: ‘द्रविड़ियन’ सिद्धांत और ब्राह्मण विरोधी दर्शन की प्रणेता है जया : विनीरा आदाई में एक बच्ची की भूमिका से फिल्म में अायी थीं जयललिता : सन-82 में एमजीआर लेकर आये थे जया को राजनीति में :
चेन्नई : तमिलनाडु के राजनीतिक इतिहास को देखते हुए उनकी जीत इस मामले में अद्भुत है कि यहां की राजनीति ‘द्रविड़ियन’ सिद्धांत और ब्राह्मण विरोधी बयानबाजी पर केंद्रित है।जयललिता साहसिक फैसले करने के लिए भी जानी जाती हैं। दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने कहा था कि वह ‘रिंगमास्टर’ हैं जो सरकारी अधिकारियों को काम करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।
जयलिता ने एक बाल कलाकार के तौर पर सीवी श्रीधर द्वारा निर्देशित फिल्म ‘विनीरा आदाई’ से अपने अभिनय पारी की शुरूआत की। बाद वह एक लोकप्रिय अभिनेत्री बन गईं और अपने आदर्श एमजीआर के साथ 30 फिल्मों में काम किया। बाद में एमजीआर उनके राजनीतिक गुरू भी बने। वह 1982 में अन्नाद्रमुक में शामिल हुईं।
पार्टी में शामिल होने पर कई नेताओं ने उन निशाना साधा। उनको 1983 में पार्टी का प्रचार सचिव बनाया गया।एमजीआर की सरकार में हिंदू धार्मिक अनुदान मंत्री आर एम वीरप्पन और कृषि मंत्री के. कलीमुथू जयललिता का खुलकर विरोध करते हैं।कलीमुथू ने एक बार आरोप लगाया कि जयललिता तमिलनाडु में ‘द्रविड़ियन’ शासन खत्म करने की साजिश रच रही हैं।
एमजीआर ने 1984 में जयललिता को राज्यसभा भेजा और धीरे-धीरे वह पार्टी के भीतर कई नेताओं का समर्थन पाने में सफल रहीं।साल 1987 में एमजीआर के निधन के बाद जयललिता ने अन्नाद्रमुक के एक धड़े का नेतृत्व किया।
दूसरे धड़े का नेतृत्व एमजीआर की पत्नी वी एन जानकी कर रही थीं। वह 1989 में बोदिनायककुनूर से विधानसभा चुनाव लड़ीं और विधानसभा में पहली महिला नेता प्रतिपक्ष बनीं। उनकी अगुवाई वाले अन्नाद्रमुक के धड़े ने 27 सीटें जीतीं, जबकि जानकी की अगुवाई वाले धड़े को महज दो सीटें मिली।बाद में पार्टी के एकजुट होने पर वह 1989 में अन्नाद्रमुक की महासचिव बनीं। यह पार्टी का शीर्ष पद है।