तेलंगाना हाईकोर्ट के एक “योर ऑनर” पर महाभियोग की नोटिस

सैड सांग

: राज्यसभा के 61 सांसदों ने शुरू की ऐतिहासिक कवायद : इस नोटिस पर आवश्‍यक संख्‍या से 11 ज्‍यादा सांसदों का प्रस्‍ताव का ऐलान किया : अब तक 61 राज्‍यसभा सदस्‍यों ने इस नोटिस पर दस्‍तखत किया, अब नोटिस की वैधता जांची जाएगी :

संवाददाता

नई दिल्‍ली : न्‍यायपालिका अब एक नयी और गजब कवायद के चक्‍कर में फंसी दिखने लगी है। ताजा खबर के मुताबिक राज्यसभा के 61 सांसदों ने तेलंगाना हाईकोर्ट के एक जज के खिलाफ महाभियोग लगाने की मांग की है। न्यायमूर्ति सी वी नागार्जुन रेड्डी पर आरोप है कि उन्होंने कडप्पा जिले में एक दलित मुख्य कनिष्ठ दिवानी जज पर कथित तौर पर एक आपराधिक मामले में दवाब डालने के लिए उनके खिलाफ अत्याचार किये। जज पर महाभियोग लगाने वाली याचिका पर मुख्यत: तेदेपा और वामपंथी सांसदों के हस्ताक्षर हैं।

राज्यसभा सचिवालय ने 61 सांसदों की ओर से इस तरह की याचिका प्राप्त करने की पुष्टि की है और कहा कि मामले की जांच करने के बाद अगले दो दिनों में इसकी वैद्यता पर कोई फैसला किया जायेगा। गौरतलब है कि महाभियोग के लिए लोकसभा के 100 सदस्यों अथवा राज्यसभा के 50 सदस्यों को याचिका पर हस्ताक्षर करना होता है।

खबरों के मुताबिक उन्होंने न्यायमूर्ति सीवी नागार्जुन रेड्डी पर एक दलित जिला जज पर अत्याचार करने का आरोप लगाते हुए यह मांग की है। द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक साल 2012 में कडप्पा जिले में नागार्जुन रेड्डी के एक नौकर ने मरने से पहले उनके भाई पवन रेड्डी को अपनी मौत का जिम्मेदार ठहराया था। उसने जिला जज एस रामाकृष्ण को दिए बयान में कहा था कि पवन रेड्डी ने उससे एक कोरे कागज पर हस्ताक्षर करने को कहा था और जब उसने ऐसा नहीं किया तो रेड्डी ने उसे जला दिया।

सांसदों का आरोप है कि इस घटना के बाद से नागार्जुन रेड्डी जिला जज रामाकृष्ण पर इस मामले से अपने भाई का नाम हटाने का दवाब डाल रहे थे। बताया जाता है कि जब रामाकृष्ण इसके लिए तैयार नहीं हुए तो उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया। पहले उनका कई जिलों में तबादला किया गया और उसके बाद भ्रष्टाचार की एक अज्ञात शिकायत पर उन्हें निलंबित कर दिया गया।

सोमवार को राज्यसभा सचिवालय की ओर से कहा गया कि 61 सांसदों ने सभापति हामिद अंसारी को इस संबंध में एक याचिका सौंपी है। इसमें नागार्जुन रेड्डी के खिलाफ महाभियोग की कार्रवाई की मांग की गई है। इस याचिका पर हस्ताक्षर करने वाले सांसदों में सीताराम येचुरी, डी राजा, सपा सांसद नरेश अग्रवाल और जदयू सांसद शरद यादव भी शामिल हैं. सचिवालय के अनुसार अगले दो दिनों में इस मामले की जांच और इस याचिका की वैधता को लेकर फैसला किया जाएगा।

न्यायाधीश जांच कानून 1968 के प्रावधानों के तहत अगर इस तरह की याचिका पर लोकसभा के 100 सदस्य या राज्यसभा के 50 सदस्य हस्ताक्षर करते हैं तो राज्यसभा के सभापति को इसे स्वीकार करना होगा साथ ही इसकी जांच के लिए दो न्यायाधीशों वाली तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन भी करना पड़ेगा।

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