राजनीति में नंगई: सदन में जया की खींची गयी थी साड़ी

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: आयरन लेडी के तौर पर अपनी अलग छवि साबित कर चुकी हैं जयललिता : सन-89 में जया से अभद्रता और करूणानिधि का चश्‍मा तोड़ा गया था: उसी दौरान जयललिता ने तय किया था कि वे नहीं जाएंगी सदन में : तब वे नेता विरोधी दल के तौर पर विधानसौंध में मौजूद थे :

चेन्‍नई : नेता प्रतिपक्ष के तौर पर उन्होंने 25 मार्च, 1989 को हुई उस घटना के बाद सदन में नहीं जाने का फैसला किया जब उनकी साड़ी खींच ली गई थी और उस समय द्रमुक एवं अन्नाद्रमुक के सदस्यों के बीच धक्कामुक्की में द्रमुक अध्यक्ष एवं तत्कालीन मुख्यमंत्री करूणानिधि का चश्मा टूट गया था।

उस वक्त जयललिता ने संकल्प लिया था कि वह मुख्यमंत्री बनने पर ही विधानसभा में लौटेंगी। इसके बाद वह पांच बार मुख्यमंत्री बनीं। वह साल 1991-96 में पहली बार, मई-सितंबर 2001 में दूसरी बार, 2002-06 में तीसरी बार, 2011-14 में चौथी बार और 2015-16 में पांचवीं बार मुख्यमंत्री बनीं।

1- जयललिता अपने प्रशंसकों में आयरन लेडी के रूप में जानी जाती है। कई मामलों में सख्त तेवर से उनकी छवि आयरन लेडी के रूप में है।

2- जयललिता आय से अधिक संपत्ति के मामले में जेल जा चुकी है। लगभग सात महीने बाद कर्नाटक उच्च न्यायालय ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में उनको बरी कर दिया था।

3- जयललिता की पार्टी का नाम ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) पार्टी है।

4- जयललिता ने तमिलनाडु में हाल ही में अम्मा ब्रांड पानी शुरू किया है। इसके अलावा इस नाम से कई कल्याणकारी योजनाएं भी शुरू की हैं।

5- 2011 के विधानसभा चुनाव जयललिता को 234 में से 217 सीटों पर जीत मिली। जिसके बाद वह तीसरी बार मुख्यमंत्री बनी थीं।

6- 2014 के लोकसभा चुनाव में जयललिता की पार्टी ने 39 में से 37 सीटों पर जीत दर्ज की।

7- सितंबर 2014 में बेंगलुरू की एक निचली अदालत द्वारा आय से अधिक संपत्ति के एक मामले में दोषी ठहराए जाने तथा सजा सुनाए जाने के बाद उनको मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद ओ. पन्नीरसेल्वम की सरकार बनी।

8- 16 साल की उम्र से ही आ गईं फिल्मों में कर्नाटक के अयंगर परिवार में दो फरवरी, 1948 को जन्मी जयललिता की मां फिल्म अभिनेत्री थीं। जयललिता की पढ़ाई बेंगलुरू और चेन्नई के कांवेंट स्कूलों में हुई। महज 16 साल की उम्र में जयललिता ने भी अभिनय की दुनिया में कदम रखा और सबसे पहले तमिल फिल्म ‘वेन्निरा’ में पर्दे पर नजर आईं।

धीरे धीरे वह तमिल फिल्मों की अग्रणी अभिनेत्रियों में भी शुमार हुईं। उन्होंने 100 से ज्यादा तमिल, तेलुगू और कन्नड़ फिल्मों में काम किया।

9- रामचंद्रन ने जयललिता को दिया था मौका

जयललिता को एआईएडीएम के संस्थापक एम. जी. रामचंद्रन ने 1980 में पार्टी का प्रचार सचिव नियुक्त किया था। जिसके बाद 1984 में वह पहली बार राज्यसभा सांसद बनीं। वर्ष 1989 में पहली बार उन्होंने तमिलनाडु विधानसभा चुनाव जीता। इसके दो साल बाद 1991 के विधानसभा चुनाव में वह पहली बार राज्य की मुख्यमंत्री बनीं।

10-  नेता प्रतिपक्ष के तौर पर उन्होंने 25 मार्च, 1989 को हुई उस घटना के बाद सदन में नहीं जाने का फैसला किया जब उनकी साड़ी खींच ली गई थी और उस समय द्रमुक एवं अन्नाद्रमुक के सदस्यों के बीच धक्कामुक्की में द्रमुक अध्यक्ष एवं तत्कालीन मुख्यमंत्री करूणानिधि का चश्मा टूट गया था। उस वक्त जयललिता ने संकल्प लिया था कि वह मुख्यमंत्री बनने पर ही विधानसभा में लौटेंगी।

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