: अखिलेश यादव का यशोगीत तो खूब गये, लेकिन यूपी के पत्रकारों पर चर्चा तक नहीं : यूपी में हर जगह मारे-कत्ल हो रहे हैं पत्रकार, लेकिन उन पर एक भी शब्द नहीं निकाला लखनऊ के पत्रकारों ने : कमर तक झुक कर अखिलेश का प्रशंसागीत सुनाने लगे महान पत्रकार : कुटम्मस-श्री ने तो दलाली की हर सीमा ही पार कर दी :
कुमार सौवीर
लखनऊ : मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पहले तो सरकारी मकानों पर काबिज पत्रकारों की हवा टाइट की, डर दिखाया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से अब हालत डांवाडोल है। लेकिन उसके फौरन बाद अपनी जेब से मलहम की एक डिबिया निकाली और उसे खोल कर चेहरे पर हवाइयां उड़ाते पत्रकारों के जख्मों पर मल दिया। बोले:- आप परेशान मत होइये, हम आप लोगों की इस समस्या का समाधान खोजने की जुगाड़ में हैं। हमारी समाजवादी सरकार ने आप लोगों की आवासीय समस्याओं का स्थाई तौर पर समाधान खोजने के लिए अफसरों से कह दिया है। जल्दी ही रियायती दर पर आप सभी को मकान मिल जाएंगे।
दरअसल आज अखिलेश यादव ने अपने आवास पर मुख्यालय पर मान्यताप्राप्त पत्रकारों को एक शिष्टाचार-भेंट के लिए आमंत्रित किया था। इस भेंट के पहले सुरक्षा जांच के पहले ही सभी पत्रकारों से उनका मोबाइल और कैमरा साथ में नहीं लाने को कहा था।
बातचीत की शुरूआत में ही मुख्यमंत्री अखिलेश ने लखनऊ के बहादुर और निडर पत्रकारों को बताया कि सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के चलते अब सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों और पत्रकारों को आबंटित सरकारी मकानों पर निरस्तीकरण का खतरा मंडरा रहा है। यह पत्रकार सरकार की आवासीय कालोनियों में मकान हासिल किये हैं, जबकि छह पूर्व मुख्यमंत्रियों ने अपने लिए आजीवन विशालकाय राजमहल मुफ्त में हथिया रखा है। इसके लिए तो सरकार ने एक आदेश भी जारी कर रखी है। और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार पर राज्य सम्पत्ति विभाग ने पत्रकारों को मिले सरकारी मकानो का आबंटन ही निरस्त कर दिया।
बहरहाल, जब अखिलेश को इत्मीनान हो गया कि उनकी इस सूचना से इन पत्रकारों की रूह कांप चुकी है, उन्होंने एक केशव-मुस्की मारी। हल्की चिकोटी ली और फिर बोले कि आप लोगों के लिए एक नयी कालोनी बनाने के लिए अफसरों को कह दिया जा चुका है। जहां रियायत और सहूलियत से किस्तें देकर पात्र पत्रकार फ्लैट हासिल कर सकेंगे। और खास बात यह कि इन पत्रकारों को इसमें अवसर नहीं मिलेगा, जो पहले की किसी योजना में मकान हासिल कर चुके हैं।
फिर क्या था। पत्रकारों ने अखिलेश यादव के नाम का जयकारा लगाया, तालियां गड़गड़ाइयां और समाजवादी पार्टी की अखिलेश सरकार का स्तुति-गान करने लगे। सस्वर। सामवेदी। बिना मृदंग के। जो बूढ़े पत्रकार थे, उन्होंने देवता का रूप धारण किया और वे अखिलेश यादव पर आशीष-पुष्प अर्पित करने लगे। जमकर तेल-मक्खन लगाया-लबेड़ा गया। इस बीच कई पत्रकारों ने मुख्यमंत्री के पास अर्जी लगाने की कोशिश की, लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें डपट लिया।
लेकिन हाल ही जयपुर, नोएडा, दिल्ली, रायपुर, बस्तर, कोलकाता से लेकर जौनपुर तक कई घटनाओं में अपना अच्छा-खासा प्रचार और नेकनामी हासिल कर चुके एक तथाकथित पत्रकार नेता न जाने कैसे किसी तरह से चूहे की तरह डुबकी मारी, सीधे अखिलेश के पास पहुंचे, लेकिन जब तक सुरक्षाकर्मी उन्हें डपटते, उन्होंने सरकारी कैमरेमैन से इशारा करके अपनी फोटो खिंचवा ही ली।
पूरे दौरान इतना शोर-हंगामा हुआ कि कुछ पूछिये मत। हर शख्स अपनी शक्ल दिखाने और अपने लिए मुख्यमंत्री से निजी मुलाकात करने पर बेताब था। एक महिला ने जब ऐसा प्रस्ताव रखा तो पूरा पाण्डाल ही ठठाकर हंस पड़ा।
लेकिन इसके पहले कि कोई पत्रकार यूपी में पीटे-मारे और फूंक डाले गये पत्रकारों की बदहाली और आपराधिक घटनाओं पर कोई सवाल पूछ सकता, दलाल पत्रकारों ने हल्ला शुरू कर अपना धंधा तेज करना शुरू कर दिया। ऐसे असली सवालों से बचने के लिए अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को अपने घेरे में ले लिया और वे पिछले दरवाजे से बाहर निकल गये। आपको बता दें कि समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान यूपी के कई जिलों में पत्रकारों को सपा के कई मंत्रियों, नेताओं, गुण्डों और आपराधिक तत्वों ने बुरी तरह प्रताडि़त किया। शाहजहांपुर के जागेंद्र सिंह नामक पत्रकार को तो सीधे वहां के कोतवाल समेत कई पुलिसकर्मियों ने ही जिन्दा फूंक डाला था। ताजा घटनाओं के तहत जौनपुर में एक पत्रकार को सपा सरकार में मंत्री पारसनाथ यादव के बेटे लक्की यादव ने सरेआम पीट दिया था।