एलपी गुरु जैसे जजों की भी हवा सरकती हैं नाजिरों से

दोलत्ती

: अदने से नाजिर की हैसियत कैसे हो जाती है जजों के सिर पर मूतने की : एक जज की आपबीती, उन्नाव का नाज़िर काण्ड :

राजेन्द्र सिंह

लखनऊ : केंद्रीय नाज़िर बहुत बड़ी तोप होता है सिविल कोर्ट में । जज साहब का दाहिना हाथ । इसके बाद सिविल अमीन का नंबर आता है । इन दोनों से खर्च कराने का कोई हिसाब नहीं । सेंट्रल नाज़िर सुबह शाम जज साहब के यहां पाया जाने वाला प्राणि है । उसकी ड्यूटी 24*7वाली है । जब तक मैं जिला जज नहीँ बना , ये गुण मुझे मालूम नही था । जिला जज अधिकारी की बात भले न माने पर सेंट्रल नाज़िर उनकी नाक का बाल होता है, उसकी चलती है । प्रभारी अधिकारी , नजारत और जज साहेब के बुलाने पर तुरंत हुकुम बजाता है नाज़िर । बाकी अधिकारियों को उँगली पर नचाने की कोशिश करता है नाज़िर ।
उन्नाव , सेंट्रल नाज़िर गजराज महोदय थे । ग़ज राज , नाम ही काफ़ी था । मैं मुंसिफ़ दक्षिणी , शहर की महत्वपूर्ण कोर्ट । नए दीवानी वाद में प्रतिवादी पर नोटिस जारी करने के लिए अधिवक्ता कमिश्नर या कभी कभी विशेष वाहक भेजने का प्रार्थना पत्र दिया जाता है । मेरे वाले कथानक में विशेष वाहक भेजने का प्रार्थना पत्र दिया गया । विशेष वाहक के संबंध में एक रजिस्टर होता है जिनमें एक सीमित संख्या में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का नाम लिखा रहता है जिन्हें न्यायालय क्रमानुसार विशेष वाहक नियुक्त कर रजिस्टर में उसका अंकन कर देती है । मैंने भी विशेष वाहक भेजने संबंधी प्रार्थना पत्र पड़ने पर नजारत से विशेष वाहक नियुक्ति सम्बन्धी रजिस्टर समन करने का आदेश किया । मांगपत्र नजारत भेजा गया ।केंद्रीय नाज़िर गजराज महोदय ने रजिस्टर नहीं भेजा और टिप्णी अंकित की कि विशेष वाहक नियुक्त कर भेजने का अधिकार नजारत का है , आप अपना आदेश भेज दे , नियुक्ति नजारत से होगी । मेरा तो दिमाग ठनक गया । न्यायिक आदेश में प्रशासनिक हस्तक्षेप ! मैंने एक काँटेम्पट नोटिस नाज़िर के नाम से विधिवत आदेश द्वारा पारित किया और अपने स्टाफ से नाज़िर पर तामील कराने भेजा ।

नाज़िर ने लेने से मना कर दिया । मैंने फिर दूसरा स्पष्ट आदेश किया कि इसे नजारत के मुख्य द्वार पर चस्पा किया जाए और एक प्रति अपने न्यायालय के द्वार पर भी चस्पा करने को लिखा। मेरा स्टाफ नजारत गया और नोटिस वहां चस्पा किया लेकिन उनकी नाज़िर से तू तू मैं मैं हुई और चस्पा होने के बाद नोटिस नाज़िर ने उखाड़ कर फाड़ कर फेंक दिया । ये वाक्या यह दिखाता है कि नाज़िर पर जज साहब का प्रश्रय / आश्रय कितना था कि उसने इतना दुस्साहस दिखाया । यहीं उससे भयंकर भूल हो गई । प्रकीर्ण वाद दर्ज हो चुका था । तारीख शायद एक सप्ताह की लगी । मैंने विशेष वाहक अपने स्तर से नियुक्त कर दिया । जज साहब अवकाश पर थे ।
नाज़िर साहब के सिपहसालार, जिसमे अधिकारी भी शामिल थे , उसको राय देने लगे । नाज़िर साहेब ने एक उत्तर तैयार किया जिसमें कुछ पुरानी बातों का हवाला दिया जैसे……
1. आपने अपने चपरासी को बदलने को मुझसे कहा था और मैंने नहीं बदला इसलिए आप मुझसे नाराज़ थे ।
2. आपने मुझसे फर्नीचर मांगा जो मैं नहीं दे पाया इसलिए आप मुझसे नाराज़ थे ।
इसी तरह के बेबुनियाद, अनर्गल और असंगत तथ्यों को लिखते हुए अंत मे लिखा कि आपने इसी कारण नोटिस जारी की है । उसने पत्र मेरे पास भिजवा दिया । मैंने इस पत्र को अवज्ञाकारी मानते हुए एक आदेश द्वारा एक दूसरी काँटेम्पट नोटिस जारी कर दी ।
इसी बीच जज साहब लौट आये । वो भगा उनके घर और अपना जो कुछ बढ़ा कर बताना था , बताया । ये खबर बंगले के एक चपरासी ने मुझे बताई ।मुझे लगा कि अब तो प्रतिकूल प्रविष्टि की भूमिका तैयार हो रही है ।
तीसरे दिन मेरे 10.15 पर डायस पर बैठते ही केंद्रीय नाज़िर गजराज महोदय जनरल रूल्स सिविल और सी0पी0सी0 की किताब लेकर मेरे समक्ष उपस्थित हुए और आंग्ल भाषा में बोले..
” I am chief central nazir of Civil court as per General Rules Civil and you have no power to issue contempt notice…..
मैंने तुरंत उसकी बात काटते हुए कहा ….
“Are you arguing on your contempt notice or you will file a written reply….”
वो तुरंत मुड़ा और अपनी पोथी पट्टी लेकर दन्न से कोर्ट रूम से बाहर ।
शाम होते होते झब्बा आ गया ( जज साहब का ऑर्डरली) और बोला कि जज साहेब ने बंगले पर आपको याद किया है । मैं आजतक ये नहीं समझ पाया कि जिला जज के लिए बड़ा कौन…अधिकारी या कर्मचारी ! पेशी का न्यौता तो आ गया ।जिला जज एल0पी0मिश्रा @एल0पी0गुरु। पहुंच गए तयशुदा समय पर बँगले पर । बाहर एक बेंच पर गजराज जी रोनी सूरत बनाये बैठे थे । बंगले के चपरासी ने बताया कि ये सुबह से यहां फेविकॉल के पक्के जोड़ की तरह चिपके हुए हैं ।
जज साहब से सामना हुआ । बोले कि क्या हुआ है , सुबह से यहाँ आकर बैठा है रोनी सूरत लिए । कहता है कि तुम सजा कर दोगे । माफी मांग लेगा । जाने दो । मैंने उन्हें सारा वाक्या बताया ।बोले कि अब माफ़ी मांगने को तैयार है । मैन कहा कि आप कह रहे हैं तो ठीक है । अगले दिन गजराज जी आये और बिना शर्त अपना माफ़ीनामा दिया । मैंने आदेश किया…
” contemner is present before the court. From the facts it is crystal clear that he has committed contempt of court and is guilty of contempt of court but as he has tendered unconditional apology , the contempt proceedings against him is hereby dropped . Consign ”

LESSON FOR YOU…..If you have initiated contempt proceedings against anyone , and he files unconditional apology , remember to hold him guilty first and thereafter drop the proceeding .

राजेन्द्र सिंह लखनऊ में जिला सत्र न्यायाधीश रह चुके हैं।

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