: सवाल यह है कि आखिर कैसे डॉक्टर निर्मला चोपड़ा को धर-दबोचा राजस्थान की पीसीपीएनडीटी टीम ने : यूपी में भी हर जिले में बड़े डॉक्टरों की निगरानी में बनायी हैं पीसीपीएनडीटी टीम : सीधे डीएम ही करते हैं जमीनी कार्रवाई :
श्वेतपत्र संवाददाता
लखनऊ : महिला के पेट में ही कन्या-भ्रूण को पहचान कर उसकी हत्या करने वाला धंधा खासा मालदार मामला माना जाता है, इसलिए यूपी के अफसर और कन्या-भ्रूण की निगरानी करने वाले पीसीपीएनडीटी से जुड़े डॉक्टर हमेशा ही ऐसे मामलों पर चुप्पी ही साध लिया करते हैं। वही वजह है कि पूरे प्रदेश में खूब फल-फूल रहा ऐसे भ्रूण की हत्याओं का धंधा लगातार चमकता ही जा रहा है, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई कर पाना मुमकिन नहीं होता है। आगरा की प्रख्यात डॉक्टर निर्मला चोपड़ा की गिरफ्तारी ने इस पूरे मामले को बिलकुल बेपर्दा कर दिया है।
आपको बता दें कि आगरा के सदर स्थित चोपड़ा सुपर स्पेशिएलिटी हास्पिटल की संचालक डॉक्टर निर्मल चोपड़ा को शुक्रवार दोपहर भ्रूण लिंग परीक्षण करते हुए हॉस्पिटल से ही गिरफ्तार किया गया था। यह कार्रवाई राजस्थान की पीसीपीएनडीटी टीम ने की थी। पीसीपीएनडीटी टीम के प्रभारी नवीन जैन ने बताया कि इस बारे में लंबे समय से सूचना मिल रही थी। उसके पास भरतपुर से महिलाएं जा रही थीं। कोई तीन दिनों की कड़ी निगरानी के इस कार्रवाई में हॉस्पिटल की रिसेप्शनिस्ट तनिशा शर्मा के अलावा नेत्रपाल और वहीं का महिपाल नाम के दो दलाल गिरफ्तार हुए थे।
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उसे पकड़ने के लिए प्लान तैयार किया गया। भरतपुर से गर्भवती महिला को लेकर टीम का सदस्य आगरा आया। यहां चोपड़ा नर्सिंग होम में तनिशा से मिला। वह भी दलाली करती थी। उसने बताया कि 30 हजार रुपये देने होंगे। गर्भवती महिला ने 30 हजार रुपये दे दिए। इसके बाद उसकी सोनोग्राफी कराई गई। डाक्टर निर्मल चोपड़ा ने जैसे ही भ्रूण का लिंग बताया, वैसे ही उन्हें पकड़ लिया गया। उनके पास से बरामद रूपयों ठीक वही नम्बरों के मिले, जिन्हें पहले ही नोट कर लिया गया था।
राजस्थान की पीसीपीएनडीटी टीम के अनुसार सोनोग्राफी से भ्रूण का लिंग बताने के लिए डाक्टर निर्मला 30 हजार रुपये लेती थी। इनमें से 15 हजार खुद रखती थी, जबकि पांच-पांच हजार रिसेप्शनिस्ट और दलालों को दिए जाते थे। डाक्टर निर्मला चोपड़ा से भारी तादात में नकदी भी बरामद थे। हैरत की बात है कि डॉ चोपड़ा आईएमए आगरा की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। पता चला है कि इस कार्रवाई के बाद हॉस्पिटल की रजिस्टर्ड सोनोग्राफी मशीन को सीज कर दिया गया।