: कथित बाबा का दावा है कि उसके सामने न्यायपालिका तक बौने हैं : मामलों का फैसला अदालत नहीं, कुमार स्वामी के मंत्र ही कर सकते हैं : बाबा की भक्ति में आओ, वकील, डॉक्टर ज्योतिषी और अदालतें सब के सब निरर्थक साबित हो जाएंगे :
कुमार सौवीर
लखनऊ : आपको बता दें कि कांशीराम स्मृति उपवन में आयोजित तथाकथित प्रभु कृपा दुःख निवारण समागम में कुमार स्वामी का आशीर्वाद प्राप्त किया। कार्यक्रम में राज्यपाल को ‘देश रत्न’ सम्मान व स्मृति चिन्ह देकर कुमार स्वामी ने राज्यपाल को अपनी आध्यात्मिक पुस्तक ‘मयखाना’ एवं ‘कास्मिक साईंस’ नामक पुस्तक भेंट की। आपको बता दें कि यही कुमार स्वामी स्वयं को महामण्डलेश्वर और ब्रह्मर्षि कहलाता है। यहां गौरतलब बात है कि पिछले दिनों से मंडलेश्वर जैसी उपाधियों को हासिल करने के लिए लाखों रूपयों की खरीद-फरोख्त की बातें लगातार चर्चाओं में चलती रही हैं।
पिछले कई कुम्भ-मेला और कई अर्द्ध-कुम्भ मेलों में जब भी संत-समागम की स्थिति बनी है, हमेशा धार्मिक नेताओं के बीच यही चर्चाएं चलती रहीं कि आखिर आदि-शंकराचार्य और मंडलेश्वर जैसी अति सम्मानित उपाधियों की बिक्री-खरीद पर कैसे रोका लगाये जाए। आपको बता दें कि नोएडा के एक बड़े शराब व्यवसायी पर आरोप खूब लग चुके हैं कि उसने पचासों करोड़ रूपयों का खर्च करके मंडलेश्वर की उपाधि झटक ली थी। इस विवाद का खात्मा अभी तक नहीं हो पाया है।
लेकिन इस मंडलेश्वर बाबा के विज्ञापन एक ओर तो धार्मिक और आध्यात्मिक क्षमता की डींगे मारता है, बल्कि खुद को बड़े-बड़े सर्जनों-डॉक्टरों तक की नाक काट लेने का दावा करता है। जरा गौर से देखिये इस शख्स से जारी विज्ञापन में इस बाबा ने क्या-क्या दावे नहीं किये हैं, जिन्हें चिकित्सा-जगत पूरी तरह मिथ्या साबित करता है। इस बाबा के दावों के अनुसार मौत की कगार पर चढ़े आदमी को वापस बुला गया, जिस प्रोस्टेट कैंसर के मरीज का इलाज करने से डॉक्टरों ने अपने हाथ खड़े कर दिये थे, उसे चुटकियों में रोग-मुक्त कर दिया इस बाबा ने। किडनी की पथरी निकाल दी, टेस्ट की रिपोर्ट तक नार्मल करा दी, बिना आपरेशन के लीवर की गम्भीर बीमारी का इलाज कर दिया। बीस साल से बेहाल बीपी के मर्ज को बाबा ने ठीक कर दिया, पांच साल पुराने दिमागी रोग को मुक्त कर दिया, वगैरह-वगैरह।
इतना ही नहीं, हैरत की बात यह है कि इस क्वेक बाबा ने अदालत के औचित्यों पर सवाल खड़े कर दिये। बाबा का दावा है कि वह बरसों से लटक रहे मुकदमों से भी निजात मिला सकता है। मानो, यह सो-कॉल्ड मंडलेश्वर बाबा इतना प्रभावशाली शख्स है कि वह अदालतों तक को प्रभावित कर सकता है। हालांकि अपने इन प्रचारों के आधारों का तनिक भी खुलासा इस बाबा ने नहीं किया। यानी सिर्फ झोलाछाप डॉक्टरी ही नहीं, बल्कि संविधान, न्यायपालिका की अवधारणा, कानून की किताबें, बड़े-बड़े जज-जस्टिस और नामी वकीलों तक का नाक-कान भी कतर सकता है यह बाबा।
कहने की जरूरत नहीं कि ऐसे भ्रामक विज्ञापनों को जारी कर आम आदमी में भ्रम उत्पन्न करने का षडयंत्र कर रहे इस बाबा के आयोजन में पहुंच कर राज्यपाल राम नाइक ने वैज्ञानिक तर्कों की धज्जियां उड़ा दी हैं। कई डॉक्टरों ने इस आयोजन की अनुमति जारी करने के औचित्य पर ही नहीं, बल्कि उस आयोजन में राज्यपाल जैसी बड़ी संवैधानिक शख्सियत का पहुंचना किसी विकसित और आधुनिक समाज के चेहरे पर किसी बडे-जोरदार तमाचे-जूते से कम नहीं है।
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साइंस सिटी लखनऊ में ओझा-बाबा का हमला
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