खतरा डोकला,ग्‍वादर या चाबहार नहीं, बांग्‍लादेश से है साहब

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: ढाका और कॉक्‍स-बाजार से म्‍यांमार होते हुए चीन तैयार कर रहा है एक्‍सप्रेस-वे : वाणिज्यिक ही नहीं, सामरिक उपयोग वाली इस सड़क पर काम जोर-शोर से जारी : पूरा खर्चा उठा रही है चीन-सरकार : म्‍यांमार के इसमें क्‍या हित हैं, फिलहाल नामालूम :

कुमार सौवीर

लखनऊ : पाकिस्‍तानी ग्वादर और ईरानी चाबहार बंदरगाहों पर चीनी सरकार की लगातार बढ़ती जा रही धमक को लेकर भले ही जोरदार हल्ला-गुल्‍ला भारत में चल रहा हो, लेकिन सच बात तो यही है कि भारत को असली खतरा बांग्लादेश में चल रही गतिविधियों को लेकर है। ताजा खबर यह है कि चीन ने भारत को घेरने के लिए बांग्‍लादेश पर जो पांसे फैलाना शुरू किया है, वह फिलहाल भारत में चर्चा का विषय नहीं बन पाया है। इसके बावजूद इसके कि बांग्‍लादेश के रास्‍ते से चीन न केवल अपनी पहुंच पैदा कर रहा है, बल्कि उसकी ताजा कवायद में म्‍यांमार तक को शामिल किया जा रहा है। जानकार बताते हैं कि जो खतरा सीधे बांग्लादेश में पैदा हो रहा है उसकी ओर से हिंदुस्तानी हुक्मरानों को तनिक भी आशंका नहीं।

आपको बता दें कि भारत सरकार चीन के हमलावर अंदाज पर खूब चिल्ला रही है। वजह है भूटान का डोकलाम, पाकिस्तान का ग्वादर और ईरान का चाबहार क्षेत्र की तिकड़ी एक साथ चलाने वाली चीन सरकार की साजिश है। लेकिन असल खतरा तो अब शायद भारत के सीधे पड़ोस में पनपने लगा है। खबर है कि चीन सरकार ने बांग्लादेश में एक एक्सप्रेस-हाईवे बनाने की कारवाई शुरू कर दी है। यह एक्सप्रेस हाईवे बांग्लादेश की राजधानी ढाका से लेकर चटगांव कॉक्स बाजार की ओर से सीधे म्यांमार की ओर निकल जाएगा और फिर म्यांमार में लंबी दौड़ उछाल मारते हुए यह सड़क सीधे बांग्लादेश को चीन तक जोड़ देगा। यानी मकसद साफ है कि एक तरफ ग्वादर, दूसरी ओर चाबहार, तीसरी ओर भूटान का डोकला के बाद अब चीन की पहुंच ढाका तक पहुंच जाएगी।

भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण संस्थान संगठन के पूर्व महानिदेशक राकेश तिवारी हाल ही बांग्लादेश की यात्रा पर गए थे। अपनी यात्रा के दौरान श्री तिवारी ढाका चटगांव और कॉक्स बाजार के कई विश्वविद्यालयों पर भी भ्रमण यात्रा के तहत गए थे। तिवारी बताते हैं कि उन्हें पता चला कि बांग्लादेश में सड़क योजनाओं पर चीन सरकार आज फिर कुछ ज्यादा ही सक्रियता दिखा रही है। उन्होंने बताया ढाका से यह बड़ी सड़क सीधे चीन तक पहुंचेगी। रास्ता जहिर है कि म्यांमार ही होगा।

हालांकि राकेश तिवारी को इस बारे में कोई खास जानकारी नहीं है। लेकिन हमारे ढाका स्थित सूत्रों ने बताया है कि इस सड़क की निगरानी का काम चीनी इंजीनियर ही कर रहे हैं। इसके लिए रकम भी चीनी सरकार दे रही है। लेकिन यह पता नहीं चल पाया है कि इस सड़क के लिए चीन ने बांग्‍लादेश को अनुदान दिया है, या फिर उसके लिए आंशिक अनुदान दिया गया है। यह भी नहीं पता चल पा रहा है कि इस परियोजना में म्‍यांमार की क्‍या भूमिका होगी। कहने की जरूरत नहीं कि म्‍यांमार के पास इतने संसाधन नहीं हैं कि वह ऐसे किसी विशाल परियोजना पर पूरा खर्चा उठा सके। सूत्र बताते हैं कि यह योजना भले ही प्राथमिक तौर पर व्‍यावसायिक-वाणिज्यिक प्रयोग के तहत दिख रही हो, लेकिन उसके सामरिक उपयोग की आशंका को निर्मूल नहीं माना जा सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *