मंत्री मिली तो ठीक, वरना परवीन पर जेहाद

बिटिया खबर

 

डीएसपी हत्या मामले से बरी राजा की हो सकती है गद्दीनशीनी

लखनऊ : कुंडा के मारे गये डिप्टी एसपी की हत्या के मामले खासे चर्चा में आ चुके और इसी मामले में प्रदेश मंत्री के ओहदे खो चुके रघुप्रताप सिंह उर्फ राजा भैया को अगर मंत्री का ओहदा वापस नहीं मिलता है तो वे मजबूरन जिया उल हक की बेवा परवीन आजाद पर धर्मयुद्ध छेड़ सकते हैं। ऐसे में अगले चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी के पांसे बुरी तरह चोट खा सकते हैं।

लेकिन फिलहाल तो वे इसी जुगत में भिड़े हुए हैं कि बीती बात बिसार कर पहले अपनी मंत्री गिरी हासिल कर लें, इसके लिए लगातार वे अखिलेश यादव के समर्थन में बयान जारी कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में कुंडा के बहुचर्चित डीएसपी जिया उल हक हत्याकांड की जांच कर रही सीबीआई ने मामले में आरोपी पूर्व मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया को क्लीन चिट तो दे ही है, लेकिन अब भी कुंडा का यह राजा दो-राहे पर ही खड़ा है।वैसे राजा भइया के करीबी लोगों का मानना है कि राजा भैया के पास फिलहाल दो ही रास्ते ही हैं।

या तो अखिलेश सरकार उन्हें प्रदेश सरकार में में कैबिनेट मंत्री का ओहदा वापस दिला दे। लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ तो तय है कि राजा भैया अगला निशाना कुंडा के मारे डिप्टी एसपी जिया उल हक की विधवा परवीन आजाद पर ही तानेंगे।

जांच एजेंसी ने कहा है कि उनके खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं। इसके साथ ही राजा भैया को फिर से मंत्रिमंडल में लिए जाने की अटकलें तेज हो गयी हैं। क्लीन चिट मिलने के बाद राजा भैया ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की जम कर तारीफ की और कहा की उनकी सरकार पर उंगली न उठे इस लिए उन्होंने मंत्रिपद छोड़ा था । इस बुरे समय में समाजवादी पार्टी के विधायकों और मंत्रियों ने उनका साथ दिया इसका मैं तहे दिल से आभारी हूं। राजा भैया का कहना है कि कुंडा में कुछ भी घटता है उसको राजा भैया से जोड़ दिया जाता है और नाम आते ही वो मीडिया की सुर्खी बन जाते हैं।

403 सीटों वाली विधान सभा में इस समय मंत्रिपरिषद में कुल 58 सदस्य हैं। इस तरह दो मंत्रियों को अभी भी कैबिनेट में जगह दी जा सकती हैं। 16 महीने पुरानी अखिलेश सरकार का चैथा मंत्रिमंडल विस्तार 18 जुलाई को हुआ था। तब अटकले लगाई जा रही थी कि राजा भैया की ताजपोशी होगी। लेकिन ऐन वक्त पर उनका नाम कट गया था। पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव राजा भैया को पसंद करते हैं। उन्हें लगता है कि इससे ठाकुरों के वोट बैंक का लाभ पार्टी को मिलेगा लेकिन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और आजम खां जैसे कुछ बडे़ नेता उनको पसन्द नहीं करते।

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