अपराध हुआ तो सीएम ऑफिस से, मुकदमा पीडि़त पर

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: मुख्‍यमंत्री के प्रमुख सचिव द्वारा मांगी गयी 25 लाख की घूस पर हंगामा : उछलने लगे भाजपाई, एसएसपी ने चांप दिया शिकायतकर्ता को : एक ओर जांच करा दूध-पानी अलग-अलग करने की बात कर रहे हैं, दूसरी तरफ छवि खराब करने का मुकदमा ठोंक दिया :

कुमार सौवीर

लखनऊ : एक व्यवसायी ने आरोप लगाया कि उसे परेशान किया जा रहा है। परेशान करने वाले का नाम बताया गया कि वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का प्रमुख सचिव है जो एक काम कराने के लिए इस व्यवसाई से 25 लाख रुपयों की घूस मांग रहा है यह शिकायत की इस व्यवसाई ने सीधे राजपाल को राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को इस बारे में पत्र लिख दिया लेकिन इस पूरे मामले पर जांच कराने के बजाय भाजपा के कार्यकर्ताओं ने उस पीड़ित व्यवसाय पर ही उल्टा मुकदमा दायर कर दिया है। से

आपके साथ चाहे कितना भी अत्‍याचार किया जा रहा जो, चिल्‍ल-पों मत कीजिएगा। अपमान और अत्‍याचार का घूंट पी जाइयेगा। याद रखियेगा कि अगर आपने अपना मुंह खोला तो आप पर ऐसे-ऐसे कहर तोड़े जाएंगे कि आपकी रूह तक फना हो जाएगी। सत्‍ता पर काबिज पॉलिटिकल पार्टी के लोग आपको उल्टा फंसा देंगे। पुलिस भी चूंकि सरकार की है, इसलिए पार्टी के लोग अर्जी लिख कर एसएसपी को थमा देंगे।आम आदमी के मुकदमे दर्ज करने में भले ही हफ्तों-महीनों का वक्त ले या कभी भी दर्ज न करे, लेकिन सत्ताधारी दल के किसी भी उलटे-पुलटे आरोप पर यही पुलिस संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लेगी। यानी योगी सरकार में अपनी बात कहना अपने आप में एक जुर्म हो जाएगा।

लखनऊ के इंदिरा नगर में रहने वाले अभिषेक गुप्ता हरदोई के संडीला में एक छोटा सा पेट्रोल पंप चलाते हैं। उनकी पेट्रोल पंप को लेकर सरकारी से पत्राचार चल रहा था। अभिषेक का आरोप है कि अपने काम के लिए जब उसने सरकारी अफसरों से बातचीत की तो मुख्यसचिव के प्रमुख सचिव एसपी गोयल ने उनसे सीधे पचीस लाख रुपए की मांग कर ली। इतनी रकम दे पाना अभिषेक गुप्ता के बस की बात नहीं थी, इसलिए गुप्ता ने सीधे राज्यपाल को एक ईमेल कर दिया। इसमें पूरी दिक्कतों का जिक्र करते हुए उन्हें न्याय दिलाने की गुजारिश की। राज्यपाल ने इस मामले पर एक पत्र लिखा और उसमें सारी जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री से कहा कि वे आवश्यक कार्यवाही कर लें। कुछ ही दिन बाद राजपाल का यह पत्र वायरल हो गया, तो हंगामा मच गया।

इस पर हंगामा खड़ा हो गया। आनन-फानन मुख्यमंत्री के सूचनासलाहकार मृत्युंजय कुमार ने सरकार का पक्ष रखते हुए दावा किया कि स‍ि कृत्य सरकार की छवि का खराब करने का प्रयास है। प्रमुख सचिव एस पी गोयल ने अपना फोन ही बंद कर रखा है, लेकिन प्रदेश भाजपा के मुख्यालय प्रभारी भारत दीक्षित ने इस पूरे मामले में एक अर्जी लिखी और सीधे एसएसपी दीपक कुमार को भेजकर उन्हें इस मामले की एफआईआर दर्ज करने का अनुरोध किया। दीपक कुमार के अनुसार भारत दीक्षित की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।

इस पूरे दौरान पीड़ित अभिषेक गुप्ता की गलती क्या है, यह ही समझ में नहीं आ रहा है। गुप्ता ने यह शिकायत चुपचाप राज्यपाल को भेजी है, वह भी सीधे ईमेल पर। ताकि राज्यपाल के अलावा किसी को भी इस शिकायत की भनक न लग सके। फिर इसमें सरकार की छवि धूमिल करने की साजिश की बात कहां से उठ रही है। सूत्र बताते हैं कि ऐसे ईमेल या तो राज्यपाल के निजी सचिव देखते हैं या फिर राज्यपाल के प्रमुख सचिव अथवा उनके विश्‍वस्‍त अधिकारीगण। हां, इतना जरूर है कि ऐसे ईमेल में हस्तक्षेप करते हुए राज्यपाल ने एक पत्र योगी आदित्यनाथ को जरूर भेज दिया। सूत्र बताते हैं कि ऐसा पत्र मुख्यमंत्री सचिवालय से ही कहीं वायरल हुआ है।

फिर सवाल यह है कि आखिर इस पूरे मामले में सरकार और पार्टी की छवि किसने छवि धूमिल की। कौन है वह, जिसने षड्यंत्र रचा। जाहिर है कि इसमें अभिषेक की तरफ से तो कोई अपराध नहीं बनता। क्योंकि उन्होंने सीधे अपनी व्यथा लिखी है, और वह भी सीधे राज्यपाल भेजी है। फिर यह कहर अभिषेक पर कैसे टूट रहा है।

इतना ही नहीं, मुख्यमंत्री के सूचना सलाहकार मृत्युंजय कुमार ने सरकार का पक्ष रख दिया कि यह हरकत सरकार की छवि खराब करने का प्रयास है। और इस मामले की जांच होने जा रही है। वे बोले कि इसके बाद ही जांच में दूध का दूध और पानी का पानी स्पष्ट हो जाएगा। मगर असल सवाल यह उठता है कि जांच किये बिना ही इसे साजिश करार दे दिया गया है।

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