सीओ जिया उल हक के मुआवजे पर घर में जूतमपैजार

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शहीद के माता-पिता के हक पर बेवा ने जताया ऐतराज

: हक ने अपने मां-बाप को बनाया था बीमा में उत्तराधिकारी : चालीसवें के बाद से जुआफर नहीं पलटी परवीन आजाद : बेवा का तर्क कि विधवा को ही मिलनी चाहिए रकम :

लखनऊ : प्रतापगढ़ के कुंडा में शहीद हुए सीओ जियाउल हक की बीमा धनराशि पर हक को लेकर उनके माता-पिता तथा पत्‍‌नी परवीन आजाद के बीच विवाद गहरा गया है। बीमा में नामिनी शहीद के माता-पिता को कोर्ट से नोटिस मिली है कि शहीद की बेवा परवीन आजाद ने पैसे पर अधिकार को लेकर आपत्ति दाखिल की है। मामले की सुनवाई 26 जुलाई को होगी।

देवरिया के खुखुंदू थाना क्षेत्र के ग्राम जुआफर के शमशूल हक के बड़े बेटे सीओ जियाउल हक की कुंडा में हत्या हो गई थी। मुख्यमंत्री के आश्वासन पर उसकी पत्‍‌नी परवीन आजाद व जिया उल हक के भाई को नौकरी मिली। जिया उल हक ने 2009 में तीन लाख 20 हजार व नौ लाख रुपये का बीमा कराया था, जिसमें एक में मां हाजरा तो दूसरे में पिता शमशूल हक को नामिनी बनाया था। जियाउल का निकाह 2012 में परवीन के साथ हुआ।

27 जून को जिया उल हक के पिता व मां को इस बीमे के धन का भुगतान होना था, लेकिन 25 जून को ही परवीन आजाद ने आपत्ति दायर कर दी। परवीन का कहना है कि मैं उनकी पत्‍‌नी हूं, इसलिए बीमे की रकम मेरी होनी चाहिए। पिता को नोटिस मिलने के बाद वह परेशान हो गए हैं।

पिता शमशूल हक ने जागरण को बताया कि 40वें में परवीन आजाद गांव आई थी। इसके बाद वह कभी गांव नहीं आई। मैं फोन करता हूं, तो भी फोन नहीं उठाती। जब वह गांव से गई तो बोली कि पैसे निकाल लीजिएगा। नोटिस मिलने के बाद भी मैंने उसे फोन मिलाया, लेकिन उसने मेरा फोन नहीं उठाया। जियाउल की मां की तबीयत भी खराब हो गई है।

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