ठगे जा रहे हैं उपराष्‍ट्रपति, तब देश का रामनाम सत्‍त

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: वजन कम करने वाली दवा के चलते वैंकैया नायडू तक ठगे गये, जापानी तेल के चक्‍कर में पूरा भारत चक्‍कर-घिन्‍नी बना घूम रहा : एक ओर निर्मल बाबा जैसे बाबाओं ने ठगी-विद्या का जाल फैलाया, अखबार बेच रहे हैं लिंग-वर्द्धक यंत्र : दिखती हो कहीं कोई आशा की किरण तो जरा पूरे देश को भी बताइयेगा :

कुमार सौवीर

लखनऊ : उपराष्ट्रपति जनता को किस्सा भी सुना रहे थे या चिंता, लेकिन उन्‍होंने यह तो खुलासा कर ही दिया कि पूरा भारत इस वक्‍त धोखेबाजों की गिरफ्त में है। हैरत की बात है कि देश के उपराष्ट्रपति पर बैठा शख्स भी धोखाधड़ी करने वाले गिरोहों का शिकार बन गया। लेकिन सवाल यह है कि वेंकैया नायडू ने इस पर करवाई क्या की, और सिनेमाई सितारों के चिकने-चुपड़े चेहरों के सहारे नकली माल बेचने वालों पर क्या कार्रवाई होगी, सरकार स्पष्ट नहीं कर रहे रही है।

राज्‍यसभा में समाजवादी पार्टी के सांसद नरेश अग्रवाल की बात मत कीजिए, सब जानते हैं कि नरेश अग्रवाल बकलोल हैं। उन्होंने अपने उम्र के इस आखिरी पड़ाव में कोई गंभीर चर्चा न करने का संकल्प ले रखा है। लेकिन वेंकैया नायडू तो देश के एक जिम्मेदार शख्सियत हैं। इतना ही नहीं, वह देश के उपराष्ट्रपति भी हैं। लेकिन ऐसे अहम पद पर बैठा कोई शख्स जब कोई किस्सा सुनाता है तो बहुत दुख होता है। खासतौर से तब जब उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू देश में चल रही धोखाधड़ी और लूट की के किस्से सुनाते जरूर है लेकिन सरकार पर यह दबाव नहीं डाल पाते कि उसे कैसे निपटा जा सकता है।

कहने की जरूरत नहीं पिछले कुछ वर्षों में फर्जी और निराधार आधारों तर्कों के आधार पर झूठे विज्ञापन देकर आम आदमी को लूटने इस साजिशें किसी आतंक की तरफ बढ़ चुकी हैं।

राज्यसभा में सभापति और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने बताया कि अपने पदभार संभालने के बाद जब उन्होंने 1 दिन अपना वजन कम करने की कोशिश की तो, उन्होंने एक दवा खरीद ली। एक झूठे विज्ञापन से भ्रमित होकर वेंकैया ने 1230 रुपए अदा किए और 28 दिन में अपना वजन कम करने वाली दवा खरीदने की कोशिश की। वेंकैया ने जब यह पैसा अदा कर दिया, तो फिर इस विज्ञापनदाता की ओर से फिर यह मांग की गई कि वे पहले अतिरिक्‍त रूप से 1000 और अदा करें। हैरत की बात है इस मामले पर उन्होंने सरकार को संबंधित मंत्री को पत्र भी लिखा और कड़ी कार्रवाई करने का अनुरोध किया। लेकिन इसका कोई लाभ नहीं मिला।

समस्या बहुत गम्‍भीर है। यहां दो सवाल हैं। आम आदमी तो दूऱ उपराष्ट्रपति जैसा शख्स भी धोखाधड़ी का शिकार बन गया, तब जब उसके पास सलाहकारों के पास एक बड़ी टीम है। और अगर हां, तो फिर इस मुल्क में धोखाधड़ी करके आम आदमी को लूटने की फसल लगातार लहलहाती ही रहेगी। जब राष्ट्रपति तक लूटे जा सकते हैं, तो आम आदमी की बिसात क्या है। दूसरा सवाल, कि जब राष्ट्रपति जैसा शख्स सरकार और संबंधित मंत्री पर शिकायत कर रहा है, लेकिन इसके बावजूद सरकार अपने हाथ खड़ा कर चुकी हो, ऐसी हालत में इस मुल्क में विज्ञापन और उपभोक्ता के बीच चल रही हत्यारी लूटमार को कैसे रोका जा सकता है।

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