प्रशासन ने जिसे पागल करार दिया था, आज स्‍वस्‍थ बताया। अब वह नारी निकेतन भेजी जाएगी

सैड सांग

: जौनपुर की अफसरशाही जितना भी कर सकती थी, नंगा नाच कर चुकी : कानून-व्यवस्था की अन्‍त्‍येष्टि सम्पन्न, अब वाराणसी भेजी जाएगी बच्ची : अब तक के सर्वाधिक-जिम्मेदार डीएम साबित हुए जुल्फी गोस्वामी : अरे हो डीएम और एसपी ! कार्रवाई करने के लिए तुम्हें  कितने प्रमाण चाहिए ? : तुम अफसरशाह नहीं, कलंक हो कानून-व्यवस्था पर। मैं तुम पर लानत भेजता हूं :

कुमार सौवीर

लखनऊ : करीब डेढ़ हफ्ते तक जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक ने अपनी सारी बेहूदी असफलताओं पर खूब पर्दा डाला और अन्तत: फैसला किया है कि जिला अस्पताल में डेढ हफ्ते से भर्ती उस मासूम बच्ची को वाराणसी स्थित नारी संरक्षण आश्रम में भेजा जाएगा। ताजा खबर है कि घंटों तक कवायद के बाद तीन डाक्टरों की टीम बना कर उस बच्ची का स्‍वास्‍थ्‍य परीक्षण कराया गया। सूत्र बताते हैं कि परीक्षण में यह बच्ची स्वस्थ पायी गयी।

शर्मनाक बात तो यह है कि जौनपुर प्रशासन ने अभी तीन दिन पहले ही उस बच्ची को बिलकुल पागल करार कर दिया था और फिर उसे वाराणसी के पागलखाने में भेज दिया था। वह तो गनीमत रही कि वाराणसी के पागलखाने के डॉक्टरों ने उसे अपने यहां भर्ती करने से साफ इनकार कर दिया। वे बोले कि यह बच्ची पागल नहीं है, और अगर उसे यहां दोबारा लाया गया तो उसके साथ किसी जज के आदेश की प्रति होनी चाहिए।

कितनी शर्म की बात है कि पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने केवल अपनी खाल बचाने के लिए उस बच्ची से भयंकर कीमत वसूल कर डाली। आपको बता दें कि 17 फरवरी-16 की रात को सड़क पर उठा कर जिला अस्पताल लायी गयी। उस दौरान वहां कई नर्सो ने उस बच्ची का मुआयना किया था और सूत्रों के अनुसार उन नर्सों ने उस बच्ची के गुप्तांगों पर गम्भीर चोटें पायी थीं। पूरा जौनपुर जानता था कि उस लावारिस बच्ची के साथ बहुत बुरा शारीरिक सुलूक किया गया।

लेकिन हैरत की बात है कि उस बच्ची मेडिकल जांच कराने की कोई भी कोशिश किसी भी अधिकारी ने नहीं की। इतना ही नहीं, जिला अस्पताल के डाक्टरों की लिखित सूचना के बावजूद पुलिस ने उस बच्ची की रिपोर्ट तक नहीं दर्ज की। लेकिन जब मामला भड़क गया तो जिलाधिकारी भानुप्रताप गोस्वामी और जिलाधिकारी राधेश्याम यादव ने एक साजिश के तहत पहले तो जिला अस्पताल के डॉक्टरों से लिखवा दिया कि यह बच्ची पागल है। डॉक्टरों की इसी रिपोर्ट के बाद जिला प्रशासन के सिटी मैजिस्ट्रेट उमाकान्त त्रिपाठी ने उस बच्ची को वाराणसी के पागलखाने भेजने के परवाने पर दस्तखत कर दिया। लेकिन वहां डॉक्टरों ने उसकी जांच के बाद यह पाया कि वह पागल नहीं है। ऐसे में वह बच्ची वापस बैरंग जौनपुर भेज दी गयी।

इसके बाद से ही इस बच्ची को ठिकाने की तैयारी कर डाली प्रशासन और पुलिस अफसरों ने। उनके निर्देश पर आज सिटी मैजिस्ट्रेपट उमाकांत त्रिपाठी, प्रोबेशन आफिसर सुरेश सोनकर और सीओ सिटी राजकुमार पाण्डेय ने सुबह से ही अस्पताल में डेरा डाल दिया। सीएमएस से कह कर इन अफसरों ने एसके सिंह, भइया एसके सिंह और जेपी त्रिपाठी नामक तीन डॉक्टरों की एक टीम बनवायी और उस बच्ची के मेडिकल जांच की नौटंकी शुरू कर दी गयी। हाथोंहाथ रिपोर्ट तैयार हुई। सूत्रों के अनुसार डॉक्टरों ने इस बच्ची को पूरी तरह स्वस्थ करार दिया था। इसके तहत सिटी मैजिस्ट्रेट उमाकांत त्रिपाठी ने पुलिस टीम बुलाकर उस बच्ची को वाराणसी स्थित सरकारी नारी निकेतन आश्रम भेजने का आदेश कर दिया।

आखिरी समाचार मिलने तक उस बच्ची को वाराणसी के नारी निकेतन ले जाने के लिए पुलिस की टीम अस्पताल पर पहुंच चुकी है।

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