खाली पेट हुए सामूहिक आत्‍मदाह को खारिज किया डीएम ने, जो ग्रामीण को जुतियाने की धमकी देता है

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: लोग बताते हैं कि सफेद झूठ बोल रहा है जौनपुर का बेहया प्रशासन : जुल्‍फी का बयान कितना निर्मम है, अगर आपको नहीं पता तो आप वाकई बहुत भोले हैं : एसओ नींद में मस्‍त, एसडीएम को खबर तक नहीं : ग्रामीण को जूतों से दिमाग दुरूस्‍त करने की धमकी जब डीएम देगा, तो समझो हो गया सत्‍यानास  :

कुमार सौवीर

जौनपुर : सुरेरी के पट्टी किरतराय गांव में एक महिला के पास इतना अनाज तक नहीं था कि वह अपने छह बरस के बेटे को रोटी खिला सके। महीनों की एकाध रोटी के टुकड़ों ओर पानी से भूख की हत्‍या तो की जा सकती है, लेकिन तीन बरस की बच्‍ची का पेट भरने के लिए वह महिला अपनी सूखी छातियों में दूध कैसे भर सकती थी। पति भी मंद-बुद्धि था। पल्‍लेदारी में मजदूरी भी कम ही मिलती थी। बीपीएल कार्ड तक नहीं था उसके पास, जिससे उसको राशन सरकारी दर पर मिल पाता। नतीजा इस महिला ने अपने दिल पर पत्‍थर रख दिया और एक दिन अपने बच्‍चों और खुद पर मिट्टी का तेल डाल कर खुद को जिन्‍दा फूंक डाला।

पिछले हफ्ते इस परिवार में हुए इस हादसे के बाद हालांकि सम्‍बन्धित थाने और मडियाहूं के एसडीएम ने इस हादसे से अपनी दूरी ही बनायी रखी। थानाध्‍यक्ष ने तो अपने वरिष्‍ठ अफसरों को इस बारे में कोई भी सूचना नहीं भेजी। एसडीएम बोले कि उन्‍हें किसी भी ने कोई भी जानकारी नहीं दी। उनका कहना था कि वे इस इलाके में नये ही आये हैं, इसलिए उन तक यह खबर नहीं मिल पायी है। हैरत की बात है कि तीन महीने की दुधमुंही बच्‍ची और छह साल के बच्‍चे की भुखमरी से हुई मौत से तबाह हुई अपनी जिन्‍दगी वाले बाबर की दास्‍तान हादसे के अगले दिन तक सरकारी कागजों में सिर्फ खामोश ही रही। जबकि ह्वाट्सअप, सोशल साइट्स और अखबारों में इस हादसे के खून-रंजित और भुने मानव-गोश्‍त की सड़ाध से आसपास के जिले तक सहम गये थे।

बहरहाल, इस हादसे पर जब प्रशासन को खबर मिली तो एडीएम उमाकान्‍त त्रिपाठी ने इस मामले की जांच के लिए तहसीलदार को भेजने का ऐलान किया। जानकार बताते हैं कि चूंकि उमाकान्‍त त्रिपाठी खुद ही पहले नायब तहसीलदार रह चुके हैं, इसलिए उन्‍हें खूब पता था कि ऐसे मामलों में किस तरह निपटाया जाना चाहिए। इसलिए उमाकांत के निर्देश पर मौके पर जांच करने गये तहसीलदार ने ठीक वही बयान दिया जो रटा-रटाया होता है। बाद में एसडीएम भी जांच करने गये, तो उन्‍होंने भी माना कि बाबर के पूरे परिवार की जिन्‍दा फूंकने की वारदात भूख से नहीं, बल्कि आपसी रंजिश और मनमुटाव के चलते हुआ है।

इसकेे बारी थी सूचना विभाग की। उसने जो प्रेस नोट जारी किया है, उस पर एक नजर डालिये। “जौनपुर 19 सितम्बर 2016 (सू0वि0) – मड़ियाहॅू तहसील के सुरेरी थानान्तर्गत पट्टीकिरत राय (सुल्तानपुर) गांव में रूखशाना पत्नी बाबर अपने छः वषीर्य बेटे हासिम व तीन माह की बेटी आलिया के उपर 18 सितम्बर को मिट्टी का तेल डालकर आग लगा ली थी जिसका जिलाधिकारी भानुचन्द्र गोस्वामी ने आज मौके पर जाकर जानकारी प्राप्त किया। मौके पर जिलाधिकारी ने थानाध्यक्ष सुरेरी से घटना के बारे में जानकारी प्राप्त किया तथा आवश्यक दिशा निर्देश भी दिये। तहसीलदार मड़ियाहॅू के डी शर्मा ने बताया कि जॉच में पाया गया कि रूखशाना के पति बाबर घटना के समय दूध लेने गये थे तथा वे गांव में ही पल्लेदारी का कार्य करते है रूखशाना के घर में प्लास्टिक की बाल्टी में चावल एवं गेहू मौके पर घर में मिला। श्री शर्मा ने बताया कि भूखमरी से मरने की बात नही थी। इस अवसर पर उपजिलाधिकारी जगदम्बा सिंह, तहसीलदार के0डी0 शर्मा, खण्ड विकास अधिकारी रामपुर आदि उपस्थित रहे। “

आखिर में पहुंचे डीएम भानुचंद्र गोस्‍वामी। आपको बता दें कि भानुचंद्र गोस्‍वामी की कार्यशैली क्‍या होती है। आपको याद होगा कि मेरी बिटिया डॉट कॉम ने भानुचंद्र गोस्‍वामी  की करतूतों का खुलासा किया था। खास तौर पर तब जब विगत 17 जुलाई-16 को एक अज्ञात नाबालिग बच्‍ची को कथित सामूहिक बलात्‍कार के मामले पर पुलिस और प्रशासन ने कोई भी कार्रवाई नहीं की। लेकिन जब मेरी बिटिया डॉट कॉम ने उस हादसे का खुलासा किया तो जिलाधिकारी भानुचंद्र गोस्‍वामी ने पहले तो उस बच्‍ची को करार देते हुए उसे बनारस के पागलखाने में  भर्ती कराने की कोशिश की, लेकिन जब वहां के डॉक्‍टरों ने वह मामला अदालत के माध्‍यम से भेजने की बात की तो फिर जिला प्रशासन ने उस बच्‍ची को काशी के नारी निकेतन भेज दिया।

इसके अलावा अभी एक ग्रामीण ने जब इसी क्षेत्र के एक कोटेदारों की शिकायत सीधे डीएम भानुचंद्र गोस्‍वामी से की तो उस ग्रामीण को जू‍तों से मारने की धमकी थी डीएम भानुचंद्र गोस्‍वामी ने। यह ग्रामीण कोटेदारों की करतूतों की खबर डीएम को देकर आम आदमी को कोटेदारों की लूट-खसोट से राहत दिलाने की गुहार लगा रहा था।

अब दूसरा मामला भी देख लीजिए। गोस्‍वामी के चहेते और स्‍थानीय मंत्री ललई यादव के गोद में खेल रहे एडीएम उमाकान्‍त त्रिपाठी की करतूतें खासी चर्चा का विषय बनी हुई हैं। चर्चा तो खूब है कि वे अपनी सारी डीलिंग सरकारी पेशकार के बजाय अपने दलालों को पेशकार की कुर्सी पर बिठा कर निबटाते हैं। उमाकान्‍त त्रिपाठी के बारे में खूब चर्चा है कि वे बालू से तेल निकालने में माहिर हैं। चाहे भरी अदालत में सरकारी पेशकार को कुर्सी से बेदखल करना हो या फिर शाहगंज में नृत्‍य-संगीत का आनन्‍द लेना हो। मेरी बिटिया डॉट कॉम ने उमाकांत त्रिपाठी की ऐसी करतूत का खुलासा बाकायदा एक वीडियो शूट कराके प्रकाशित किया था।

इन दोनों की हरकतों का जायजा लेने के लिए कृपया निम्‍न लिंक पर क्लिक कीजिएगा।

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