तीन तलाक का डर ही इतना बड़ा जुल्म है कि इस वजह से हमेशा लड़किया जुल्म सहती रहती हैं : कुरान में तलाक देना सबसे गंदा माना जाता है : मुस्लिम महिलाओं के एक बड़े हिस्से को अपने मूल अधिकारों से वंचित होना पड़ रहा :
संतोष कुमार
पटना : आज दोपहर में हमारे एक मित्र का फोन आया ये जो तलाक को लेकर बहस चल रहा है हमारे एक जानने वाला मुस्लिम परिवार है उससे इस मसले पर बात करिए और आप अपने कार्यक्रम में बुलाईए।
मुस्लिम पर्सनल बोर्ड और मुस्लिम धर्म गुरु जो कह रहे है वो कही से भी सही नही है तलाक तलाक तलाक के नाम पर महिलाओं का बहुत शोषण हो रहा है आप बात करिए,,,,काफी देर बात हुई और फिर कार्यक्रम में आने को तैयार हो गयी मैंने उन्हें भरोसा दिलाया कि टीआरपी के लिए मैं ये कार्यक्रम नही कर रहा हूं इसलिए मैं किसी भी मौलाना को या फिर किसी तीसरे पंक्ष को नही बुलायेगे ,,आप अपनी बात रखिए क्यों कि लोगो के बीच ये बाते जानी चाहिए कि इस तलाक तलाक तलाक के समर्थन में जो तर्क दिये जा रहे हैं वो सही नही है ।
इनका मामला हम आपको बता देते हैं ये दोनों भाई बहन है और तलाक तलाक तलाक के मसले पर मुस्लिम पर्सनल बोर्ड और मुस्लिम धर्म गुरु के फतवे के खिलाफ खड़ी है,, इनके साथ ऐसा हुआ कि रमजान के बीच ही किसी बात को लेकर पति से विवाद हुआ तो इनकी सांस आकर बोली कि रहमान तुझे तलाक दे दिया है ,,,ये तलाक शब्द भी नही सूनी और तलाक हो गया ,,इन्हे दो छोटी सी बच्ची है ये जानकार मैं भी हैरान रह गया कि पति तलाक तलाक तलाक बोले ये भी जरुरी नही है परिवार के लोग आकर सिर्फ कह दे कि तुम्हारा पति तलाक तलाक तलाक बोल दिया है तो तलाक मान्य हो जायेगा।
पूरे चर्चा के दौरान कई चीजे समझने का मौंका मिला मुस्लिम पर्सनल बोर्ड और मुस्लिम धर्म गुरु जो तर्क दे रहे है कि तलाक देने कि प्रक्रिया सहज होने कि वजह से मुस्लिम औरतों के साथ जुल्म कम होता है लेकिन ये पूरी तौर पर गलत है यू कहिए तो तीन तलाक का डर ही इतना बड़ा जुल्म है कि इस वजह से हमेशा लड़किया जुल्म सहती रहती है लेकिन आवाज नही उठाती है ये तर्क पूरी तौर पर गलत है और इसी तलाक के आड़ में महिलाओं पर रोज जुल्म होता है।
पूरी चर्चा के दौरान मुझे महसूस हुआ कि महिला किसी भी धर्म,,,जाति और मजहब कि हो महिला महिला है और हर महिला कि एक ही समस्या है औऱ ये आज भी शोषण का शिकार है।।ये जानकर चकित रह गया कि कुरान में तलाक देना सबसे गंदा माना जाता है और ऐसे पुरुष को कोरे मारने तक कि सजा दिये जाने का प्रावधान है,,,,, लेकिन मुस्लिम भी धर्म के आड़ में महिलाओं पर जुल्म ढाने का एक माध्यम निकाल लिया है जैसे हिन्दू धर्म में भी लोग निकलाते रहते है दोनों भाई बहन का एक औऱ तर्क मुझे बहुत अपील किया कि ये जो लोग कह रहे हैं कि स्टेट को हस्तक्षेप नही करनी चाहिए इस देश में सति प्रथा को लेकर कितनी बड़ी धार्मिक मान्यताये थी लेकिन स्टेट ने इसे खारिज कर दिया कोई आज कर सकता है क्या,,,, इसलिए स्टेट को कड़ाई से इसे लागू करना चाहिए।।बात बात मैं ही शहबानो प्रकरण कि चर्चा हो गयी ,,, राजनीत कि वजह से मुस्लिम महिलाओं को एक बड़े अधिकारी से वंचित होना पड़ गया था।
प्लीज इस मुद्दे को भी राजनैतिक टूल ना बनाये सच कहिए ये कानून इंसानियत से जुड़ा है हो सके तो चर्चा भी मत करिए ये लड़ाई मुस्लिम समाज के पिछड़ेपन से जुड़ा हुआ है,,, फिर भी ये लड़ाई इन्हे खुद लड़ने दिजिए क्यों कि मुस्लिम समाज का एक बड़ा तबका इस फतवे से परेशान है और अधिकांश अबादी चाहता है कि इसे खत्म किया जाय़े,, ऐसे में हमारी आपकी भूमिका यही रहनी चाहिए कि ये आगे बढे और हमलोग इनके पीछे खड़े रहे राजनीत करने कि कोशिश मत करिए क्यों कि इससे कोमल तत्व को राजनीत करने का मौंका मिल जायेगा औऱ फिर हमारे मुस्लिम भाई एक बड़े परिवर्तन से अछूता रह जायेगा प्लीज इस मामले को शहबानो मत बनने दिजिए।
यह टिप्पणी पटना के पत्रकार संतोष कुमार की फेसबुक पर दर्ज था। संतोष ने कशिश टीवी पर इस पर लम्बी बहस की थी।