: जिला प्रतिनिधियों से 26 जनवरी तक 50 हजार तक रूपया उगाहने का लक्ष्य दिया था इंडिया-वाट प्रबंधन ने : तयशुदा उगाही न कर पाने वाले स्ट्रिंगर्स को बेदर्दी से भगा दिया प्रबंधकों ने : बात सम्पादक तक पहुंचाने वालों को भी मिली फटकार :
कुमार सौवीर
लखनऊ : अभी कोई एक महीना ही पहले की ही तो बात है, जब लखनऊ के गोमतीनगर स्थित इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय लोगों को एक सम्मेलन में सम्मानित किया गया था। मस्त-मस्त भीड़ जुटायी तो क्या इंडिया वाच का शटर बंद हो गया गयी थी। सभागार चकाचक सजाया गया था। प्रमाणपत्र और मोमेंटो भी दिये गये थे। खाना-पीना भी काफी जोरदार था।
यह आयोजन किया था खुद को बड़ा चैनल कहलाने वाले एक संस्थान ने, जिसका नाम है इण्डिया-वाच। इस चैनल के इस आयोजन का मकसद अपने इस इण्डिया-वाच ने यह बताया गया था कि वह समाज की विशिष्ट प्रतिभाओं का सम्मान कर और उनके कृतित्व से समाज को जागरूक करने व उन्हें रोल-मॉडल के तौर पर पेश करना ही था।
यह तो है इस इंडिया-वाच की कथनी। लेकिन अब जरा सुन लीजिए इण्डिया-वाच की असली करनी।
ताजा खबर तो यह कि है जन-प्रतिबद्धता को समर्पित इण्डिया-वाच की असल करनी सिर्फ मार्केट से भारी-भरकम उगाही करना ही है। इसके लिए इस चैनल ने अपने स्टॉफ को बाकायदा टार्गेट तय कर रखा है। इस टार्गेट को पूरा करने के लिए इण्डिया-वाच ने अपने जिला के संवाददाताओं और तहसील व ब्लाक तक में मौजूद उन लोगों को जिम्मेदारी सौंप दी रखी है।
इण्डिया-वाच में तैनात किये गये अनेक ऐसे प्रभावित संवाददताओं से सम्पर्क किया, और बताया कि किस स्तर पर इण्डिया-वाच के लोग जिला स्तर पर लोगों को तैनात कर उनसे येन-केन-प्रकारेण भारी अपनी का गंदा धंधा चला रहे हैं। शुरूआत में तो 26 जनवरी तक 60 हजार रूपयों की उगाही विज्ञापन के तौर पर मांगी गयी थी। और इसके अतिरिक्त प्रतिमास 10 से 25 हजार रूपयों की उगाही कर मुख्यालय तक भेजने के निर्देश दिये गये थे। इस उगाही की दर जिले के स्तर और संवाददाता की औकात पर आंकी और निर्धारित की गयी थी।
खबर है कि कई ऐसे पत्रकारों ने इस टार्गेट को पूरा न कर पाने पर यह रकम अपनी जेब से अदा किया। लेकिन कई ऐसे भी रहे, जो ऐसा नहीं कर पाये। ऐसे में जो संवाददाता जब यह टारगेट पूरा नहीं कर पाया तो उन्हें चैनल से निकाल बाहर कर दिया गया।
इस मसले पर इण्डिया-वाच के मालिक ईश्वर द्विवेदी से उनका पक्ष जानने के लिए कई बार फोन किया गया, लेकिन श्री द्विवेदी ने फोन रिसीव नहीं किया। हम स्वागत करेंगे इंडिया-वाच के प्रबंधन के पक्ष की, वे आयें, और अपना पक्ष प्रस्तुत करें। हमें उन्हें भी सहर्ष प्रकाशित करेंगे।