खद्यान्‍न माफिया का धोबी-पाटा, गोंडा के डीएम ढक्‍कन

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: जिसने खुलासा किया खाद्यान्न घोटाले का, उसी को हलाल कर दिया योगी सरकार ने : डीएम ने खुद छापा मार कर आठ हजार बोरा सरकारी खाद्यान्न बरामद किया था वजीरगंज के गोदाम से : आपूर्ति अधिकारी और मार्केटिंग अफसर को सस्पेंड करने के आदेश, एफआईआर भी दर्ज होगी :

कुमार सौवीर

लखनऊ : कानून-व्यवस्था ठीक हो या न हो, विकास के काम चल रहे हों या नहीं, सरकारी जमीन पर कब्जे हटाए गए हों या नहीं, मगर इतना जरूर है कि गोंडा जिले में खाद्यान्न माफिया इस वक्त कुण्‍डली बनाये अपना जहरीला फन ताने बैठा है। जिलाधिकारी को आज इसी खाद्यान्न माफियाओं की साजिशों ने डस लिया है। खबर आई है यूपी सरकार ने यहां के डीएम जितेंद्र बहादुर सिंह को सस्‍पेंड कर दिया है

पिछले हफ्ते की ही बात है। जिलाधिकारी जितेंद्र बहादुर सिंह ने 27 मई को अयोध्या से सटे वजीरगंज क्षेत्र में एक निजी गोदाम पर छापामारी की थी। इस पूरे दौरान वे खुद गोदाम पर पहुंचे थे। छापेमारी में 8000 से ज्यादा खाद्यान्न के बोरे बरामद किए गए थे। यह छापेमारी के तहत शहर के पास बने एफसीआई के गोदाम के साथ ही साथ झंझरी ब्लॉक के गोदाम में भी भारी गड़बड़ियां पाई गई थी।

सूत्र बताते हैं कि गोंडा में खाद्यान्न घोटाले बकायदा एक गिरोहबंद आपराधिक संगठन के तौर पर सक्रिय हैं। पिछले दशक यहां हुई सीबीआई की छापामारी में भी कई बड़े लोगों के नाम शामिल हुए थे लेकिन इसके बावजूद यहां खाद्यान्न घोटाले लगातार बढ़ते ही आते जाते रहे हैं। और इसे संचालित करने में बाकायदा माफिया गिरोह बन चुका है। किसी भी छोटे-बड़े अफसर को चुटकियों में मसल डालने की क्षमता वाले इस माफियाओं ने आज जिलाधिकारी को निलम्‍बन की हालत तक पहुंचा दिया।

आपको बता दें कि 27 मई के छापे में जिस ट्रक को सुबह साढ़े दस बजे पकड़ कर थाने तक पहुंचा कर, और उसे कागजातों में दर्ज किया गया था, उसी ट्रक की झंझरी ब्लॉक के मार्केटिंग इंस्पेक्टर भारत सिंह ने दोपहर 12 बजे अपने गोदाम में आमद दर्ज कराई थी। यानी डीएम की कार्रवाई के डेढ़ घंटों के बाद। यानी यह पूरा का पूरा मामला गजब धोखाधड़ी का चल रहा था। इस घोटाले में सोहेल अहमद और धर्म प्रकाश नामक कुछ बड़े खाद्यान्न व्यापारियों का नाम सामने आया है जो कोटे का खाद्यान्न के घोटाले में जुटे थे।

आपको बता दें की यहां के सरकारी खाद्यान्न माफिया गिरी कर रहे हैं लोगों ने 8000 खाद्यान्न को गोदान से निकाल कर सरकारी खरीद केंद्र पर पहुंचाने का धंधा शुरू किया था लेकिन इसके पहले यह समझ लीजिए कि सरकारी गोदाम में रखा अनाज कुरियर लोग बुरा बदलकर निकालते थे और फिर सरकारी खरीद से की गई इन खाद्यान्न की बोरियों को दोबारा सरकार के हाथों बेच दिया जाता था है ना बड़ा है रत्ना घोटाला

इस छापामारी के बाद जिलाधिकारी जितेंद्र बहादुर सिंह ने 4 जून को इन माफियाओं के खिलाफ रासुका लगाने की संस्तुति कर दी थी लेकिन शासन ने उसकी संस्कृति करने के बजाए उल्टे जिलाधिकारी को ही निलंबित कर टांग लिया। अंतिम खबर मिलने तक जितेंद्र सिंह अपना शहर छोड़ कर लखनऊ रवाना हो चुके हैं। उधर खबर है जिले के डी एस ओ राजीव कुमार सिंह और डिप्टी आरएमओ अजय विक्रम सिंह के साथ ही साथ मार्केटिंग इंस्पेक्टर भारत सिंह के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज करने का आदेश जारी हो चुका है।

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