झारखण्‍ड की बेटियों के ख्‍वाबों को लगे पंख

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

हम उड़ाएंगी हवाई जहाज

आसमान में अपना नाम लिखवाना चाहती हैं यह तितलियां

झारखण्‍ड में भी कोर्स की सीटें बढाकर दोगुनी की गयीं

मां ने देखा तो यह ख्‍वाब, अब पूरा हम करेंगे

मधु कोडा या शिबू सोरेन की कुख्‍याति से दूर, झारखण्‍ड की लडकियां अब अपना नाम आसमान में लिखवाने पर आमादा हैं। वे अब हवाई जहाज उडाना चाहती हैं। वे चाहती है कि पूरा कर डालें अपनी मां का वह सपना जो उन्‍हें हवाई जहाज उड़ाते देखना चाहती हैं। लड़कियों के इस बढते जोश को देखते हुए झारखण्‍ड सरकार ने भी अपने प्रशिक्षण सत्र में मौजूदा सीटों को बढा कर दोगुना कर दिया है। जाहिर है कि सरकार के इस फैसले के बाद यहां की इन लड़कियों के सपने पूरे होने की ज्‍यादातर दिक्‍कतें तो खत्‍म हो ही जाएंगीं।

 

अब इसे परिवर्तन की लहर कहें या लड़कियों में करियर को लेकर बढ़ती जागरूकता। चाहे कुछ भी कह लीजिए। लेकिन झारखण्‍ड की इन ति‍तलियों की इच्छा एक थी। उड़ान भरने की, एयर होस्होस्टेस की तरह। वहां मौजूद हर लड़की की चाहत थी, हमें उड़ना है। चाहे जितनी मुश्किल आए। इससे पहले बड़े और पैसे वाले घरों की लड़कियों को एयरहोस्टेस को करियर के रूप में चुनते देखा जाता था। लेकिन अब राज्य की अनुसूचित जाति एवं जनजाति की लड़कियों का रुझान इस ओर बढ़ा है

सोमवार को शहर के महेंद्र सिंह महिला महाविद्यालय में आयोजित इंटरव्यू में करीब 50 लड़कियों ने हिस्सा लिया। इंटरव्यू ले रहे एक्सपर्ट सुनील कुमार कहते हैं, नेशनल प्रोग्राम फॉर इम्पावरमेंट ऑफ वूमन प्रोजेक्ट के तहत अपराजिता सोसायटी इसका आयोजन कर रही है। इसमें एयरलाइंस मैनेजमेंट और एयरहोस्टेस ट्रेनिंग का कोर्स शामिल है। सोसायटी ने पिछले वर्ष 10 लड़कियों को ट्रेनिंग के लिए चुना था। इसमें से अधिकतर को जॉब मिल चुका है। इस साल सीटों की संख्या 20 कर दी गई है, ताकि ज्यादा लड़कियों को कोर्स में शामिल होने का मौका मिल सके।

वूमेंस कॉलेज से हिस्ट्री ऑनर्स की पढ़ाई की रहीं, दुलारी लकड़ा कहती हैं, मुझे इस कोर्स को करना है, उड़ान भरना है। कोई मेरे रास्ते में नहीं आ सकता है। जो सपना देखा है, उसे हकीकत में बदलना है।

गोस्सनर कॉलेज में पढ़ाई कर रही नीतू कमल कहती हैं, ये करियर को एक मोड़ दे सकता है। ऐसे में अगर मात्र 20 प्रतिशत राशि खर्च कर कोर्स किया जा सकता है, तो इससे बेहतर करियर और क्या हो सकता है।

हमें तो पूरा करना ही है अपनी मां का सपना, यह ख्‍वाहिश है झारखण्‍ड की इन बेटियों का। और वे इस सपने को किसी भी कीमत पर पूरा करने पर आमादा हैं। और फिर यह किसी एक लडकी की ख्‍वाहिश भर नहीं है, झारखण्‍ड की हर बेटी चाहती है कि वह आसमान में जहाज उडाने का वह सपना हर हाल में पूरा कर ले जो उनके लिए उनकी माओं ने देखा था। इन लडकियों की संजीदगी को देखकर किसी को भी उनके सपने के पूरा होने में कोई संदेह नहीं हो सकता है।

कस्तूरबा गांधी इंटर कॉलेज की स्टूडेंट शिल्पा खलखो कहतीं है, मैं अपनी मां का सपना पूरा करने आई हूं। मेरे साथ मां का आशीर्वाद और मेरी उम्मीदें हैं जो सफलता के लिए काफी है

 

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