राय के हाथों के तोते उड़ने लगे हैं। लेकिन इसके बावजूद दैनिक भास्कर के लोग सुब्रत राय के इस धंधे के लिए यशोगीत गाने पर जुटे हैं। वजह है प्राइवेट प्रैक्टिस, यानी रिपोर्टरों का अपना-अपना धंधा।
लेकिन पिछले दिनों तो दैनिक भास्कर के रिपोर्टर ने तो कमाल ही कर दिया।
लेकिन इसके साथ ही हम सुब्रत राय के दस प्रमुख झूठों-करतूतों का खुलासा करेंगे, ताकि आप भी उन्हें अच्छी तरह देख-समझ लीजिए।
हम आपको बतायेंगे कि इस के बावजूद दैनिक भास्कर के रिपोर्टर ने सहारा इंडिया और सुब्रत राय के इन दस झूठों पर किस तरह पाठकों की आंखों में धूल झोंकी, बल्कि उस पर एक और जोरदार छौंका लगा दिया। एक नये ग्यारहवें झूठ की तौर पर।
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तो जनाब, पहला यह कि सुब्रत राय सिरे से ही एक परले दर्जे का झूठा और चार सौ बीसिया शख्स है। आपको खूब याद होगा कि ओलम्पिक के बेटन यानी मशाल को लेकर सुब्रत राय ने एक झूठा नाटक किया था। सुब्रत राय ने ऐसा प्रदर्शन किया था मानो ओलम्पिक समिति की आयोजन समिति ने ही यह बेटन सुब्रत राय को थमाया हो। बाद में यह बेटन ही नकली निकला। दूसरी बात यह कि 36 हजार करोड़ रूपयों की देनदारी सुब्रत राय पर है, जो सहारा इंडिया के धंधे को लेकर नहीं है, बल्कि देश के हजारों नादान निवेशकों को बाकायदा झूठे प्रलोभन और हवाई किले व सब्ज-गाह दिखा कर ठगे गये हैं। तीसरी बात यह कि सुप्रीम कोर्ट ने सुब्रत राय को इस मामले में यह रकम वापस करने का आदेश किया और न अदा करने के अपराध में उसे दो साल तक जेल में बंद रखा। चौथी बात यह कि बाद में अपनी मां की अन्येष्टि का वास्ता देकर सुब्रत राय जेल से छूटा और लेकिन इसके बावजूद कोर्ट को झांसा देकर जेल से बाहर है।
पांचवीं बात यह कि 1500 करोड़ रूपया अदा करने में आनाकानी करने पर सुप्रीम कोर्ट अब सुब्रत राय से खफा है और कभी भी सुब्रत राय की जेल-वापसी का वक्त आ सकता है। छठवीं बात यह कि सहारा इंडिया की अधिकांश सम्पत्तियां जब्त हो चुकी हैं, या फिर उस पर प्रशासक तैनात हो चुका है, जो उस सम्पत्ति को निस्तारित करेगा। सातवीं बात यह कि सहारा का इंशोरेंस का काम भी सरकार ने जब्त कर दिया है। आठवीं बात यह कि सहारा इंडिया अपने कर्मचारियों को लगातार प्रताडि़त कर रहा है, ताकि वे कर्मचारी नौकरी छोड़ कर चले जाएं। नवीं बात यह कि कई कर्मचारी या तो भुखमरी का शिकार बन चुके हैं, या आत्महत्या कर चुके हैं। दसवीं बात यह कि सुब्रत राय ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद अब तक सेबी का पैसा वापस न करने के बजाय अब वह अपने जन्मदिन वगैरह में किस तरह सहारा का पैसा लुटा रहे हैं।
अब आइये इस सबसे बड़े ग्यारहवें झूठ के बारे में, जो सुब्रत से भी कोसों कोस कूद कर दैनिक भास्कर के रिपोर्टर ने लिख मारा। इस रिपोर्टर का नाम है दिनेश मिश्रा। लखनऊ ब्यूरो में काम करते हैं दिनेश मिश्र। सुब्रत राय के जन्मदिन पर दिनेश मिश्रा इतने भाव-विह्वल हो गये कि भावातिरेक में उन्होंने सहारा की सारी सम्पत्तियों को सुब्रत राय के नाम रजिस्टर्ड करा दिया। बाकायदा निजी रजिस्ट्री या बैनामा की तरह दिनेश मिश्रा ने लिख दिया कि यह सारी सम्पत्तियां सुब्रत राय की हैं। जबकि हकीकत यह है कि यह सम्पत्तियां न तो कभी सुब्रत राय की रही थीं, और न हैं। इतना ही नहीं, सहारा इंडिया की इन सम्पत्तियों को भी अब प्रशासक तैनात हो चुका है, या फिर वे जब्त होकर उनकी बिक्री या नीलामी की तैयारी हो चुकी है।
जाहिर है कि सुब्रत राय तो झूठ बोल ही रहे हैं, दैनिक भास्कर समूह का रिपोर्टर भी सुब्रत राय और सहारा इंडिया के सुर में सुर मिलते हुए अब बाकायदा झूठ पर झूठ बोलने पर आमादा दिख रहा है। इस रिपोर्टर ने तो ऐसा ऐलान कर दिया है कि मानो ग्रासवेनर हाउस, पुणे वारियर्स इंडिया, ऐम्बी वैली सिटी, प्लाजा होटल और ड्रीम डाउनटाउन होटल जैसी सम्पत्तियों का बैनामा सुब्रत राय के नाम पर खुद ही कर डाला हो। न तो इस रिपोर्टर ने, और न ही उसके सम्पादकों ने इस बात की जांच करने की जरूरत समझी कि यह सम्पत्ति सुब्रत राय की नहीं, कभी सहारा इंडिया की हुआ करती थीं। और रही बात पुणे वारियर्स की, तो सुब्रत राय ने उसे छह साल पहले ही छोड़ दिया था। वैसे भी पुणे वारियर्स इंडिया कोई सम्पत्ति नहीं, वरन सहारा इंडिया की एक फ्रेंचाइजी भर ही थी।
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