जाबांज अपराधियों का गिरोह है पुलिस, साबित हुआ गोरखपुर में

सैड सांग

: एक ही मामले में दो-दो बार झूठ बोला पुलिस के अफसरों ने : चार दिनों में एक ही मामले में दो युवकों को दो बार दबोचा गया : अलग-अलग इलाकों में गिरफ्तारी करने का षडयंत्र रचा सीओ और कोतवाल ने : दोनों ही युवकों को इन दोनों ही मामलों में दौड़ा कर पकड़ने  दावा :

कुमार सौवीर

गोरखपुर : यह दैवीय चमत्‍कार नहीं, बल्कि पुलिसिया-न्‍याय और उसके कारसाज-व्‍यवहार की ताकत है कि एक ही मामले में दो लोग दो अलग-अलग मामलों में गिरफ्तार किये गये। इन दोनों पर एक ही मामला दर्ज हुआ था, लेकिन उनकी गिरफ्तारी के लिए अलग-अलग पुलिस टीमों में यह चमत्‍कार किया, और महकमे से इसके लिए बाकायदा ईनाम-इकराम भी हासिल किया। इन टीमों के सदस्‍य भी अलग-अलग ही थे। इतना ही नहीं, इन दोनों ही मामलों में इन्‍हीं दो तथाकथित चोर युवकों के पास अलग-अलग सामान बरामद हो गया। इतना ही नहीं, यह खुलासा का ऐलान करने वाले अफसर भी अलग-अलग ही रहे। पहले खुलासे में कोतवाल ने अपनी पीठ ठोंकी, जबकि दूसरे खुलासे का श्रेय का सेहरा अपने सिर पर बंधवाने में लपक कर आये सीओ, यानी पुलिस क्षेत्राधिकारी।

इसके बावजूद क्‍या आप यकीन मानेंगे कि पुलिस ऐसा कर सकती है। जवाब है कि हां, खूब कर सकती है। बशर्ते यह पुलिस यूपी की हो, और खास कर मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के गृह-जनपद की हो। गोरखपुर के गोला और खजनी थाना क्षेत्रों में पिछले पुलिस ने जो आपराधिक दुष्‍कृत्‍य किया है, वह पुलिस के आपराधिक चरित्र का जीता-जागता प्रमाण बन चुका है।

पूरी बात बताने के पहले हम आपको बता दें कि उच्च न्यायालय इलाहाबाद में न्यायमूर्ति हुआ करते थे आनंद नारायण मुल्ला। उन्‍होंने अपने एक मामले में साफ तौर पर लिखा था कि पुलिस महकमा अपराधियों का एक संगठित गिरोह है। जस्टिस आनन्‍द नारायण मुल्‍ला ने अपना यह निष्‍कर्ष करीब साठ बरस पहले व्‍यक्‍त किया था। इसके बाद से ही पुलिस में सुधार के लिए अनेक आयोग और कमेटियों का गठन हुआ। ऐसे सुधारों पर गम्‍भीर सरकारी कोशिशों का असर जांचने की जरूरत किसी को हो, तो गोरखपुर में पिछले हफ्ते हुए एक घटना बाकायदा लिटमस-पेपर साबित होगी। जहां दो युवकों को पुलिस ने पकड़ा तो था चोरी में, लेकिन उन दोनों युवकों की गिरफ्तारी दो अलग-अलग जगहों पर दिखायी गयी।

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बड़ा दारोगा

मामला है गोरखपुर के गोला थाना का। घटनाक्रम के अनुसार खजनी के देवकली गांव में जीतेंद्र कसौंधन की एक दूकान आर्या मोबाइल सेंटर के नाम से है। 19 नवम्‍बर-17 की रात एक बजे के करीब जीतेंद्र की दूकान में चोरी हुई थी। इस चोरी में कुछ मोबाइल, कुछ मेमोरी कार्ड, रिचार्ज कूपन और कुछ नकदी शामिल रही।

गोला थाना के कोतवाल प्रदीप कुमार शुक्‍ला के अनुसार यूपी के डीजीपी महोदय सुलखान सिंह के कुशल कार्य-नेतृत्‍व, एडीजी महोदय की मंशानुसार, आईजी साहब और डीआईजी साहब के कुशल मार्ग निर्देशन और एसएसपी महोदय के निर्देश पर क्षेत्राधिकारी महोदय के नेतृत्‍व में माननीय मुख्‍यमंत्री महोदय के गृह-जिले की पुलिस ने इस चोरी को अपनी पूंछ नहीं, बल्कि अपनी मूंछ का सम्‍मान मान कर मामला को अनावृत कर यानी खोल देने के लिए कमर कस डाली थी। चप्‍पे-चप्‍पे पर पुलिस तैनात थी। तीसरे ही दिन यानी 21 नवम्‍बर-17 की दोपहर को गोपालपुर चौराहे पर पुलिस की पीआरवी वैन पर पुलिसवालों अपराधियों को दबोचने की रणनीति बनाने में गम्‍भीर थे। उन पुलिसवालों में हेड कांस्‍टेबल दारोगा सिंह, रामभरत यादव और कादिर अहमद शामिल थे। अपराध पर अंकुश लगाने में मुंह-निहार खाली बैठे पुलिसवाले भूख-प्‍यास भूले थे, और केवल गोरखपुर की शान चमकाने में जुटे थे। अचानक पास गुजरते कुछ युवकों पर इन पुलिसवालों को शक हुआ। पूछताछ के लिए पुलिस जब उनके पास पहुंची, तो युवक भागने लगे। लेकिन पुलिस के जवान ज्‍यादा तेज थे, तेज-तर्रार भी। तोंद से क्‍या फर्क होता है, हौसलों की सेहत बिलकुल झक्‍कास थी।

कोतवाल प्रदीप कुमार शुक्‍ला के अनुसार फिर क्‍या था, दौड़ा लिया इन जाबांज पुलिसवालों ने उनमें से दो युवकों को। मगर एक तो भाग ही निकला। तलाशी हुई और पूछताछ शुरू हो गयी। पता चला कि इनमें से एक युवक खजनी थाना क्षेत्र के महिलवार गांव का रहने वाला सर्वेश कुमार,जबकि दूसरे वाले का नाम गोपालपुर निवासी शशि है इन दोनों के पास एक लैपटॉप, चार मोबाइल बरामद हो गया। शुक्‍ला ने दावा किया कि उन तीनों पुलिसवालों की संयुक्‍त टीम ने सभी दोनों को दबोच कर हवालात में बंद कर दिया और अगली कार्रवाई में जुट गये।

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पत्रकार पत्रकारिता

उधर पुलिस क्षेत्राधिकारी प्रशांत सिंह के अनुसार गोरखपुर के गोला थाना क्षेत्र के देवकली गांव में जीतेंद्र कसौंधन की एक दूकान आर्या मोबाइल सेंटर के नाम से है। 19 नवम्‍बर-17 की रात एक बजे के करीब दूकान में चोरी हुई थी। इस चोरी में कुछ मोबाइल, कुछ मेमोरी कार्ड, रिचार्ज कूपन और कुछ नकदी शामिल रही। चूंकि इस मामले पर बेहद संवेदनशील और कार्यशील व तत्‍पर थे, इसलिए उनके अनुसार अब बचा तीसरा चोर, जिसे दबोचने के लिए पुलिस जुटी थी। अचानक 24 नवम्‍बर-17 की सुबह को पुलिस क्षेत्राधिकारी ने अपने विश्‍वस्‍त मुखबिरों की सूचना को परखने-जांचने के बाद एक बड़ी पुलिस पार्टी तैयार की, और इस मामले को खोल देने का निर्देश दिया। आनन-फानन यह पुलिस पार्टी यूपी के डीजीपी सुलखान सिंह के कुशल कार्य-निर्देशन, एडीजी महोदय की मंशानुसार, आईजी साहब और डीआईजी साहब के कुशल मार्ग निर्देशन और एसएसपी महोदय के निर्देश पर क्षेत्राधिकारी महोदय के नेतृत्‍व में सक्रिय हो गयी और जबर्दस्‍त छापामारी और दौड़-भाग के बाद दो अपराधियों को दबोचने में सफल हो गयी। जबकि तीसरा अभियुक्‍त मौके से भाग निकले में सफल हो गया।

इस सफलता पर क्षेत्राधिकारी पुलिस प्रशांत सिंह ने अपराधियों को दबोचने वाले पुलिस सहयोगियों की भूरि-भूरि प्रशंसा की और अपने साथ बैठा कर जलपान कराते हुए उनकी हौसलाआफजाई की तथा उनकी पीठ भी ठोंकी। इसी दौरान सीओ प्रशांत सिंह ने पत्रकारों को बुला कर दबोचे गये दोनों अपराधियों को अपने कार्यालय में बुला कर उसकी फोटो खिंचवाई और पत्रकारों को सम्‍बोधित किया। प्रशांत सिंह ने दावा किया किया कि माननीय मुख्‍यमंत्री के गृह जनपद में हुई इस शर्मनाक वारदात में शामिल लिप्‍त दुर्दांत अपराधियों को दबोचने के लिए यूपी के डीजीपी सुलखान सिंह के कुशल कार्य-निर्देशन, एडीजी महोदय की मंशानुसार, आईजी साहब और डीआईजी साहब के कुशल मार्ग निर्देशन और एसएसपी महोदय के निर्देश पर उन्‍होंने दारोगा संजय कुमार के नेतृत्‍व में पांच पुलिस वालों की एक टीम गठित की थी, जिसमें राजलाल शाह, तेज कुमार, अरविंद सिंह और जीतेंद्र यादव नामक सिपाही शामिल किये गये थे। सीओ प्रशांत सिंह के अनुसार मुखबिर की सूचना पर यह पुलिस पार्टी सुबह से ही सक्रिय थी, कि अचानक परनई चौराहे के पास इस टीम को कुछ संदिग्‍ध युवक दिखे। पुलिस ने जब उनसे पूछतांछ की कोशिश की तो भागने लगे। लेकिन पुलिस वाले भी खाली-पीली बोम नहीं मारते थे, अपराधियो के मुकाबले पुलिस के यह पांचों जवान ज्‍यादा तेज थे, तेज-तर्रार भी। तोंद से क्‍या फर्क होता है, हौसलों की सेहत बिलकुल झक्‍कास थी। नतीजा दो चोर दबोचे गये, जबकि तीसरा मौके से भाग निकलने में सफल हो गया।

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गोरक्षधाम

पुलिस क्षेत्राधिकारी प्रशांत सिंह ने पत्रकारों को बताया कि दारोगा संजय कुमार के नेतृत्‍व में गठित इस पुलिस पार्टी द्वारा जीतेंद्र कसौंधन की दूकान से चोरी गये माल के साथ दबोचे गये चोरों में से एक तो खजनी थाना क्षेत्र के महिलवार गांव का रहने वाला सर्वेश है, जबकि दूसरा चोर गोपालपुर गांव का शशि है। सीओ ने बताया कि इन दोनों चोरों के पास से एक लैपटॉप, 3 मोबाइल, 2 चार्जर आदि बरामद हुआ है, जबकि तीसरे चोर को दबोचने के लिए पुलिस जी-जान से जुटी हुई है।

इस मामले में क्षेत्राधिकारी प्रशांत सिंह से सम्‍पर्क करने की कई बार कोशिश की, लेकिन उनका फोन सम्‍पर्क सीमा में नहीं मिला। इस समाचार अखबारों में इससे जुड़े अफसरों की सूचनाओं पर प्रकाशित खबरो के आधार पर तैयार किया गया है। सम्‍बन्धित लोग अथवा पुलिस अधिकारी लोग, यदि चाहें तो इस प्रकरण पर अपना पक्ष हमारे प्रमुख न्‍यूज पोर्टल मेरीबिटिया डॉट कॉम पर रख सकते हैं।

गोरखपुर के गोला थाना क्षेत्र में दो युवकों की उपरोक्‍त गिरफ्तारी से पुलिस में व्‍याप्‍त आपराधिक कार्य-शैली का नंगा खुलासा हो गया है। न जाने कितने ही सैकड़ों-हजारों-लाखों युवकों की जिन्‍दगी पुलिस की इस तरह की क्रूरततम गुण्‍डागर्दी से तबाह हो चुकी है। ऐसे ही सटीक वक्‍त होता है, जब हम दबाव बनाये सरकार-सत्‍ता पर, और चिल्‍ला पड़ें कि:- अब बहुत हो चुका। इसे तत्‍काल रोको, और पुलिस की वर्दी में छिपी शैतान की आत्‍मा को सरेआम बेनकाब करो, उन्‍हें दण्डित करो।

हम कोशिश करेंगे कि इस से जुड़ी खबरों को हम इस हवन-कुण्‍ड में प्रज्‍ज्‍वलित करते ही रहें। लेकिन फिलहाल तो हम गोरखपुर में हुए इस पुलिस कुकृत्‍य को उधेड़ने की कोशिश कर रहे हैं। यह खबरें श्रंखलाबद्ध होंगी। इसकी बाकी कडि़यों को पढ़ने के लिए कृपया निम्‍न निम्‍न लिंक पर क्लिक कीजिएगा:-

वर्दी में छिपे अपराधी-शैतान

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