कुमार सौवीर को मौत के घाट उतार देगी यह “काम-देवी”

दोलत्ती

: शाप-ग्रसित होकर अपने ही सौंदर्य पर मर मिटेगा नायक : यूनानी कहानी में है कामेच्‍छा की उपेक्षा करने वाले को तड़पा-तड़पा कर मार डालने की दु:खान्‍त हृदयविदारक कहानी :

कुमार सौवीर

लखनऊ : अधिकांश यूनानी साहित्‍य तो दु:खान्‍त से अटा पड़ा है। दण्‍ड, हताशा, उपेक्षा, आत्‍महत्‍या, प्रतिशोध वगैरह-वगैरह। लेकिन अब यूनानी साहित्‍य में अब एक नया हिस्‍सा और जुड़ने वाला है। विश्‍वास कीजिए कि यह नया हिस्‍सा भारतीय भूभाग से उपजेगा और सम्‍भवत: गंगा के मैदान से उगेगा और पल्लवित-पुष्पित भी होगा। यह होगा अपने ही प्रेम में विह्वल एक बांका जवान, जो अपनी ही याद में तड़प-तड़प कर दम तोड़ देगा। नाम होगा कुमार सौवीर।

तो इसके पहले कि कुमार सौवीर की टिकठी-अर्थी पूरी ठसक और ठाठ-बाट के साथ निकलने की नौबत आ जाए, उससे पहले इससे जुड़ी एक यूनानी कहानी को सुन लीजिए।

यूनानी लोक-कथाओं में एक अप्रतिम सौंदर्यशाली युवक का जिक्र है जिसका नाम है नारसिस। जिधर भी निकल पड़ता, उसे देखने के लिए टूट पड़ते थे। उसकी एक झलक भर देखने के लिए लोगों में भगदड़ मच जाती थी। नौबत मारपीट तक आ जाती थी। लड़कियां तो उसे देखते ही अपना हाथ अपने सीने पर रख कर आह-हाय चिल्‍लाना शुरू कर देती थीं। किसी उन्‍माद की तरह, वे येन-केन-प्रकारेण नारसिस को देख लेने, उसे छू लेने, उसको चूम लेने और उसके साथ जीवन व्‍यतीत करने के लिए विह्वल हो जाती थीं। न जाने तो कितनी तरुणियों ने उसके नाम पर अपना जीवन भी एकाकी रहने का ही फैसला कर लिया था।

लेकिन नारसिस को इससे कोई मतलब ही नहीं था। बल्कि सच बात तो यही थी कि वह औरतों के साथ हेय और घृणित भाव रखता था। कितनी भी सुं‍दर और अप्रतिम देह-सौष्‍ठव वाली युवती हो, उसके दिल को कभी भी नहीं छू पाता था नारसिस। न जाने क्‍यों ? ऐसा नहीं था कि उसमें पौरुष भाव नहीं था, लेकिन इसके बावजूद यह कारण अज्ञात ही रहा कि आखिर कोई स्‍त्री को वह पसंद क्‍यों नहीं करता है।

एक दिन अचानक एक अनिंद्य सुंदरी तरुणी न जाने कैसे उसके पास आ गयी और सरेआम-दिनदहाड़े उसने नारसिस का हाथ पकड़ कर उसके गाल चूम डाले। फिर बोली कि मैं तुमसे प्रणय करना चाहती हूं। इतना कह कर वह तरुणी नारसिस से लिपट गयी।

नारसिस को इस तरुणी की यह हरकत सख्‍त नागवार लगी। उससे उस तरुणी को बेतरह झिड़क, दुत्‍कारा और उलाहना देते हुए पैर पटकते हुए चला गया।
नारसिस का यह व्‍यवहार उस तरुणी के हृदय को विदीर्ण कर गया। वह बुरी तरह आहत हो गयी, और उसी हताशा, अवसाद और नैराश्‍य भाव में उसने खुद को भस्‍म कर लिया। लेकिन इस आत्‍मदाह के दौरान उसने काम की देवी वीनस से अनुरोध भी किया कि नारसिस को उसके व्‍यवहार के लिए दंडित किया ही जाना चाहिए। जिस तरह नारसिस ने मुझे अपमानित किया और मेरे सौंदर्य तथा मेरे आकर्षण को ठुकराया है, उसे भी उसका खामियाजा भुगतना ही चाहिए।

काम की वीनस देवी उस खूबसूरत तरुणी के आत्‍मदाह से स्‍तब्‍ध थी, लेकिन चूंकि उस तरुणी ने उससे अनुरोध किया था, इसलिए देवी वीनस ने नारसिस को तड़पाने का फैसला कर लिया।

एक दिन नारसिस कहीं जा रहा था, कि अचानक उसे प्‍यास महसूस हुई। आसपास देखा तो एक बाग में साफ-सुधरा सरोवर था, जिसमें मछलियां उछल रही थीं और पक्षी कलरव कर रहे थे। नारसिस के कदम सरोवर की ओर बढ़े, तो काम की देवी वीनस भी सक्रिय हो गयीं। सरोवर का पानी पीने के पहले नारसिस ने अपना हाथ और चेहरा धोने की कोशिश की, तो वीनस ने नारसिस की परछाईं को इतना खूबसूरत बना दिया कि उसे देखते ही नारसिस स्‍तब्‍ध हो गया। दरअसल, वह अपनी ही परछाईं पर मोहित और कामुक हो गया था। उसने अपनी ही परछाईं को छूने की कोशिश की, लेकिन पानी में हाथ रखते ही परछाईं झिलमिलाते हुए गायब हो गयी। नारसिस ने उसे खोजने के लिए तालाब में डुबकी लगा दी, लेकिन कहीं भी वह परछाईं उसे नहीं दिखी। सुबह से शाम तक वह अपनी उसी परछाईं को खोजने के लिए डुबकियां लेने लगा, लेकिन कई महीनों के बावजूद वह अपनी कोशिशों पर सफल नहीं हो पाया। नारसिस की हालत पागलों की तरह हो गयी, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।

आखिरकार, विक्षिप्‍त होकर नारसिस ने अपनी ही परछाईं से व्‍याकुल होकर अपना प्राण ही त्‍याग दिया।

नारसिस की लाश जहां दफनायी गयी, वहां नारसिस का पौधा उगने लगा। और आपको बता दें कि यूनानी किरदार नारसिस ही नरगिस का पौधे के नाम पर मशहूर है।

अब चाहे कुछ भी हो, लेकिन किसी भी असफल आशिक के लिए इससे बेहतर और क्‍या होगा कि उसकी मौत के बाद उसकी मिट्टी लाजवाब नरगिस का पौधा बन कर फूल बरसाती रहे।
बहरहाल, अब इस कहानी का संदर्भ सुन लीजिए। हुआ यह कि कल यानी 6 जुलाई-20 को मेरे मित्र कीर्ति प्रकाश उर्फ चुल्‍ली मेरे ऑफिस में पधारे। उमस से मैं बेहाल था, सो कमीज और बनियाइन उतार कर काम कर रहा था। कुछ देर बाद उन्‍होंने मेरी फोटो खींचनी शुरू कर दी। और उसके कुछ ही मिनट बाद मुझे मोबाइल पर मेरी फोटो दिखायी। इसमें कोई फोटो-ऐप का कमाल था, कि उसमें मेरे बाल महिलाओं की तरह लम्‍बे और कर्वी हो गये थे। बाकी चेहरा दाढ़ी और मूंछ के साथ था। मैंने कहा कि इसमें तो मैं छक्‍का लग रहा हूं, इससे बेहतर तो यह होगा कि तुम इसमें मेरी दाढ़ी और मूंछ हटा देते। चुल्‍ली ने यही किया। और अब यह मेरी जो नयी तस्‍वीर सामने आयी है, उसे देख कर मैं खुद ही मुग्‍ध हो गया हूं।

खैर, अब जब भी आपको नरगिस का कोई पौधा दिखायी पड़े, फौरन समझ जाइयेगा कि ठीक उसी जगह पर मौजूद हैं कुमार सौवीर।

 

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