: अस्पताल से अपने घर ले गया कातिल डॉक्टर, धमकी देकर ले लिया सात सौ रूपया : सवाल यह है कि यह आखिर डॉक्टर अनिल शर्मा है कौन, जो जिला अस्पताल में मरीज उगाहता है, लेकिन ड्यूटी सीएमओ के घर : हद कर दी है जुल्फी वाले जुल्फी प्रशासन ने जिसने हर मरीज की जुल्फी तबाह कर दी : दोस्तों, आओ और ऐसे जुल्फी पर लानत के शोक-गीत गाओ :
कुमार सौवीर
जौनपुर : एक शातिर कातिल-जालिम डॉक्टर है। नाम है डॉ एके शर्मा। सर्जन है। जिला अस्पताल में मरीज देखते हैं। ड्यूटी है अस्पताल में, लेकिन नाम है सीएमओ आफिस के रजिस्टर पर, मगर मरीज देखने का जालिम धंधा करते हैं अपने घर पर। बीते 24 अगस्त बुधवार को उन्होंने जो कुछ भी किया, उसे देख कर धन्वन्तरि-समाज के चेहरे पर कालिख पुत गयी। दर्द से बेतरह तड़पती एक महिला का इलाज करने के बजाय इस डॉक्टर-नुमा कातिल ने एक अधेड़ महिला को केवल इस वजह से करीब छह घंटों तक तडपाया, ताकि उसे भारी भरकम वसूली हो सके।
यह सरकारी लूट का धंधा चल रहा है यूपी के जौनपुर वाले जिला अस्पताल में, जहां प्रशासन के तौर पर मौजूद है एक मॉर्चरी-मैनेजर जो जुल्फी रखता है, लेकिन उसका धंधा है किसी बेहाल किशोरी के साथ हुए सामूहिक नृशंस बलात्कार के हादसे को छिपाना और अपने आकाओं को बचाना। वह बचाना चाहता है उन जुल्फियों को, जो आम आदमी तो दूर, बल्कि पत्रकार जैसे सजग पहरेदारों के साथ हो रहे गुंडों के पाशविक करतूतों को छिपा कर अपना नाम अपने आकाओं की गुड-बुक में दर्ज करना चाहता है। जो चाहता है कि आम निरीह महिला या बलत्कृत किशोरी की अस्मिता पर कोई हमला करे या नहीं, लेकिन उसका नाम हमेशा सोने के अक्षरों से दर्ज हो। भले ही वह सोना किताब पर दर्ज हो या फिर किन्हीं प्रभावशाली नेताओं के बिस्तर पर सोने पर हो।
बहरहाल, 24 अगस्त को यहां की एक सिकरारा के एक गांव की रहने वाली एक महिला अपने पेट के असहनीय दर्द से परेशान होकर जिला अस्पताल पहुंची। एक साल पहले किसी डॉक्टर ओपी सिंह ने उसका आपरेशन किया था। शिकायत थी पथरी की, जो गॉलब्लाडर पर थी। लेकिन कल सुबह जब दर्द सहन से बाहर हो गया तो यह पूनम सिंह नामक यह महिला अपने पति और दमाद को लेकर अस्पताल पहुंची। वक्त था कोई दस बजे सुबह का। उसे करीब छह घंटे तक डॉक्टर एके शर्मा ने जमीन पर ही लिटाये रखा। बीच में उसे एक दवा बाजार से मंगवा कर खिलाया। लेकिन जब वह महिला तड़पती ही रही। लेकिन डॉक्टर ने उसे नहीं देखा।
पूनम सिंह के पति और सिकरारा के रहने वाले सतीश सिंह के मुताबिक उसके बाद करीब साढ़े चार बजे शाम को डॉ एके शर्मा ने कहा कि अब इस महिला का इलाज यहां सरकारी अस्पताल में नहीं हो सकता है, इसके लिए उसे डा शर्मा के पॉलिटेक्टिनक चौराहे पर बने उनके घर में बने अस्पताल में ही किया जा सकता है। वहां पहुंच कर उस महिला को सूंघने की कोई दवा देने के लिए डॉक्टर शर्मा ने एक हजार रूपया वसूला और बाकी डेढ़ सौ रूपये के रकम के लिए जोर दिया।
हैरत की बात है, जैसा पूनम सिंह के पति ने बताया और उसके भाई प्रविंद्र सिंह ने सुनाया कि उस महिला को अकेले कमरे में ले जाकर उसके साथ निहायत अभद्रता की। जब महिला ने उसका विरोध किया तो बोले कि उस दवा से या तो तुम मर जाओगी या फिर बच जाएगी। जाहिर है कि इसके बाद महिला ने चिल्ला-चिल्ला कर अपने घरवालों को पुकारा और वापस लौट गयी। जब उसके पति ने उस पर पूछने की कोशिश की, तो डॉक्टर एके शर्मा बोले कि उसकी बीमारी ही ऐसी है कि वह चिल्ल-पों करेगी जरूर।