स्त्री-सशक्तीकरण में नया इबारत बनेगा केरल हाईकोर्ट का फैसला
कोच्चि : केरल हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में व्यवस्था दी है कि लिव इन रिलेशनशिप (बिना शादी साथ रहना) के मामले में भी महिलाओं को घरेलू हिंसा कानून के प्रावधानों के तहत सुरक्षा पाने का अधिकार है। इस कानून के तहत संरक्षण पाने के लिए महिला का विवाहित होना जरूर नहीं है।
लिव इन पार्टनर की शिकायत के खिलाफ अलप्पुझा जिले के चेरतला निवासी एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायाधीश के हरिलाल ने कहा, घरेलू हिंसा कानून की धारा 2[ए] की मूल भावना शादी की तरह का संबंध [प्रकृति] के अलावा कुछ और नहीं है। याची ने घरेलू हिंसा कानून की धारा 2[एफ] के प्रावधानों के तहत कार्रवाई और मुआवजे से छूट की मांग की थी। उसकी दलील थी कि महिला उसकी पत्नी नहीं है, लिहाजा इस कानून के तहत उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा सकती।
कोर्ट ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा, ‘यह जरूरी नहीं है कि शादी हुई है या नहीं। यदि कोई जोड़ा पति-पत्नी की तरह रहता है तो इस स्थिति में महिला को घरेलू हिंसा कानून के तहत सुरक्षा प्रदान की जाएगी।’