जयकारा लगाया राम का, स्‍तन दबोचा छात्राओं का

दोलत्ती

: दिल्‍ली के गार्गी गर्ल्‍स कालेज में जो कुछ हुआ, वह शर्मनाक की हर सीमा से परे हुआ : बाहरी युवा-अधेड़ लोग कालेज में घुसे, तांडव किया :
सत्‍येंद्र पी सिंह
दिल्‍ली : दिल्ली विश्वविद्यालय के तहत आता है गार्गी कॉलेज। इसमें सिर्फ लड़कियां पढ़ती हैं। जिस तरह से देश में हजारों इंटर और डिग्री कॉलेज लड़कियों के पढ़ने के लिए बनाया गया है, वैसे ही यह डिग्री कॉलेज भी है।
देश के करीब हर इंटर और डिग्री कॉलेज में सालाना जलसे होते हैं, खेल कूद, नाच गाने के कार्यक्रम होते हैं। बिल्कुल उसी तरह इस डिग्री कॉलेज में भी 3 दिन का कार्यक्रम चल रहा था। कार्यक्रम में गायक जुबिन नौटियाल आये हुए थे।
इसी कार्यक्रम में बड़ी संख्‍या में बाहर से लड़के और अधेड़ उम्र के लोग कॉलेज के कैम्पस में घुस गए। तमाम लड़कियों को पकड़ लिया। उनके स्तन दबाने लगे। उनके कपड़ों में हाथ डाले। लड़कियों के शौचालय तक में घुस गए। लड़कियों के सामने मुठ मारने लगे। फब्तियां कसीं। गालियां दीं। जय श्री राम, भारत माता की जय के नारे लगाए। नेट पर खोजें। जो भी हिंदी अंग्रेजी अखबार का रिपोर्टर गया है, उसको लड़कियों ने पूरी कहानी बताई है। कार्यक्रम खत्म होने पर घर जा रही लड़कियों का मेट्रो तक पीछा किया गया, उन पर फब्तियां कसी गईं।
यह सब कुछ दिल्ली में हुआ। दिल्ली की पुलिस और कानून व्यवस्था को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। यहां की पुलिस को सबसे ज्यादा सुविधा, बेहतर सेलरी मिलती है। अच्छे वाहन, सॉफिस्टिकेटेड हथियार दिए गए हैं। ऐसा इसलिए किया गया है कि यहां देश भर के 800 सांसदों, विश्व के 200 देशों के राजनयिकों, संसद भवन, सैकड़ों मंत्रालयों, देश की सबसे बड़ी अदालत की रक्षा करनी होती है। इसी कारण यहां की पुलिस केंद्र सरकार के तहत रखी गई है कि देश दुनिया से आने वाले हर नागरिक की बगैर भेदभाव के रक्षा की जा सके। और इनकी रक्षा के बीच ही यह माना जाता था कि दिल्ली के आम नागरिकों की भी रक्षा हो जाती है।
हमारी बेटियां अपने कॉलेज कैम्पस में कितनी सुरक्षित हैं? कैसा शासन प्रशासन है यह? यह जेएनयू में नहीं हुआ है। क्या गार्गी कॉलेज की लड़कियों को भी राष्ट्रद्रोही और टुकड़े टुकड़े गैंग घोषित करके मामला खत्म कर दिया जाएगा?
देश मे राम के नाम पर यह हो रहा है। कॉलेज प्रशासन का कहना है कि फेस्टिवल मत कराओ। डर लगता है तो इस तरह के फेस्टिवल में मत आओ। समझ में नहीं आता कि यह सरकार देश को कहां ले जाना चाहती है।

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