असली निकला दो कौड़ी का फतवा, हल्‍ला बेमिसाल

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: शियाओं के इफ्तार और शादी वगैरह में शामिल न होने का फतवा असली : देवबंद के रहने वाले सिकन्‍दर अली की बात सुनिये, जिसने लगायी थी फतवा मांगने की दरख्‍वास्‍त : मेरा मकसद कोई झगड़ा कराना नहीं था, केवल सिर्फ जानकारी मांगी तो हंगामा खड़ा हो गया :

कुमार सौवीर

लखनऊ : फतवों की आड़ में कट्टरता बोने-काटने वालों की फसल इस वक्‍त खूब लहलहा रही है। आसन्‍न चुनावी के दौर और परस्‍पर सामाजिक और साम्‍प्रदायिक तनावों ने इसे पर्याप्‍त खाद-पानी मुहैया कर रखा है। देवबंद के दार-उल-उलूम से जारी किये गये एक फतवे ने सामुदायिक मूर्खताओं के तिल को ताड़ बना कर उसे बेहद डरावनी शक्‍ल के तौर पर पेश कर दिया है। उधर यह फतवा मांगने की गुजारिश करने वाले व्‍यक्ति ने कुबूल किया है कि उसने ही देवबंद के दार-उल-उलूम से अर्जी लगायी थी। इस अर्जी में पूछा गया था कि शियाओं के यहां होने वाली शादी-ब्‍याह या रोजा-इफ्तार जैसे आयोजनों में सुन्नियों को शामिल करना चाहिए अथवा नहीं।

फतवों की राजनीति बहुत घटिया होती है। अक्‍सर तो ऐसे फतवे निहायत मूर्खतापूर्ण, अराजक, विषयहीन, बेहूदे और सामाजिक तन्‍तुओं को किसी भयावह कैंसर की तरह कत्‍ल कर डालने वाले हैं। उससे जुड़ी बाकी खबरों को पढ़ने के लिए कृपया नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक कर दीजिए:-

हंगामी फतवा

शियाओं और सुन्नियों के बीच सौहार्द्र के बीच कट्टर संस्‍कार से सने-लिथड़े देवबंद की एक करतूत ने फिलहाल आग भड़का डाली है। यहां से एक ऐसा फतवा जारी हुआ है, जिसने हंगामा कर डाला है। यह फतवा मांगा था सिकन्‍दर अली ने। सिकन्‍दर अली देवबंद के ही रहने वाले सुन्‍नी हैं और कॉमर्स से ग्रेजुएट हैं। उम्र है 36 साल, और प्रॉपर्टी आदि के धंधे से जुड़े हुए हैं। उनका कहना है कि इस तरह का फतवा मांगना उनकी किसी साजिश के तहत नहीं था, बल्कि वे एक सहज सवाल पर दार-उल-उलूम से समझना चाहते थे। उन्‍होंने इस बात से खारिज किया कि यह फतवा देवबंद ने नहीं जारी किया था। वे बताते हैं कि देवबंद ने जो भी फतवा दिया है, उसका मजमून ठीक वही है, जो मैंने मांगा था।

सिकन्‍दर अली से हुई बातचीत को सुनने के लिए कृपा करके नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक कर दीजिएगा।

सिकन्‍दर अली

इस मसले पर प्रमुख न्‍यूज पोर्टल मेरी बिटिया डॉट कॉम के सम्‍पादक ने लम्‍बी बातचीत की है। आइये हम आपको यह फतवा मांगने वाले सीधे शख्‍स सिकन्‍दर अली से रू-ब-रू कराते हैं। उसके बाद आप खुद ही सुनिये कि सिकन्‍दर ने यह फतवा क्‍यों मांगा, कब, कैसे मांगा और उसके बाद क्‍या-क्‍या मुश्किलात उनके सामने आये हैं।

 

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